RJD

  • कोई अनहोनी तो नहीं हुई बिहार में

    अब भविष्य सिर्फ उन शक्तियों का है, जो राजनीति की नई समझ और परिभाषा अपना सकें। जो राजनीति की ऐसी समझ अपना सकें, जिसमें चुनाव लड़ना ही एकमात्र गतिविधि ना हो। जिसमें उद्देश्य आधारित संगठन, संघर्ष, और रचनात्मक कार्यक्रम समान रूप से महत्त्वपूर्ण हों। दरअसल, ऐसी राजनीति जो करेगा, दीर्घकाल में उसके लिए ऐसा जन समर्थन अपने-आप तैयार होगा, जिससे उसे चुनावी सफलता मिले।  किसी राज्य में चुनाव हो, तो इस दौर में वहां मंच सज्जा में कई समान पहलू मौजूद रहते हैं और ऐसा बिहार में भी था। बाकी बातें स्थानीय समीकरणों और परिस्थितियों से तय होती हैं, हालांकि...

  • ओवैसी की पार्टी राजद से बड़ी!

    कम से कम एक मामले में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने राजद को पीछे छोड़ दिया है। बिहार में ओवैसी की पार्टी के पांच मुस्लिम विधायक जीते हैं, जबकि राजद के सिर्फ तीन जीते हैं। अगर पूरे महागठबंधन की बात करें तब भी उसके पांच मुस्लिम विधायक जीते हैं, जो ओवैसी के बराबर हैं। आजादी के बाद पहली बार बिहार में इतने कम मुस्लिम विधायक जीते हैं। बिहार विधानसभा में मुस्लिम विधायकों की कुल संख्या 11 रह गई है, इसमें से पांच महागठबंधन के हैं, पांच ओवैसी के हैं और एक नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू के हैं।...

  • राजद नेता पर हिंसा भड़काने का मुकदमा

    पटना। वोटों की गिनती से एक दिन पहले राष्ट्रीय जनता दल की ओर से कई भड़काऊ बातें कही गई हैं। पार्टी के एमएलसी सुनील सिंह ने धमकी दी है कि बिहार का नजारा नेपाल जैसा हो सकता है। उन्होंने कहा है, 'इस बार का मतदान बदलाव के लिए हुआ है। 2025 में तेजस्वी की सरकार बनने वाली है। इस बार 2020 के जैसे चार चार घंटे मतगणना रुकवा दिया गया था, तो बिहार की सड़क पर नेपाल जैसा नजारा देखने को मिलेगा’। उनके इस बयान को लेकर उन पर मुकदमा दर्ज हुआ है। उन्होंने गुरुवार को धमकी देने के अंदाज...

  • राजद को भी चाहिए था नीतीश का वोट

    यह इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव की खास बात रही कि सबको नीतीश कुमार के सद्भाव की जरुरत थी और सबको नीतीश कुमार वाले वोट की जरुरत थी। यही कारण था कि भाजपा और लोजपा सहित दूसरी एनडीए पार्टियों के नेता नीतीश का नाम भजते रहे लेकिन सबसे हैरानी की बात यह रही कि उनके धुर विरोधी राष्ट्रीय जनता दल को भी उनके गुडविल का वोट चाहिए था। तभी राजद के नेताओं ने कई तरह की अफवाहें फैलाईं। बाद में जब लगा कि अफवाहों से काम नहीं चलेगा तो पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से मतदाताओं को गुमराह...

  • बिहार में कहानी उसी की जो ट्रेंड करना जानता है!

    बिहार को मैं दूर से देख रही हूँ! कुछ वैसे ही जैसे एक ही सूरज ढलते हुए हर बार कुछ अलग लगता है, फिर भी हर बार वैसा ही। रिपोर्टरों की रिपोर्टों से, विश्लेषणों से और बिहार की नब्ज़ पकड़ने का दावा करने वाले सर्वेक्षणों की गणित में लोग अनुमानों, प्रतिशतों में चाहे जितने बंटे है उन सबके बीच भी इस बार वह जीवंतता नहीं दिख रही जो संभवतया बिहार के मिजाज से है। मेरा मानना है कि बिहार एक एक ऐसा राज्य है जो सिनेमा-सा जीवंत है।  चेहरों, बातों, किस्सों और ख्वाबों से हर तरह भरा हुआ। बिहार, जो...

