आजकल बढ़ते प्रदूषण, धूल, धुआं और अनियमित जीवनशैली की वजह से फेफड़ों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। आयुर्वेद भी मानता है कि प्राण का मार्ग जितना साफ रहेगा, शरीर उतना ही स्वस्थ रहेगा, इसलिए लंग डिटॉक्स आज की जरूरत बन गया है।
आसान शब्दों में कहें तो हमारे फेफड़े शरीर के ऑक्सीजन प्लांट की तरह काम करते हैं। हर मिनट सांस लेते हुए हजारों लीटर हवा को साफ करते हैं। ऐसे में जब हवा ही दूषित हो या हम कम पानी पिएं, स्मोकिंग करें या पूरे दिन बंद कमरों में रहें, तो फेफड़ों में कफ, बलगम और टॉक्सिन जमा होने लगते हैं। इससे सांस लेने में भारीपन, थकान, बार-बार खांसी और इम्यूनिटी कमजोर होने जैसी दिक्कतें सामने आती हैं।
घरेलू नुस्खों की बात करें तो सबसे आसान तरीका हल्दी वाला गुनगुना दूध है। हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो सूजन और बलगम की समस्या को कम करता है। रात को सोने से पहले इसे पीने से फेफड़ों को आराम मिलता है। इसी तरह अदरक और शहद का मिश्रण भी काफी असरदार माना जाता है।
Also Read : कमर दर्द को कहें अलविदा, बस करना होगा अपनी इन आदतों में बदलाव
यह बलगम को ढीला कर देता है और गले में जमा कफ बाहर निकालने में मदद करता है। अगर छाती में जकड़न हो तो तुलसी की भाप लेना भी अच्छा उपाय है। इसकी खुशबू और गुण तुरंत आराम देते हैं। गुड़ और सौंफ का कॉम्बिनेशन भी पाचन और सांस दोनों को हल्का बनाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो कम पानी पीते हैं या लंबे समय तक बैठे रहते हैं।
गिलोय का काढ़ा फेफड़ों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जाना जाता है, वहीं अजवाइन की भाप कफ को ढीला करती है और साइनस-चेस्ट टाइटनेस में राहत देती है। सुबह खाली पेट नींबू पानी पीना भी फेफड़ों की झिल्ली को मजबूत करने में मदद करता है, खासकर उन लोगों के लिए जो स्मोकिंग छोड़ रहे हों। मुलेठी का चूर्ण भी गले की खराश, खांसी और बार-बार सांस अटकने में फायदेमंद माना जाता है।
Pic Credit : ANI


