NDA alliance

  • पवार सीधे एनडीए से जुड़ सकते हैं

    एनसीपी के संस्थापक शरद पवार अपनी पार्टी का विलय भतीजे अजित पवार की पार्टी में करेंगे या अपनी पार्टी बनाए रखते हुए भाजपा से तालमेल करेंगे यानी एनडीए का हिस्सा बन जाएंगे या तमाम कयासों को गलत साबित करते हुए ‘इंडिया’ ब्लॉक में बने रहेंगे? इन सवालों का जवाब सिर्फ शरद पवार ही दे सकते हैं या उनकी बेटी सुप्रिया सुले दे सकती हैं। वैसे शरद पवार के बारे में जाने ने पत्रकार वीर सांघवी ने अपनी किताब में लिखा है कि पवार हवाईअड्डे पर अगर मुंबई का बोर्डिंग कार्ड लिए हुए दिखाई दें जरूरी नहीं है कि वे मुंबई...

  • बिहार में एनडीए का समन्वय अभियान चलेगा

    Bihar Politics, बिहार में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के बीच तालमेल बेहतर करने के लिए समन्वय का अभियान चलाया जाएगा। इसकी शुरुआत जनवरी में होगी और करीब दो महीने तक यह अभियान चलेगा। इस अभियान के तहत बिल्कुल प्रखंड स्तर तक एनडीए के सभी घटक दलों की साझा बैठक होगी। भाजपा के अलावा जनता दल यू, लोक जनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक होगी। इसमें एक दूसरे के साथ तालमेल बेहतर करने को लेकर बातचीत होगी। एलायंस के नेता चाहते हैं कि सभी पार्टियों का बिल्कुल निचले स्तर पर तालमेल...

  • एनडीए के घटक दलों में घमासान

    अनुसूचित जाति यानी एससी के आरक्षण में वर्गीकरण का मसला बिहार में बहुत तूल पकड़े हुए है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के दो घटक दलों के बीच घमासान मचा है। एक अगस्त को जब सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति के आरक्षण में वर्गीकरण की मंजूरी दी थी तभी से जीतन राम मांझी और चिराग पासवान में घमासान छिड़ा था। जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद हुआ तो मांझी की पार्टी ने इसका विरोध किया, जबकि चिराग पासवान की पार्टी ने समर्थन किया। असल में बिहार या देश के दूसरे हिस्सों में भी मजबूत अनुसूचित जातियों को...

  • एनडीए के घटक दलों को समस्या नहीं

    भारतीय जनता पार्टी के घटक दलों को केंद्र सरकार के किसी एजेंडे से समस्या नहीं है। चाहे वह ‘एक देश, एक चुनाव’ का एजेंडा हो या समान नागरिक संहिता का हो। यहां तक कि वक्फ बोर्ड में संशोधन के विधेयक पर भी भाजपा की सहयोगी पार्टियां साथ देंगी। जानकार सूत्रों का कहना है कि शुरुआती तेवर दिखाने के बाद सबके तेवर ढीले पड़ गए हैं। लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान अब किसी एजेंडे में अड़ंगा नहीं लगाएंगे। भाजपा की ओर से उनको मैसेज दे दिया गया है। दो तरह से उनको मैसेज दिया गया है।...

  • बिहार के सहयोगियों ने दबाव बढ़ाया

    NDA Alliance: नरेंद्र मोदी को सहयोगी पार्टियों के समर्थन से प्रधानमंत्री बने ढाई महीने हुए हैं और ऐसा लग रहा है कि शुरुआती सद्भाव धीरे धीरे कम हो रहा है। यह भी कह सकते हैं कि सहयोगियों के साथ सरकार का हनीमून पीरियड खत्म हो रहा है। भाजपा की सहयोगी पार्टियां खास कर बिहार का प्रादेशिक पार्टियां भाजपा विरोधी ‘इंडिया’ ब्लॉक की पार्टियों की तरह नीतिगत मसलों पर सरकार को घेर रही हैं। शुरू में ऐसा लगा था कि सहयोगी पार्टियों ने घुटने टेक दिए हैं और मोदी की शर्तों पर ही सरकार चलेगी। लेकिन अब ऐसा नहीं लग रहा...

  • सीट घटी हो लेकिन सहयोगी बेऔकात

    इस बार लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की 63 सीटें कम हो गईं। वह बहुमत से 32 सीट पीछे रह गई है लेकिन ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इसका कोई असर नहीं है। शुरुआत के दो चार दिनों को छोड़ दें, जब वे बैकफुट पर दिखे और सहयोगी पार्टियों के साथ संबंध सुधार की कोशिश करते दिखाई दे, तो अब उनकी पुरानी राजनीति लौट आई दिख रही है। उन्होंने सहयोगी पार्टियों की स्थिति पहले जैसी ही कर दी है, जैसी भाजपा के पूर्ण बहुमत के समय होती थी। सहयोगियों को न तो उनकी संख्या के...

