दिग्विजय बनाम सिंधिया: व्यक्तित्व नहीं संस्कृति का द्वन्द
दिग्विजय सिंह बनाम सिंधिया कोई व्यक्तित्व की लड़ाई नहीं है बल्कि दो राजनीतिक संस्कृतियों की स्पर्धा है। और जब भी व्यक्ति और विचार में द्वन्द होगा तो इतिहास का पलड़ा विचार की ओर ही झुकेगा।…किसी भी नेता पर वार उसके सत्ता के आधार पर ही होता है। यही कारण है की जब भी इन नेताओं की आलोचना होती है तो जहां दिग्विजय सिंह की आलोचना राजनीतिक और वैचारिक स्तर पर होती है वहीं सिंधिया की आलोचना उनके व्यक्तिगत व्यवहार और हाल में लिए दल-बदल के फ़ैसले के लिये होती है।यही मूल राजनीतिक और वैचारिक फ़र्क़ दोनों नेताओं की राजनीति में...