Saturday

14-06-2025 Vol 19

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

बुलबुले हैं, तो फूटेंगे ही!

हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी को की कंपनी पर गंभीर आरोप लगा दिए। इससे विश्वास का संकट खड़ा हुआ और अडानी ग्रुप गहरे संकट में फंस गया है।

म्यांमारः दो साल बाद

अब ऐसा लगता है कि दुनिया म्यांमार के लोगों को उनकी तकदीर के भरोसे छोड़ चुकी है।

आइडिया चाहिए, एकाउंटिंग नहीं

आर्थिक सर्वे से अपेक्षा रहती है कि वह चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था का जो हाल रहा, में उसकी ठोस तस्वीर पेश की जाएगी।

पाकिस्तान में लौटा आतंकवाद

पाकिस्तान के पेशावर में मस्जिद में हुए हमले में 60 से ज्यादा लोगों की मौत ने दशक भर पहले के उस दौर की याद ताजा करा दी है, जब...

सवाल संसद की गरिमा का

अब संसद के हर सत्र की शुरुआत पर संसद की गरिमा का सवाल चर्चा में आता है। जाहिरा तौर पर इसकी वजह गुजरे वर्षों में संसद के अंदर दिखी...

अडानी इज इंडिया!

अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के ठोस आरोपों का जवाब देते हुए अडानी ग्रुप ने इसे भारत पर हमला और भारतीय अर्थव्यवस्था को नष्ट करने की साजिश बताया है।

प्रभावशाली शुरुआत के बाद

राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा की समाप्ति के मौके पर कहा कि जो अभियान उन्होंने छेड़ा है, यह उसका अंत नहीं है।

विकास से उपजी समस्या

इसके पहले हाल में यह खबर आई थी कि देश में पिछले साल बच्चों के जन्म लेने की संख्या में भारी गिरावट आई।

चीन के आगे लाचार?

पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स में से 26 अब भारत के पास नहीं हैं।

पर्यावरण के प्रति लापरवाही

हैदरपुर वेटलैंड क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में आए हजारों विदेशी पक्षी वहां से समय से पहले ही वापस अपने देश चले गए हैं।

प्रतिबंध तेरे रूप अनेक!

सत्ता पक्ष को डॉक्यूमेंटरी से संबंधित अपनी मौजूदा रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।

देसी दवाएः वाजिब सवाल

कोरोना वायरस के खिलाफ एक अभियान के रूप में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पारंपरिक चीनी चिकित्सा को बढ़ावा दिया है।

रोजगार पर गहरी मार

यह खबर सचमुच परेशान करने वाली है कि अमेरिका में बड़ी टेक कंपनियों में जा रही नौकरियों का सबसे बड़ा शिकार वहां रहने वाले भारतीय हुए हैँ।

आर-पार की जंग?

ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जजों की नियुक्ति के मामले में न्यायपालिका की स्वायत्तता को लेकर आर-पार की जंग छेड़ रखी है।

तो कैसे होगा मुक्त व्यापार?

बेडेनोच पिछले महीने भारत आई थीं और यहां मुक्त व्यापार समझौते को लेकर उनकी वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से बातचीत हुई थी।

पाकिस्तान की बदहाली

कपड़ा उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के मुताबिक ये कारोबार बंद होने के कगार पर है। इस कारण हजारों की संख्या में कर्मचारी निकाले जा रहे हैं।

उठे सवाल जायज हैं

बीबीसी ने 2002 के गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि में नरेद्र मोदी के राजनीतिक जीवन पर अभी डॉक्यूमेंटरी क्यों बनाई, यह सवाल जायज है।

जलवायु परिवर्तन की मार

जलवायु परिवर्तन का असर अब दुनिया पर इतनी तेजी से दिखने लगा है कि ऐसी आपदाएं अब आम खबर जैसी हो गई हैं।

ये कैसा डेमोग्राफिक डिविडेंड?

यह आम निष्कर्ष रहा कि आधे से ज्यादा बच्चे अपनी क्लास से दो क्लास नीचे के टेक्स्ट ठीक से नहीं पढ़ पाते।

सद्भावना का बुलबुला

अचानक यथार्थ से परिचित कोई नेता सद्भावना भरी बातें कह डालता है, लेकिन उसकी भावनाएं क्षणिक बुलबुला ही साबित होती हैं।

विज्ञान की बड़ी सफलता

भारत में हर साल सैकड़ों लोग बिजली गिरने से मर जाते हैं। पिछले साल आई खबरों के मुताबिक इस कारण नौ सौ से अधिक मौतें हुईं।

कोई राह निकलेगी?

स्विट्जरलैंड के दावोस में हर साल होने वाला 'वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम' एक महत्त्वपूर्ण आयोजन है, जिसकी चर्चाएं अक्सर सुर्खियों में रहती हैं।

ये सीधा प्रहार है

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजुजू का कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधि की भागीदारी के लिए सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखना न्यायिक स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार माना जाएगा।

इसका उपाय क्या है?

सवाल यह चर्चित रहा है कि जिस समय सीमा पर तनाव बढ़ता चला गया है, उस समय आखिर व्यापार संबंध और प्रगाढ़ होने को कैसे स्वीकार किया जा सकता...

अब प्रश्न औचित्य का

नदी में पानी आता है, तो सबकी नाव ऊंची होती है- यह कहावत अक्सर नव-उदारवादी अर्थव्यवस्था के औचित्य को सही ठहराने के लिए कही जाती है।

ये कारगर उपाय है?