  • बिहार क्या चुनेगा, झूठे वादे या सचाई का संकल्प!

    बिहार के लोगों के लिए अगले पांच साल और उससे भी आगे का भविष्य चुनने का समय आ गया है। चार दिन बाद गुरुवार, छह नवंबर को पहले चरण की 121 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। उससे पहले मुख्य मुकाबले वाले दोनों गठबंधनों का घोषणापत्र सामने आ गया है। एक तरफ है एक व्यक्ति का ‘तेजस्वी प्रण’, जिसे गठबंधन की दूसरी पार्टियों का ही पूरा समर्थन नहीं मिल रहा है तो दूसरी ओर सामूहिक संकल्प है, जिसके पीछे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की दूरदृष्टि और विशाल अनुभव का बल...

  • कांग्रेस, राजद पर मोदी का हमला

    पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर बिहार विधानसभा के चुनाव प्रचार में पहुंचे। उन्होंने मुजफ्फरपुर और छपरा में दो चुनावी सभाओं को संबोधित किया और कांग्रेस व राजद दोनों पार्टियों पर जम कर हमला बोला। उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उनको निशाना बनाया। छठ को लेकर राहुल गांधी की टिप्पणियों पर भी मोदी ने निशाना साधा। मोदी ने अपने भाषण में जंगल राज की याद दिलाई और मुजफ्फरपुर के चर्चित गोलू अपहरण कांड की कहानी भी लोगों को सुनाई। प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और राजद के लोग बिहारियों का अपमान कर रहे हैं। छपरा...

  • राजद ने कांग्रेस को बताई हैसियत

    दिल्ली से लेकर पटना तक की मीडिया में चर्चा है कि बिहार में राजद के साथ कांग्रेस का गठबंधन टूटते टूटते बचा और वह भी तब, जब सोनिया गांधी ने दखल दिया और राहुल गांधी सक्रिय हुए। कहा जा रहा है कि राहुल देश के किसी भी हिस्से में रहे लेकिन वे पटना में नेताओं के लगातार संपर्क में थे और हर घटनाक्रम की समीक्षा कर रहे थे। अंत में सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत को पटना भेजा। उनके बाद अविनाश पांडे भी पटना भेजे गए। वे पटना में समन्वय देखेंगे। यह आम धारणा है कि अशोक गहलोत पटना गए...

  • बुनियादी रूप से कुछ नहीं बदला

    इस बार ऐसा लग रहा था बिहार में चुनाव वास्तविक मुद्दों पर लड़ा जाएगा। विकास से जुड़े बुनियादी सवाल उठेंगे क्योंकि प्रशांत किशोर ने दो साल की पदयात्रा से लोगों को जागृत किया था। लोगों को ललकारा था कि वे अपने बच्चों के चेहरे देख कर वोट करें। प्रशांत ने मुस्लिम बस्तियों में जाकर उनको ललकारा कि वे भाजपा के भय से राजद और कांग्रेस का बंधुआ बने रहेंगे तो उसी दुर्दशा की हालत में रहेंगे, जिसमें अभी हैं। यादवों को भी ललकारा कि वे कब तक जाति के नाम पर लालू परिवार की गुलामी करेंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन, रोजगार...

  • कांग्रेस, राजद ने फिर फैलाया रायता!

    मुख्य जिम्मेदारी कांग्रेस की थी। हमेशा राष्ट्रीय पार्टी की होती है। आरजेडी पर आरोप लगाना आसान है। मगर वह मेन प्लेयर है। उस पर उम्मीदवारों का ज्यादा दबाव था। कार्यकर्ता भी उसके पास ज्यादा हैं तो उम्मीदवार भी। और पिछले दो चुनावों से वह सबसे ज्यादा सीटें भी जीत रही है। पिछली बार 2020 में उसने सबसे ज्यादा 75 सीटें जीती थीं। भाजपा 74 के साथ नंबर दो पर थी। बिहार में विपक्ष की शानदार बढ़त बन रही थी। मगर फिर कांग्रेस और आरजेडी ने अचानक रायता फैला दिया। सीटों का बंटवारा नहीं कर पाए। कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा...

