Sunday

15-06-2025 Vol 19

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

चीन की बढ़ती चिंताएं

चीन की 5-जी कंपनियों के कुछ हिस्सों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी हो रही है।

अफवाहों पर टिकी सियासत

तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले की अफवाह को लेकर जैसी सियासत गरमाई, वह आज के भारत का आईना है।

बदहाली की गहरी जड़ें

पाकिस्तान बदहाल है। डिफॉल्टर होने से वह कब तक बच पाएगा, यह कहना लगातार कठिन बना हुआ है।

चेतावनी में दम है

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आगाह किया है कि भारत के फिर से ‘हिंदू रेट और ग्रोथ’ में फंस जाने का अंदेशा है।

जहां मोटापा है समस्या

जिस समय दुनिया में बढ़ती गरीबी और कुपोषण की चर्चा है, उसके बीच अचानक मोटापे की समस्या पर बात होने लगे, तो यह बहुत से लोगों को अजीब-सा लगेगा।

विपक्षी एकता की मरीचिका

देश में बुद्धिजीवियों के एक हिस्से में मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के राज से मुक्त होने एक बेसब्री है।

सब ताकत का खेल

अब तक दुनिया में समझौतों से एकतरफा ढंग से हटना पश्चिमी देशों (खास कर अमेरिका) का विशेषाधिकार समझा जाता था।

नई दुनिया की हकीकत

नई दिल्ली में गुजरे हफ्ते हुई कूटनीतिक घटनाओं ने यह साफ कर दिया कि गुजरे दौर में बने मंच अप्रासंगिक हो रहे हैं। जबकि नए दौर में बने मंचों...

दो पाटन के बीच में…

पाकिस्तान सरकार के लिए यह समझना टेढ़ी खीर हो गया है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) उसे 6.5 बिलियन डॉलर के मंजूर कर्ज की किस्तें जारी क्यों नहीं कर...

उत्तर-पूर्व का संदेश

उत्तर-पूर्व के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों से एक बार फिर भारतीय राजनीति के बदले संदर्भ बिंदु की पुष्टि हुई है।

खतरे में जैव विविधता

जैव विविधता खतरे में है, यह कोई नई जानकारी नहीं है। लेकिन इस बारे में आने वाली हर नई जानकारी चिंता बढ़ाती है, तो इसलिए कि इसका असर मनुष्य...

अब तो खुला खेल है

प्रसार भारती ने अपने सूचना स्रोत के लिए हिंदुस्थान समाचार नाम की एजेंसी का चयन किया, इसे सूचना स्रोतों को विविध बनाने की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में...

कारोबारी करार की तलाश

यह साफ है कि जर्मनी के चांसलर ओलोफ शोल्ज भारत में सौदों की तलाश में आए थे।

कानूनी या सियासी कार्रवाई?

यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। इससे देश में तनाव और ध्रुवीकरण का माहौल लगातार तीखा हो रहा है।

सिसोदिया का काम कौन संभालेगा?

दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन हवाला के मामले में गिरफ्तार होकर जेल गए तो उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उनका काम संभाला था।

दुनिया में बढ़ती दूरियां

पश्चिम ने रूस को अलग-थलग करना चाहा, लेकिन नाकाम रहा। दुनिया के हर देश ने यूक्रेन युद्ध पर क्या रुख लिया, इसका विवरण इसमें दिया गया।

इरादों के दस्तावेज

कांग्रेस पार्टी ने अपने रायपुर महाधिवेशन में “देश को वर्तमान पीड़ा और अंधकार से मुक्त” कराने का संकल्प जताया।

यह कैसे संभव है?

‘वारिस पंजाब दे’ नाम के संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने अपनी उग्र गतिविधियों और बयानों से जरनैल सिंह भिंडरावाले की याद दिला दी है।

यह कैसे संभव है?

पंजाब में एक व्यक्ति खुलेआम खालिस्तान की वकालत करे, उसके एक साथी को रिहा कराने के लिए उसके सैकड़ों समर्थक अमृतसर में एक थाने पर धावा बोल दें

लोकगीत से सरकार का डरना!

नेहा को नोटिस इस बात का प्रमाण है कि सरकारी नैरेटिव से अलग कोई बात समाज में जाए, यह सरकार को मंजूर नहीं है।

चीन की पहलकदमियां

पिछले साल अप्रैल में चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने वैश्विक विकास पहल की धारणा पेश की थी।

खतरा गहराने का संकेत

सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस में अमेरिका की तर्ज पर स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन की शुरुआत की गई थी।

ब्रिटेन की ये बदहाली

यह सुनना आश्चर्यजनक लगता है कि जिस देश के साम्राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता था, वहां के लोग आज दाने-दाने के लिए मोहताज हो रहे हैँ।

बस अच्छा-अच्छा देखो!