भारत सरकार कश्मीर में हजारों ग्रामीणों को हथियारबंद करने की योजना पर फिर अमल कर रही है।

‘हाथ’ से जुड़ेंगे हाथ?

कांग्रेस के नजरिए से यह अच्छी बात है कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ ही संगठन को सक्रिय रखने की योजना पार्टी नेतृत्व ने घोषित कर दी है।

राजस्थान बोर्ड 10वीं-12वीं की परीक्षा डेट घोषित, जान लें पूरा शेड्यूल

आरबीएसई 10वीं की परीक्षाएं 15 मार्च से शुरू होंगी और 11 अप्रैल 2023 तक चलेंगी। जबकि, 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 09 मार्च 2022 से शुरू होकर 12 अप्रैल 2023...

जटिल समस्या, कठिन समाधान

उत्तराखंड में जोशीमठ के बाद खबर है कि कर्णप्रयाग में भी कई मकानों में दरार आ गई है।

भड़की भावनाओं का टकराव

जब किसी देश या समाज में ‘भावनाएं’ राजनीति और संस्कृति के केंद्र में आ जाती हैं, तो उसका क्या नतीजा होता है, इसकी एक ताजा मिसाल झारखंड में देखने...

चीन में कोरोना नियंत्रित?

निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि देश को फिर से खोलने से 17 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में फिर से जान आ सकती है

नेपाल से नई चुनौती

कम्युनिस्ट पार्टियों और कई अन्य दलों को एक मंच पर लाने के पीछे चीन की भी भूमिका रही है।

एक खतरा यह भी

बेकार पानी को साफ करके पीने के पानी में बदलने वाले ट्रीटमेंट प्लांट एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) पैदा करने का बड़ा ठिकाना बन रहे हैं। इसकी वजह पानी में एंटीबायोटिक...

एकरूपता थोपने की जिद

तमिलनाडु विधानसभा में सोमवार को जो हुआ, वह कतई अच्छा संकेत नहीं है। इस घटना से राज्यपालों की भूमिका एक बार फिर सवालों के घेरे में आई है।

डिजिटल भारत की हकीकत

डिजिटल भारत का शोर हकीकत से दूर है। असल सूरत यह है कि भारत में इंटरनेट का प्रसार लगभग स्थिर हो गया है। और यह सूरत खुद सरकारी आंकड़ों...

लोकतंत्र का यह दौर!

यह लोकतंत्र का कैसा दौर है? समाजों में बढ़ते ध्रुवीकरण के साथ चुनाव नतीजों को सहजता से स्वीकार कर लेने का चलन कमजोर पड़ता जा रहा है।

चीन के दावे पर चिंता

अगर सचमुच चीन के शोधकर्ताओं ने दुनिया के किसी भी ऑनलाइन इन्क्रिप्शन (पासवर्ड) को भेदने की सक्षता हासिल कर ली है, उससे तमाम देशों का चिंतित होना लाजिमी है।

सार्वजनिक या निजी हित?

बीते हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी। ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 19,744 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है।

ब्रिटेन में भारतीय छात्रों के लिए पढ़ाई मुश्किल

ब्रिटेन ने भले ही इस वर्ष सबसे अधिक संख्या में भारतीयों को छात्र वीजा जारी किए हों, लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण जीवनयापन करना मुश्किल हो गया है।

यूरोप का असमंजस

चीन को दंडित करने का जब कभी मौका सामने आए, यूरोप में उत्साह दौड़ उठता है। लेकिन जब उसके आर्थिक परिणामों पर ध्यान जाता है, तो यूरोपीय देशों का...

यूएनः सवाल और भी हैं

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा ढांचे पर वाजिब सवाल उठाए हैं। उनकी इस बात से शायद ही कोई असहमत होगा कि यह ढांचा वर्तमान विश्व...

विपक्षी स्वरों को जोड़ना

भारत जोड़ो यात्रा के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने से पहले यह सवाल उठा कि क्या राहुल गांधी का यह प्रयास विपक्षी दलों को एक साथ लाने में कामयाब...

ये रहस्यमय मौतें!

ओडिशा में एक के बाद एक तीन रूसी नागरिकों की मौत की खबर रहस्यमय है। अगर आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी को मानें, तो यह महज एक संयोग...

नोटबंदी पर अपेक्षित फैसला

इस निर्णय से विपक्षी समूहों को यह सबक लेना चाहिए कि हर चीज को न्यायपालिका के दायरे में ले जाना सही रणनीति नहीं है।

आर्थिक तर्क के अनुरूप

एक अमेरिकी अखबार के विश्लेषण के मुताबिक बीते साल अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में चीन को अलग-थलग करने की अमेरिकी रणनीति एशिया में कामयाब नहीं हुई।

अब यूक्रेन युद्ध किधर?

यूक्रेन में रूस की विशेष सैनिक कार्रवाई पिछले साल की सबसे चर्चित अंतरराष्ट्रीय घटना रही। उसके प्रभाव लंबे समय तक दुनिया में देखने को मिलेंगे।

काल्पनिक भेड़िये का भय?

कोरोना संक्रमण की नई लहर को लेकर भारत में बनाभय, इस बात की ही मिसाल है कि देश में मेडिकल हालात के राजनीतिक दुरुपयोग की प्रवृत्ति किस हद तक...