Raipur

  • अधिवेशन में इतनी गलतियां किसने कराईं?

    कांग्रेस का रायपुर अधिवेशन सोनिया और राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा या मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण की वजह से बहुत ज्यादा चर्चा में नहीं रहा और न अधिवेशन में मंजूर किए गए प्रस्तावों को लेकर ज्यादा चर्चा हुई। सबसे ज्यादा चर्चा जाने अनजाने में हुई गलतियों के कारण हुई। इन गलतियों पर कांग्रेस सफाई देती रही, सुधार करती रही लेकिन सोशल मीडिया में और मुख्यधारा की मीडिया में भी इसका मुद्दा बनता रहा। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक गलती पकड़ कर उसका मुद्दा बनाया और कर्नाटक में उस मुद्दे पर चुनावी लाभ लेने का प्रयास...

  • कांग्रेस ने आखिर चुनाव नहीं कराया

    अध्यक्ष का चुनाव कराने के बाद अब कांग्रेस ने मान लिया है कि आंतरिक लोकतंत्र बहाल हो गया और अब किसी और तरह का चुनाव कराने की जरूरत नहीं है। तभी रायपुर में कांग्रेस के 85वें अधिवेशन में एक राय से यह प्रस्ताव मंजूर किया गया कि किसी तरह का आंतरिक चुनाव नहीं होगा। इतना ही नहीं पार्टी ने यह भी तय कर दिया है कि आगे अध्यक्ष का चुनाव भी नहीं हो पाए। कांग्रेस संविधान में किए गए संशोधन के मुताबिक अब अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए प्रदेशों से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कम से कम एक...

  • कांग्रेस में 50 फीसदी सीटें आरक्षित!

    रायपुर। कांग्रेस पार्टी ने रायपुर अधिवेशन में एक बड़ा फैसला किया है। पार्टी ने आगे होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित कर दी हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- अगले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों में 50 फीसदी सीटें, महिला, युवाओं और अनुसूचित जाति और जनजाति को दी जाएंगी। ध्यान रहे पार्टी ने उदयपुर के नवसंकल्प शिविर में इस बारे में फैसला किया था। खड़गे ने अधिवेशन के तीसरे दिन रविवार को अपने भाषण में कहा- अधिवेशन में कई विषयों पर चर्चा हुई है। इससे पार्टी मजबूत होगी। हमने जिन प्रस्तावों की मंजूरी...

  • भूले बिसरे नेताओं की सुध

    कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में पार्टी ने भूले बिसरे नेताओं की सुध ली है। ऐसे नेताओं की, जिन पर पार्टी पहले ध्यान नहीं देती है। इस बात को ऐसे भी कह सकते हैं कि कांग्रेस के जिन नेताओं पर किसी न किसी तरह से भाजपा ने दावा करना शुरू किया है या किसी न किसी तरीके से हथिया लिया है इस बार कांग्रेस ने ऐसे नेताओं को भी हाईलाइट किया है। कांग्रेस महाधिवेशन के आखिरी दिन पार्टी की हाथ से हाथ जोड़ो रैली के लिए अखबारों में जो विज्ञापन दिया गया, उसमें पार्टी के 10 बड़े नेताओं की फोटो लगाई...

  • कांग्रेसः ढाक के वही तीन पात!

    कांग्रेस पार्टी का 85 वां अधिवेशन अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन अभी तक रायपुर में जो कुछ हुआ है, उसके बारे में क्या कहें? ढाक के वही तीन पात! इंदिरा गांधी के ज़माने से देश की इस महान पार्टी के आकाश से आतंरिक लोकतंत्र का जो सूर्य अस्त हुआ था, वह अब भी अस्त ही है। इसमें कांग्रेेस के वर्तमान नेतृत्व का दोष उतना नहीं है, जितना उसके अनुयायिओं का है। राहुल गांधी का तो मानना है कि कांग्रेस की कार्यसमिति चुनाव के द्वारा नियुक्त होनी चाहिए लेकिन रायपुर अधिवेशन में पार्टी की संचालन समिति ने सर्वसम्मति से तय...

  • सीडब्लुसी में अपने दम पर कौन जीत सकता है?

    कांग्रेस पार्टी का 85 वां अधिवेशन अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन अभी तक रायपुर में जो कुछ हुआ है, उसके बारे में क्या कहें? ढाक के वही तीन पात! इंदिरा गांधी के ज़माने से देश की इस महान पार्टी के आकाश से आतंरिक लोकतंत्र का जो सूर्य अस्त हुआ था, वह अब भी अस्त ही है। इसमें कांग्रेेस के वर्तमान नेतृत्व का दोष उतना नहीं है, जितना उसके अनुयायिओं का है। राहुल गांधी का तो मानना है कि कांग्रेस की कार्यसमिति चुनाव के द्वारा नियुक्त होनी चाहिए लेकिन रायपुर अधिवेशन में पार्टी की संचालन समिति ने सर्वसम्मति से तय...

  • रायपुर में कांग्रेस कितना बदलेगी?

    कांग्रेस पार्टी का 85 वां अधिवेशन अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन अभी तक रायपुर में जो कुछ हुआ है, उसके बारे में क्या कहें? ढाक के वही तीन पात! इंदिरा गांधी के ज़माने से देश की इस महान पार्टी के आकाश से आतंरिक लोकतंत्र का जो सूर्य अस्त हुआ था, वह अब भी अस्त ही है। इसमें कांग्रेेस के वर्तमान नेतृत्व का दोष उतना नहीं है, जितना उसके अनुयायिओं का है। राहुल गांधी का तो मानना है कि कांग्रेस की कार्यसमिति चुनाव के द्वारा नियुक्त होनी चाहिए लेकिन रायपुर अधिवेशन में पार्टी की संचालन समिति ने सर्वसम्मति से तय...

  • घनचक्करी झूले पर झूलता कांग्रेस अधिवेशन

    कांग्रेस पार्टी का 85 वां अधिवेशन अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन अभी तक रायपुर में जो कुछ हुआ है, उसके बारे में क्या कहें? ढाक के वही तीन पात! इंदिरा गांधी के ज़माने से देश की इस महान पार्टी के आकाश से आतंरिक लोकतंत्र का जो सूर्य अस्त हुआ था, वह अब भी अस्त ही है। इसमें कांग्रेेस के वर्तमान नेतृत्व का दोष उतना नहीं है, जितना उसके अनुयायिओं का है। राहुल गांधी का तो मानना है कि कांग्रेस की कार्यसमिति चुनाव के द्वारा नियुक्त होनी चाहिए लेकिन रायपुर अधिवेशन में पार्टी की संचालन समिति ने सर्वसम्मति से तय...

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