Religion

  • अब तो ‘धर्म की राजनीति’ ही ‘राजनीति का धर्म…!

    भोपाल। आज से करीब पचहत्तर साल पहले छब्बीस जनवरी से लागू आजाद भारत का संविधान अब तक सवा सौ से भी अधिक संशोधन के तीर झेल चुका है और इसीलिए आज वह द्वापर में हुए महाभारत युद्ध के बाद के भीष्म की ‘शर शैय्या’ का परिदृष्य उपस्थित कर रहा है या यदि यह कहा जाए कि हमारे संविधान को आज के शीर्ष राजनेताओं ने रामायण-महाभारत जैसे पवित्र धर्मग्रंथों की तरह ही लाल कपड़े में लम्बी डोरी से बांध कर रख दिया है और अपने खुद की मनमर्जी के संविधान से सरकार चला रहे है तो कतई गलत नहीं होगा। आज...

  • धर्म-जाति के बाद अब क्षेत्रीयवाद का खतरा-संघ राष्ट्र को

    भोपाल। जाति के कारण कुछ समय पूर्व तामिलनाडु के एक मंदिर में अनुसूचित जाति के लोगों का प्रवेश वर्जित था, जब जिला प्रशासन ने वहां दखल देकर उनको मंदिर में प्रवेश दिलाया, तब किसी शरारती ने वहां की पानी की टंकी में मानव मल मिला दिया। फलस्वरूप दर्जनों बच्चे उस पानी को पीकर अचानक बीमार हो गए। फिर महिला कलेक्टर को स्वयं वहां जाकर लोगों को समझाना पड़ा कि कानून के अनुसार किसी भी हिन्दू को मंदिर में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता। इधर, धरम को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस मुस्लिम माफिया के घरों को प्रयाग उर्फ इलाहाबाद में...