Sunday

15-06-2025 Vol 19

जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग मुश्किल

8 Views

ऐसा लग रहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा किसी उच्च अदालत के पहले जज होंगे, जो महाभियोग के जरिए हटाए जाएंगे। लेकिन अब यह मुश्किल लग रहा है। कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने महाभियोग प्रस्ताव को अटकाने का फैसला किया है। प्रक्रियागत मामलों में इसको अटकाया जा रहा है। सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और समाजवादी पार्टी की मदद से निर्दलीय राज्यसभा पहुंचे कपिल सिब्बल ने अड़ंगा लगाया। उन्होंने प्रक्रिया का मुद्दा उठाया। सिब्बल कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं और किसी पार्टी से नहीं जुड़े हैं। लेकिन उनको समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा भेजा तो कहने की जरुरत नहीं है कि कांग्रेस और सपा के जो साझा राजनीतिक हित हैं वही हित कपिल सिब्बल का भी है। सो, भले वे प्रक्रिया का मामला उठा रहे हैं लेकिन उसके पीछे कहीं न कहीं राजनीति है। जस्टिस वर्मा इसको समझ रहे हैं तभी उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार किया हुआ है।

कुछ दिन पहले जब लग रहा था कि सभी पार्टियां महाभियोग पर सहमत होंगी तब जस्टिस वर्मा के करीबी सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि वे इस्तीफा दे सकते हैं। ध्यान रहे दिल्ली स्थित उनके आवास से पांच पांच सौ रुपए के नोटों के बंडल मिलने के बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने उनको इस्तीफे का विकल्प दिया था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था। अब अगर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और दूसरी भाजपा विरोधी पार्टियां अगर महाभियोग की प्रक्रिया को अटकाती हैं तो जस्टिस वर्मा इस्तीफा नहीं देंगे। हालांकि जब से उनको दिल्ली से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजा गया है उनको कामकाज नहीं आवंटित हुआ है। वे बिना काम के जज हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि वे मान अपमान की भावना से ऊपर उठ गए हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने बचाव में यह आधार बनाया है कि उनके घर से जिस नोटों के बंडल की बरामदगी की बात हो रही है वो नोट कहां हैं? उनका कहना है कि जब वे लौट कर आए तो उनके घर पर नोटों के बंडल नहीं मिले थे। उनके हिसाब से सिर्फ नोटों का वीडियो है, नोट नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने हाई कोर्ट के तीन जजों की एक कमेटी बनाई थी। उस इन हाउस जांच की रिपोर्ट उन्होंने सरकार को भेज दी है। उस रिपोर्ट में नोटों के बंडल मिलने की पुष्टि की गई और आधार पर चीफ जस्टिस खन्ना ने इस्तीफा देने को कहा था।

लेकिन अब सिब्बल ने प्रक्रिया का सवाल उठाते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर संसद में महाभियोग नहीं चल सकता है। सिब्बल के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वकील विवेक तन्खा ने भी कहा कि जजेज इन्क्वायरी एक्ट के तहत ही जस्टिस वर्मा को हटाया जाना चाहिए। जजेज इन्क्वायरी एक्ट का मतलब है कि नकदी बरामदगी मामले की जांच के लिए एक नई कमेटी बने। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के एक जज, किसी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और एक न्यायविद शामिल हों। अगर उनकी रिपोर्ट में नकदी बरामदगी की बात साबित होती है तो महाभियोग चलाया जाए। कांग्रेस ने साफ कहा है कि अगर प्रक्रिया और नियम का पालन नहीं किया जाता है तो वह महाभियोग का समर्थन नहीं करेगी। अगर कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां समर्थन नहीं करेंगी तो महाभियोग प्रस्ताव पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत नहीं पूरा होगा।

NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *