अब तो ‘धर्म की राजनीति’ ही ‘राजनीति का धर्म…!
भोपाल। आज से करीब पचहत्तर साल पहले छब्बीस जनवरी से लागू आजाद भारत का संविधान अब तक सवा सौ से भी अधिक संशोधन के तीर झेल चुका है और इसीलिए आज वह द्वापर में हुए महाभारत युद्ध के बाद के भीष्म की ‘शर शैय्या’ का परिदृष्य उपस्थित कर रहा है या यदि यह कहा जाए कि हमारे संविधान को आज के शीर्ष राजनेताओं ने रामायण-महाभारत जैसे पवित्र धर्मग्रंथों की तरह ही लाल कपड़े में लम्बी डोरी से बांध कर रख दिया है और अपने खुद की मनमर्जी के संविधान से सरकार चला रहे है तो कतई गलत नहीं होगा। आज...