सर्वजन पेंशन योजना
  • लॉकडाउन की बरसी पर कुछ सवाल

    भारत में जो भी होता है वह ‘दुनिया में सबसे बड़ा’ होता है, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते रहे हैं। जैसे उन्होंने 16 जनवरी को दुनिया के ‘सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान’ की शुरुआत की  थी वैसे ही पिछले साल 24 फरवरी को रात आठ बजे ऐलान किया था कि घड़ी की सुई जब 12 बजने का इशारा करेगी और कैलेंडर में तारीख बदलेगी वैसे ही देश में दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन चालू हो जाएगा। उन्होंने देश के लोगों को इस लॉकडाउन के लिए तैयारी करने के वास्ते सिर्फ चार घंटे का समय दिया। जब उन्होंने काले धन के खिलाफ...

  • बंगाल में एडवांटेज ममता है!

    पश्चिम बंगाल में अगले चार महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए चुनाव लड़ेंगी तो भाजपा पहली बार सत्ता हासिल करने के लिए लड़ेगी। वाम मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन करके लड़ेंगे, लेकिन उनकी लड़ाई अपनी प्रासंगिकता और पहचान बचाए रखने की लड़ाई होगी। पिछले चुनाव में भी समूचा लेफ्ट मोर्चा राज्य की 294 में से महज 26 सीटें हासिल कर पाया था। सोचें, तीन दशक से ज्यादा समय तक राज करने वाली पार्टी विधानसभा की दस फीसदी सीटें भी नहीं जीत पाई! लेफ्ट के साथ लड़ने का कांग्रेस को कुछ...

  • जम्मू कश्मीर चुनाव के सबक

    जम्मू कश्मीर में हुए जिला विकास परिषद यानी डीडीसी चुनाव के नतीजों के कई सबक हैं और साथ ही सवाल भी। इनमें से कुछ सवाल पूरे देश के लिए हैं और कुछ वहां के स्थानीय नागरिकों और पार्टियों के लिए। जैसे सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि इन नतीजों के बाद क्या अब इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन पर सवाल उठाने वाले नेता और बौद्धिक चुप हो जाएंगे? अब बैलेट पेपर से भी भाजपा जीत रही है। हाल में दो चुनाव बैलेट पेपर से हुए, जिनमें भाजपा ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। एक चुनाव ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम का था, जिसमें...

  • भाजपा के लिए आसान नहीं होगा बिहार

    बिहार चुनाव में पहली बार ऐसा हुआ है कि कंट्रोल भारतीय जनता पार्टी के हाथ में रहा। चुनाव का एजेंडा भले तेजस्वी यादव ने सेट किया पर भाजपा ने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। भाजपा का पूरा ध्यान इस पर था कि उसे सबसे बड़ी पार्टी बनना है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि भाजपा आखिर इतने भरोसे में कैसे थी, जो उसने नीतीश कुमार को हरवाने की जोखिम ली? क्या भाजपा अपने वोट आधार को लेकर पूरी तरह से भरोसे में थी और उसे पता था कि भले नीतीश हारें, लेकिन वह जीतेगी? भाजपा ने चुनाव...

  • ‘लव जिहाद’ पर इतनी बहस क्यों?

    देश में इस समय कोरोना वायरस के केसेज फिर से बढ़ने शुरू हो गए हैं। कम से कम चार राज्यों में केसेज तेजी से बढ़ रहे हैं और सर्दियों में संक्रमण और मरने वालों की संख्या दोनों में इजाफे का अनुमान है। अर्थव्यवस्था का संकट भी सबके सामने है। आर्थिकी के पटरी पर लौटने के सरकार के सारे दावों के बावजूद हकीकत है कि अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठा है और इस पूरे वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद, जीडीपी की दर निगेटिव रहने वाली है। यह बात वित्त मंत्री खुद मान चुकी हैं। इसके बावजूद भारत में किस बात पर...

  • जीएसटी व्यवस्था का क्या भविष्य?

    क्या भारत में ‘एक देश, एक कर’ की व्यवस्था फेल हो गई है? क्या अप्रत्यक्ष कर के सबसे बड़े सुधार यानी जीएसटी को देश ने खारिज कर दिया है? ऐसा कहना जल्दबाजी है, लेकिन कई राज्यों ने यह कहना शुरू कर दिया है। दशहरा के मौके पर अपनी पार्टी की रैली में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि जीएसटी से आगे देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर टैक्स का यह सिस्टम काम नहीं करता है तो सरकार को पुराने सिस्टम को वापस लाना चाहिए। यह बहुत साहसी बयान है। परंतु ऐसा लग रहा है कि राज्य...

  • आर्थिकी, चीन, कोरोना क्यों नहीं हैं मुद्दा?