  • राजद ने क्या सरेंडर कर दिया?

    बिहार में इस बात की बहुत चर्चा हो रही है कि लालू प्रसाद के परिवार ने सरेंडर कर दिया है। कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव दोनों मायावती की गति को प्राप्त हुए हैं। गौरतलब है कि ऐन चुनाव के बीच दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव सहित परिवार के कई लोगों के खिलाफ आईआरसीटीसी में हुए कथित टेंडर घोटाले में आरोप तय किया। 13 अक्टूबर को जिस दिन आईआरसीटीसी मामले में आरोप तय किया गया उसी दिन अदालत ने रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले में सजा सुनाने का...

  • बिहार ‘जंगल राज’ की ओर नहीं लौटेगा!

    बिहार विधानसभा चुनाव को ‘मदर ऑफ ऑल इलेक्शन’ कहा जाता है। इसका कारण यह है कि सबसे ज्यादा राजनीतिक प्रयोग बिहार में होते हैं। सबसे ज्यादा नारे बिहार में गढ़े जाते हैं और सबसे सघन प्रचार व लोगों की सहभागिता बिहार के चुनाव में होती है। यह संयोग है कि इस बार बिहार का विधानसभा चुनाव लोक आस्था के महापर्व छठ के तुरंत बाद हो रहा है। बिहार आबादी, क्षेत्रफल, जीडीपी या विधानसभा, लोकसभा सीटों की संख्या के किसी भी पैमाने पर देश का सबसे बड़ा राज्य नहीं है। परंतु बिहार विधानसभा का चुनाव पूरे देश की दिलचस्पी का विषय...

  • राजद-कांग्रेस का झगड़ा जारी

    पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण की 121 सीटों पर नामांकन की समय सीमा शुक्रवार को खत्म हो गई लेकिन नामांकन का समय खत्म होने तक महागठबंधन की पार्टियां आपस में लड़ती रहीं। कांग्रेस, राजद, वीआईपी और तीनों कम्युनिस्ट पार्टियों के बीच शुक्रवार की शाम तक खींचतान चलती रही। तमाम कोशिशों के बावजूद समझौता नहीं हुआ और कम से कम आठ विधानसभा सीटों पर महागठबंधन की पार्टियों के उम्मीदवार आमने सामने खड़े हो गए। नामांकन के आखिरी दिन तक उम्मीदवारों के नाम पर सस्पेंस रहा और दोपहर तक सिंबल बदले जाते रहे। कांग्रेस पार्टी ने अपने 48 उम्मीदवारों...

  • भाजपा ने बिहार खरीदा, जीत लिया!

    हो सकता है मैं गलत हूं, फिर भी मेरा मानना है बिहार मोदी-शाह की गोद में है। तेजस्वी, राहुल गांधी, प्रशांत किशोर किसी का कोई अर्थ नहीं। इन सबकी याकि विपक्ष की दिक्कत है जो नहीं समझते कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह चौबीस घंटे सत्ता की भूख में जीते हैं। कैसे भी हो सत्ता में रहना है। सोचें, ईस्ट इंडिया कंपनी के बनिया अंग्रेज और मोदी-शाह में क्या समानता है? फूट डालो, राज करो और खरीदो! त्रासद है उस इतिहास को याद कराना। पर तथ्य याद करें कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1757 में पलासी और 1764 में बक्सर के युद्ध...

  • ओवैसी बड़ा नुकसान करेंगे राजद का

    बिहार चुनाव को लेकर आमतौर पर यह धारणा है कि असदुद्दीन ओवैसी को इस बार ज्यादा महत्व नहीं मिलेगा। पिछली बार उनकी पार्टी के पांच विधायक जीत गए थे लेकिन इस बार  नहीं जीत पाएंगे। ऐसा मानने का एक बड़ा कारण यह है कि इस बार बिहार में एनडीए के जीतने पर भाजपा का मुख्यमंत्री बनने की संभावना जताई जा रही है। आमतौर पर एनडीए की ओर से नीतीश कुमार दावेदार होते तो मुस्लिमों को चिंता नहीं रहती थी। लेकिन भाजपा का मुख्यमंत्री बनने की संभावना ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। इस बात को ओवैसी भी समझ रहे हैं...