भारतीय मीडिया के एक हिस्से ने जिस तरह इंटरव्यू में से भारतीय अर्थव्यवस्था की सकारात्मक छवि निकालने की कोशिश की है

निष्पक्षता पर गहराते प्रश्न

जबकि लोकतंत्र का टिकना न्याय में भरोसे के आम सिद्धांत पर आधारित है। यह भरोसा कमजोर पड़ता दिख रहा है।

गृह युद्ध का रास्ता

म्यांमार में पहले से गृह युद्ध जैसी स्थितियां हैं। अब ऐसा लगता है कि वहां सैनिक शासकों ने इसे भड़काने की राह चुनी है।

बदहाली का फैलता दायरा

इस खबर की खास चर्चा हुई है कि कैसे बीते पांच साल में भारत के 72 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु और मध्यम कारोबारियों की आमदनी बिल्कुल नहीं बढ़ी है।

इतनी नज़ाकत ठीक नहीं

अडानी प्रकरण के भारत की राजनीति पर संभावित परिणाम के बारे में सोरस ने जो कहा, वह विशुद्ध रूप से उनकी अपनी राय है, जिससे असहमत हुआ जा सकता...

उठी आवाजें महत्त्वपूर्ण हैं

प्रेस फ्रीडम के बारे में जब अगली इंडेक्स रिपोर्ट आएगी, तब भारत सरकार उसे फिर चुनौती देगी, यह अनुमान लगाया जा सकता है।

ये स्लोडाउन के संकेत हैं

इस वर्ष जनवरी में भारत का निर्यात गिरा और आयात उससे भी ज्यादा गिरा। नतीजा यह हुआ कि व्यापार घाटा उसके पहले के महीने की तुलना में कम हो...

बदहाली का यह आलम

अफसोस सिर्फ यह है कि यह दुर्दशा फिलहाल राष्ट्रीय चर्चा के एजेंडे पर कहीं नजर नहीं आती।

उनसे उम्मीद ना रखें

एयर इंडिया, बोइंग और एयरबस तीनों प्राइवेट कंपनियां हैं। एयर इंडिया ने विमान खरीदने का सौदा अमेरिका की बोइंग और फ्रांस की एयरबस से किया है।

सतर्क होने की जरूरत

कोरोना महामारी अपने पीछे कुछ समस्याएं ऐसी छोड़ गई है, जिसके परिणाम लोगों को लंबे समय तक भुगतने पड़ सकते हैँ

एतराज की बात तो है

जस्टिस एस अब्दुल नजीर को राज्यपाल बनाए जाना बेनजीर घटना तो नहीं है, फिर भी उस पर जताए जा रहे एतराज का संदर्भ है।

जब निशाने पर गुब्बारे हों!

यह तो साफ है कि अमेरिकी वायु क्षेत्र में चीनी गुब्बारे के प्रवेश ने दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ा दिया है।

फिर संसद का क्या मतलब?

संसद के मौजूदा सत्र में दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को लेकर विपक्ष में जो रोष नजर आ रहा है, उस पर गंभीरता से चर्चा किए जाने की जरूरत...

भरोसा क्यों डोल रहा है?

जिस देश से उसके अपने नागरिकों का भरोसा डोलने लगे, उसके भविष्य के बारे में चिंतित होने की ठोस वजह रहती है।

संदेह का निवारण जरूरी

महाराष्ट्र के पत्रकार शशिकांत वारिशे की हत्या का मामला देर से चर्चित हुआ। लेकिन इस कांड से संबंधित जानकारियां सामने आने के बाद कई गंभीर शक पैदा हुए हैं।

विक्टिम कार्ड का सहारा

उचित यह होता कि नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस का जवाब देते समय उठाए गए सवालों के तथ्यपरक जवाब देश के सामने रखते। लेकिन उन्होंने अडानी...

नेपाल में भू-राजनीतिक होड़

यह बात नेपाल के टीकाकार भी कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में आज उनके देश को जितना महत्त्व मिल रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ।

प्रत्यारोप जवाब नहीं होते

देश-दुनिया में बहुत सी बातें अनुभवजन्य होती हैं। उनके कोई लिखित सबूत नहीं होते, लेकिन इनसान उसमें इसलिए भरोसा करता है, क्योंकि उसके पास ऐसा करने के कारण होते...

फैसला तो लेना ही होगा

भारत सरकार को 28 हजार करोड़ रुपये का भुगतान रूस को करना है। लेकिन रूस डॉलर में यह रकम लेने से मना चुका है।

रिश्तों का गुब्बारा फूटा

जब रिश्तों को बनावटी ढंग से गुब्बारे की तरह उड़ाने की कोशिश की जाए, उनके कभी भी पंक्चर हो जाने की स्थिति बनी रहती है।

डंडे से समाज सुधार

सरमा को खुद से पूछना चाहिए कि मध्य और समृद्ध वर्ग के परिवारों में बाल विवाह क्यों नहीं होते?

भारत और परवेज मुशर्रफ

परवेज मुशर्रफ नहीं रहे। करीब नौ साल तक देश पर राज करने वाले जनरल मुशर्रफ का रविवार को दुबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।

बात अडानी तक नहीं

बीते 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ अडानी ग्रुप के बारे में रिपोर्ट जारी करने से मची उथल-पुथल अब सिर्फ इसी उद्योग समूह का संकट नहीं रह गई...

सुधार का विकल्प नहीं

इस वक्त एक ऐसी स्थिति हमारे सामने है, जब भारत के तीन पड़ोसी देश आर्थिक संकट में फंस चुके हैँ।

साहस कहें या दुस्साहस?

आप चाहें, तो इसे साहस या आत्म-विश्वास कह सकते हैं। किसी और नजरिए से इसे दुस्साहस या अति आत्म-विश्वास भी कहा जा सकता है।