  • सहयोगियों को सरकार में मिला झुनझुना

    सहयोगी पार्टियों को एक-एक, दो-दो मंत्री पद देने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभागों के बंटवारे में भी सहयोगियों को झुनझुना थमा दिया है। कई सहयोगी पार्टियां बड़ी जीत के बाद उम्मीद कर रही थीं कि उन्हें अपने राज्य में विकास के काम करने का मौका मिलेगा और उनके नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने का भी मौका मिलेगा। लेकिन उनके विभागों को देखते हुए लग रहा है कि ऐसा कोई मौका उनको नहीं मिलने जा रहा है। प्रादेशिक पार्टियों की जीत से जो क्षेत्रीय आकांक्षाएं उफान मार रही थीं उन पर भी पानी फिर गया है।...

  • सहयोगी पार्टियों की क्या मजबूरी है?

    भाजपा की सहयोगी पार्टियों को सरकार में कोई खास महत्व नहीं मिला है। ऐसा लग रहा है कि सभी पार्टियों ने मजबूरी में भाजपा को समर्थन दिया है और बदले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो प्रसाद दे दिया है उसे ग्रहण करना ही उनका कर्तव्य है। सवाल है कि सहयोगी पार्टियों की क्या मजबूरी है? ऐसा लग रहा है कि लोकसभा में संख्या का गणित देख कर उनको लग रहा है कि भाजपा के साथ बने रहने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है। लोकसभा में एनडीए के सांसदों की संख्या 293 है। जदयू के एक जानकार नेता...

  • सहयोगी पार्टियों की लंबी सूची

    नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे तो कई चीजें बदली हुई होंगी। पहले दो बार उन्होंने तय किया था किसे मंत्री बनाना है और किसे कौन सा मंत्रालय देना है। वे शपथ से पहले संभावित मंत्रियों से मिले और उससे ही मैसेज गया कि अमुक नेता मंत्री बन रहा है। इस बार ऐसा नहीं है। इस बार सहयोगी पार्टियों की सूची से मंत्रियों के नाम तय हो रहे हैं। तभी अटकलें ज्यादा लग रही हैं। पहली अटकल तो यही है कि मोदी कितने मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे? बताया जा रहा है कि 28 से 30 कैबिनेट...

  • कमजोर पार्टियों से तालमेल के फायदे

    भारतीय जनता पार्टी कमजोर प्रादेशिक पार्टियों से तालमेल कर रही है। कई जगह तो ऐसा भी हुआ है कि भाजपा ने पहले पार्टियों को कमजोर किया और फिर उनसे तालमेल किया। इसका फायदा यह है कि भाजपा जिस तरह से चाह रही है उस तरह से सीटों का बंटवारा हो रहा है और आगे के लिए यह रास्ता बन रहा है कि भाजपा जब चाहे तब इन पार्टियों को समाप्त कर दे या इनका विलय अपने में करा ले। Lok Sabha election 2024 यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां कह सकते हैं कि भाजपा इस बार के...

  • नीतीश की विदेश यात्रा से अटका गठबंधन

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐन मौके पर विदेश चले गए। लोकसभा चुनाव की किसी भी समय घोषणा हो सकती है लेकिन 16 सांसदों वाली पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विदेश गए हैं! उनकी हेल्थ इमरजेंसी के बारे में कुछ बताया नहीं जा रहा है लेकिन इसके अलावा कोई और कारण दिख भी नहीं रहा है। ऐसा भी नहीं है कि बिहार में सीटों का बंटवारा फाइनल हो गया है और सबकी उम्मीदवारी तय हो गई है। अभी सब कुछ उलझा हुआ है। भाजपा और जदयू में भी सीटों का बंटवारा फाइनल नहीं हुआ है और न सहयोगी पार्टियों के साथ...

  • भाजपा के सहयोगियों की चिंता

    भारतीय जनता पार्टी ने सहयोगियों की चिंता बढ़ा दी है। वह जिस तरह से एक एक सीट के लिए मोलभाव कर रही है और सभी छोटी पार्टियों को कम सीटों पर समझौता करने के लिए मजबूर कर रही है उससे सहयोगी परेशान हुए हैं। पहले उत्तर प्रदेश में भाजपा ने जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल को दो सीटें दीं और साथ ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी व निषाद पार्टी को एक एक सीट देने का फैसला किया तो अब महाराष्ट्र से खबर आ रही है कि भाजपा वहां अजित पवार की असली एनसीपी को सिर्फ चार से पांच सीट देने...

और लोड करें