    बिहार में विधानसभा का चुनाव प्रचार अब तेजी पकड़ने लगा है। आखिरी चरण के नामांकन का काम पूरा होना है लेकिन दो चरणों में डेढ़ सौ से ज्यादा सीटों के लिए प्रचार शुरू हो गया है। भाजपा के राष्ट्रीय नेता चुनाव प्रचार में उतर गए हैं और बिहार की क्षेत्रीय पार्टियों का प्रचार तो पहले से ही गरमाया हुआ है। पर हैरानी की बात है कि पूरे बिहार चुनाव में देश की अर्थव्यवस्था कोई मुद्दा नहीं है। चीन के भारतीय सीमा पर डटे होने और भारत की जमीन कब्जाने का मुद्दा भी बिहार के चुनाव में नहीं उठाया जा रहा...

  • वैक्सीन की चर्चा क्यों थम गई?

    पिछले दो हफ्ते से कोरोना वायरस की वैक्सीन की चर्चा थम गई है। कहीं से कोई खबर नहीं आ रही है कि कहां वैक्सीन का परीक्षण किस चरण में है और क्या नतीजे आ रहे हैं। दो हफ्ते पहले इसका डेली अपडेट आता था। कई वेबसाइट तो सिर्फ वैक्सीन को ट्रैक करने के नाम पर बनी हैं। लेकिन इन दिनों सब खामोश हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि रूस ने एक महीने पहले दावा किया कि उसने वैक्सीन बना ली। स्पूतनिक वी नाम की इस वैक्सीन को सरकार ने रजिस्ट्रेशन भी दे दिया, जिसका मतलब है कि वैक्सीन...

  • सरकार कब गंभीर होगी?

    यह लाख टके का सवाल है कि केंद्र की सरकार देश के सामने आसन्न संकटों को लेकर कब गंभीर होगी? कोरोना वायरस के झूठे-सच्चे आंकड़ों की बजाय वास्तविकता को समझते हुए इससे निपटने की कारगर रणनीति कब बनाएगी? आर्थिकी के पटरी पर लौटने का दावा करने के लिए इधर-उधर के छिटपुट आंकड़ों को छोड़ कर अर्थव्यवस्था की जमीनी स्थिति को कब समझेगी? राफेल विमान की वजह से चीन के दुम दबा कर भाग जाने के सरासर झूठे प्रचार को छोड़ कर कब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन को पीछे हटाने का प्रयास करेगी? हमने दुनिया के देशों की मदद की...

  • फिर संसद की जरूरत क्या है?

    संसद का मॉनसून सत्र महज 18 दिन का होना था और वह भी दस दिन में ही खत्म कर दिया गया। सत्र चला भी तो उसमें कई संसदीय गतिविधियों को सीमित कर दिया गया। सत्र के दौरान मोटे तौर पर सिर्फ सरकारी कामकाज हुआ। सिर्फ खानापूर्ति के लिए कुछ मसलों पर चर्चा हुई। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को लेकर संसद में चर्चा नहीं की गई। देश की अर्थव्यवस्था भयावह स्थिति में है। पर उसके बारे में भी संसद में कोई चर्चा नहीं हुई। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ कई महीनों से गतिरोध चल रहा है। चीनी...

  • 51 लाख मामलों से आगे क्या?

    भारत में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या 51 लाख का आंकड़ा पार कर गई है। पांच मिलियन का आंकड़ा एक बड़ा माइलस्टोन है। दुनिया में सिर्फ दो ही देशों ने इस आंकड़े को पार किया है। अमेरिका को 50 लाख संक्रमितों का आंकड़ा पार करने में 199 दिन लगे थे, जबकि भारत ने यह आंकड़ा 230 दिन में पार किया। पर यह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि अमेरिका में अब संक्रमितों का आंकड़ा धीमा हो गया है और भारत में तेज हो गया है। अगर पिछले तीन महीने का औसत देखेंगे तो संक्रमितों की संख्या के लिहाज से भारत...

  • अनलॉक कर देने से सब ठीक नहीं होगा

    सरकार इस बात को क्यों नहीं समझ रही है कि सिर्फ अनलॉक कर देने से यानी सब कुछ खोल देने से सब ठीक नहीं होगा! सब कुछ ठीक करने के लिए कुछ प्रयास करने होंगे। वह प्रयास कहीं नहीं दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि सरकार थोड़े से बहुत सरल उपायों के भरोसे बैठी है और उम्मीद कर रही है कि सब कुछ इसी से ठीक हो जाएगा। जैसे कोरोना वायरस का संकट शुरू होने के बाद सरकार ने कोरोना का संक्रमण रोकने का यह सरल उपाय निकाला कि पूरे देश में पूरी तरह से बंद कर दिया...

  • कोरोना से लड़ाई में डब्लुएचओ की भूमिका!

    विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्लुएचओ का ऐसा लग रहा है कि एकमात्र काम कोरोना वायरस को लेकर पैनिक बनाना, लोगों में घबराहट पैदा करना, डराना और लॉकडाउन लगवाए रखना हो गया है। जब भी कोरोना वायरस से लड़ने के प्रयासों को लेकर कोई सकारात्मक खबर आती है तब सबसे पहले डब्लुएचओ उसका खंडन करने के लिए आगे आता है। हालांकि जब उसकी भूमिका की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब उसने चुप्पी साध ली थी। पिछले साल नवंबर-दिसंबर का समय सबसे अहम था, जब ताइवान जैसे देश ने डब्लुएचओ को बता दिया था कि चीन में ऐसा वायरस निकला है, जो इंसान...