  • लालू प्रसाद के नाम पर राजद का प्रचार

    बिहार का चुनाव इस बार दिलचस्प होने वाला है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी जनता दल यू की ओर से 2005 के पहले से बिहार की याद दिलाई जा रही है और डराया जा रहा है कि अगर महागठबंधन को वोट दिया तो जंगल राज लौट आएगी। जंगल राज के प्रतीक के तौर पर लालू प्रसाद की तस्वीरें दिखाई जा रही हैं। ध्यान रहे भाजपा और जदयू पिछले 25 साल से लालू प्रसाद की तस्वीर लेकर चुनाव लड़ रहे हैं। यह एनडीए और मीडिया के प्रचार की ताकत थी, जो तेजस्वी यादव भी घबरा गए थे और...

  • अगड़ा-पिछड़ा राजनीति का दांव मुश्किल

    बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी सावधानी से अगड़ा और पिछड़ा का दांव खेलने का प्रयास हो रहा है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता अशोक महतो का यह बयान कि, ‘भूराबाल पूरी तरह से साफ कर देना है’, इसी राजनीति का संकेत है। इससे पहले राजद की प्रवक्ता सारिका पासवान और सवर्ण नेता आशुतोष कुमार के बीच हुई जुबानी जंग और मुकदमेबाजी को भी इसी नजरिए से देखने की जरुरत है। उस समय राजद के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से सामाजिक विभाजन बढ़ाने वाली पोस्ट की गई थी। हालांकि राजद के नेता तुरंत संभल गए और अपने कदम पीछे खींच लिए।...

  • बिहार में शह और मात का खेल

    बिहार की तीनों बड़ी पार्टियां राष्ट्रीय जनता दल, भाजपा और जनता दल यू दबाव में हैं क्योंकि उनकी सहयोगी छोटी पार्टियां तेवर दिखा रही हैं। छोटी पार्टियों को पता है कि चुनाव से पहले गठबंधन बचाने की जिम्मेदारी बड़ी पार्टियों की है और बड़ी पार्टियां उनकी बात मान सकती हैं। इसलिए सबने अपनी अपनी मांग बढ़ा दी है। अगर एनडीए की बात करें तो तीन छोटी पार्टियां हैं, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा। इनमें से चिराग पासवान पिछली बार अकेले लड़े थे और कुशवाहा...

  • राजद, कांग्रेस को सीटें छोड़नी होंगी

    बिहार में विपक्षी गठबंधन की ओर से इस बात का जोर शोर से प्रचार किया गया कि महागठबंधन में दो नई पार्टियों को शामिल किया गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा पहले से झारखंड में महागठबंधन का हिस्सा है लेकिन बिहार में उसके भी साथ आने की घोषणा हुई। इस घोषणा से पहले बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के समापन कार्यक्रम में झारखंड के मुख्यमंत्री और जेएमएम सुप्रीमो हेमंत सोरेन शामिल हुए थे। उनकी पार्टी के अलावा रामविलास पासवान के भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को भी महागठबंधन में शामिल करने का ऐलान...

  • मोदी को गाली और विपक्ष की जिद

    बिहार के दरभंगा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मां की गाली दिए जाने की घटना बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है। इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाने का जितना श्रेय खुद प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी को है उतना ही श्रेय विपक्षी पार्टियों को भी जाता है। कांग्रेस के साथ साथ राजद के नेता अति उत्साह में इसे बड़ा मुद्दा बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं। विपक्ष इस मामले में एक के बाद एक बड़ी गलतियां कर रहा है और भाजपा के बिछाए जाल में उलझता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी पार्टी और उनके इकोसिस्टम ने इस घटना के...

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