  • कश्मीर की साझा लड़ाई कहां पहुंचेगी?

    जम्मू कश्मीर में एक साझा लड़ाई की तैयारी हो रही है। राज्य की छह राजनीतिक पार्टियां एक साथ आई हैं और उन्होंने एक संकल्प पारित किया है। इसमें जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की गई है और साथ ही यह भी मांग की गई है कि अनुच्छेद 370 बहाल किया जाए। यह मांग करने वाली पार्टियों में राज्य की दो मुख्य प्रादेशिक पार्टियां- नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी तो है ही साथ में कांग्रेस पार्टी और सीपीआई भी शामिल है। ये दोनों राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां हैं और अगर जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद...

  • सोशल मीडिया है दोधारी तलवार

    सोशल मीडिया को लेकर इन दिनों देश में तूफान आया हुआ है। कांग्रेस पार्टी के नेता आरोप लगा रहे हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक भाजपा के लिए काम कर रहा है। फेसबुक पर भाजपा नेताओं की ओर से डाले गए नफरत फैलाने वाले कंटेंट को बढ़ावा देने के आरोप लगाते हुए कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि इसकी संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराई जाए, जिसे भाजपा ने ठुकरा दिया है। खबर है कि सूचना तकनीक मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस के नेता शशि थरूर फेसबुक को तलब करेंगे। यह भी खबर...

  • राज्य कैसे हरा पाएंगे कोरोना को?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंबे अरसे के बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दस राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की। वो दस राज्य, जहां कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप है, जहां सबसे ज्यादा नए केसेज आ रहे हैं और जहां सबसे ज्यादा एक्टिव केसेज हैं, उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से प्रधानमंत्री ने जमीनी हालात जाने। सभी मुख्यमंत्रियों ने अपनी अपनी बात कही और अंत में प्रधानमंत्री ने अपने चिर-परिचित अंदाज में बहुत सारी अच्छी-अच्छी बातें कहीं। वे हमेशा अच्छी और बड़ी बातें कहते हैं। उन्होंने राज्यों के नाम लेकर कहा कि उनके यहां कोरोना वायरस की टेस्टिंग बढ़ाई जानी चाहिए।...

  • कोरोना की लड़ाई क्या भारत हार रहा?

    कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई क्या भारत हार रहा है? इस समय कोई इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भले केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को इस बारे में नसीहत दे रहे हैं और कोरोना से लड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं पर वे भी अपनी पार्टी के शासन वाले राज्यों को छोड़ कर ही यह बात कहते हैं। ऐसा लग रहा है, जैसे कांग्रेस के शासन वाले राज्यों में कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीती जा रही है और दूसरी जगह पर लड़ाई हार रहे हैं। असलियत यह...

  • डब्लुएचओ का डराने का काम

    कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के पिछले सात महीने के समय में विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्लुएचओ की क्या भूमिका रही है? यह पूरी दुनिया में गंभीर चर्चा का विषय है और निश्चित रूप से यह महामारी खत्म होने के बाद गंभीरता से इसकी जांच होनी चाहिए। डब्लुएचओ ने क्यों समय रहते इस वायरस के बारे में दुनिया को जानकारी नहीं दी? उसने ताइवान की ओर से दी गई सूचना की क्यों अनदेखी की? क्या उसने चीन को बचाने का प्रयास किया? उसने क्यों इसे महामारी घोषित करने में देरी की? ऐसे सैकड़ों सवाल हैं, जिनका ईमानदारी से जवाब मांगा जाना...

  • अब बढ़ानी होगी इलाज की सुविधा

    कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई अब बहुत गंभीर दौर में पहुंच गई है। अब पहले के मुकाबले इस बात की ज्यादा जरूरत है कि इलाज की सुविधा को बेहतर किया जाए। साथ ही टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाई जाए और इस बात पर ध्यान दिया जाए कि गंभीर संक्रमण वाले मरीजों को कैसे बेहतर सुविधा दी जाए। इसका मतलब यह है कि क्रिटिकल केयर सिस्टम को यानी गंभीर मरीजों के इलाज की सुविधा पर अब सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अब संक्रमण की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भले उसमें से ज्यादातर...

  • दवा का खेल रोके सरकार

    भारत में सरकारें मास्क की कालाबाजारी नहीं रोक सकीं और न नकली सैनिटाइजर का उत्पादन और उसकी भी कालाबाजारी रोकी जा सकी। ऐसे ही अब कोरोना वायरस के संक्रमितों का जीवन बचाने वाली दवाओं की कालाबाजारी भी नहीं रोकी जा रही है। हैरानी की बात है कि सब कुछ सरकार की नाक के नीचे हो रहा है, मीडिया में खबरें भी आ रही हैं और इसके बावजूद सरकार इसे नहीं रोक पा रही है। सवाल है कि ऐसा क्यों हो रहा है? इसके कई कारण हैं। पर पहला कारण तो खुद सरकार है, जिसने गिलियड साइंस की दवा रेमडिसिविर को...

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