Wednesday

09-07-2025 Vol 19
तमिलनाडु में स्टालिन को चुनौती

तमिलनाडु में स्टालिन को चुनौती

पता नहीं स्टालिन यह देख पा रहे हैं या नहीं कि वे विरोध की राजनीति का जो झंडा उठाए घूम रहे हैं उनसे इन दोनों प्रतिद्वंद्वी पार्टियों का कोई...
अभिव्यक्ति की रक्षा अदालतों के हवाले!

अभिव्यक्ति की रक्षा अदालतों के हवाले!

अभिव्यक्ति की आजादी को लोकतंत्र की प्राथमिक शर्त के तौर पर स्वीकार किया गया है।
राजभवनों की क्या सक्रियता कम होगी?

राजभवनों की क्या सक्रियता कम होगी?

पता नहीं लोकतांत्रिक गणतंत्र भारत संविधान आधारित संसदीय प्रणाली की शासन व्यवस्था की हिप्पोक्रेसीज यानी दोहरे रवैए से कब मुक्त होगा?
कर्ज लेकर दाल-रोटी चला रहे हैं लोग

कर्ज लेकर दाल-रोटी चला रहे हैं लोग

कर्ज लेकर घी पीने का एक दर्शन भारत में रहा है। चार्वाक ऋषि को इस दर्शन का प्रणेता माना जाता है।
पीयूष गोयल ने बड़ी हिम्मत दिखाई

पीयूष गोयल ने बड़ी हिम्मत दिखाई

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मुंबई में रहते हैं और इस बार तो राज्यसभा छोड़ कर मुंबई की एक सीट से लोकसभा का चुनाव जीते हैं।
कांग्रेस कोशिश तो कर रही है

कांग्रेस कोशिश तो कर रही है

अगर कोशिशों के लिए नंबर देना हो तो कांग्रेस को 10 में से 10 नंबर दिए जा सकते हैं। कुछ समय पहले तक वह कोशिश भी नहीं कर रही...
आरएसएस की सदिच्छा और जमीनी हकीकत

आरएसएस की सदिच्छा और जमीनी हकीकत

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के नंबर दो पदाधिकारी यानी सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने काशी में ज्ञानवापी और मथुरा में शाही ईदगाह के सर्वे को लेकर बड़ी बात कही है।
नेपाल में क्या संभव है राजशाही?

नेपाल में क्या संभव है राजशाही?

वैसे तो भारत के पड़ोस में लगभग हर देश अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है।
कांग्रेस अब गठबंधन में ही लड़ेगी?

कांग्रेस अब गठबंधन में ही लड़ेगी?

कांग्रेस पार्टी राज्यों में सहयोगी पार्टियों के साथ ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।
पंजाब के किसान आंदोलन का सबक

पंजाब के किसान आंदोलन का सबक

पंजाब की सरकार ने पुलिस भेज कर और बुलडोजर व जेसीबी चलवा कर किसानों का आंदोलन समाप्त करा दिया।
कॉलेजियम का विकल्प क्या एनजेएसी है?

कॉलेजियम का विकल्प क्या एनजेएसी है?

collegium : उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति और तबादले की मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली की जगह क्या राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग यानी एनजेएसी का विकल्प ज्यादा बेहतर है?
‘एक राष्ट्र, एक संस्कृति’ का क्या मतलब है?

‘एक राष्ट्र, एक संस्कृति’ का क्या मतलब है?

one nation one culture: ‘एक राष्ट्र, एक कर’ यानी जीएसटी से शुरू करके ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ तक उनकी सरकार ने ऐसे अनेक नारे बनाए हैं।
राज्यों की वित्तीय सेहत बिगड़ रही है

राज्यों की वित्तीय सेहत बिगड़ रही है

states inancial health : मुफ्त की योजनाएं चलाए रखने के लिए राज्यों को नए कर्ज लेने की जरुरत पड़ रही है क्योंकि राज्य इतना राजस्व नहीं जुटा पा रहे...
कितनी लड़ाई लड़ेंगे दक्षिणी राज्य?

कितनी लड़ाई लड़ेंगे दक्षिणी राज्य?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की आमंत्रण पर शनिवार, 22 मार्च को आठ राज्यों के मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री या उनके प्रतिनिधि चेन्नई में जुटने वाले हैं।
शिष्टाचार पुलिस क्या बला है?

शिष्टाचार पुलिस क्या बला है?

पुलिस और शिष्टाचार आमतौर पर एक दूसरे के विपर्यय यानी एक दूसरे के विपरीत अर्थ वाले माने जाते हैं।
बिहार में एनडीए की राह आसान नहीं

बिहार में एनडीए की राह आसान नहीं

bihar asseimbly election : इस साल अब सिर्फ बिहार में विधानसभा का चुनाव है। बिहार अब भी भारतीय जनता पार्टी के लिए अबूझ पहेली है।
चुनाव से पहले एजेंडे की तलाश में पार्टियां

चुनाव से पहले एजेंडे की तलाश में पार्टियां

elections agenda 2026: इस साल के अंत में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है और अगले साल मई में पांच राज्यों, पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में...
होली के रंग में राजनीति की भंग

होली के रंग में राजनीति की भंग

भारत की जीत की खुशी में पूरा देश जश्न मना रहा था लेकिन एक छोटी सी जगह पर, छोटे से समूह के लोगों की झड़प ने धर्म और संप्रदाय...
क्षेत्रीय दलों के सामने भाजपा की चुनौती

क्षेत्रीय दलों के सामने भाजपा की चुनौती

भारतीय जनता पार्टी के ऊपर नरेंद्र मोदी और अमित शाह के संपूर्ण नियंत्रण के एक दशक से कुछ ज्यादा समय बीते हैं।
समय का पहिया उलटा घूमने लगा है

समय का पहिया उलटा घूमने लगा है

भारत में समय का पहिया उलटा घूमने लगा है। समाज और जीवन से जुड़े हर क्षेत्र में भारत के कदम पीछे की तरफ मुड़ गए हैं। एक तरफ बड़ी...
राहुल के इस भाषण का क्या अर्थ?

राहुल के इस भाषण का क्या अर्थ?

भारतीय राजनीति में कई काम हैं, जो अब तक सिर्फ राहुल गांधी ने किए हैं। इन कामों के लिए कांग्रेस का इकोसिस्टम उनको साहसी, निडर, ईमानदार, सहिष्णु, उदार आदि...
रोहित शर्मा पर बेवजह विवाद

रोहित शर्मा पर बेवजह विवाद

rohit sharma : कप्तान रोहित शर्मा को लेकर बहस छिड़ी है। निकट अतीत में शायद ही कोई ऐसा खिलाड़ी होगा, जिसको लेकर इतनी बार बहस और विवाद हुए होंगे।
दोषी नेताओं पर स्थायी रोक का विवाद

दोषी नेताओं पर स्थायी रोक का विवाद

Ban On Convicted Leaders : इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में कुछ बड़े चुनाव सुधारों की जरुरत है। उनमें एक सुधार धनबल और बाहुबल के असर को...
परिसीमन का फॉर्मूला बनाना बड़ी चुनौती

परिसीमन का फॉर्मूला बनाना बड़ी चुनौती

Delimitation Formula : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार और भाजपा से लड़ने के लिए हिंदी और परिसीमन को माध्यम बनाया है।
कृपया हिंदी को खलनायक न बनाएं

कृपया हिंदी को खलनायक न बनाएं

नई शिक्षा नीति और त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर जो विवाद केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच छिड़ा है वह कोई भाषा और संस्कृति का विवाद नहीं है, बल्कि...
भाजपा ने क्या अमृत पा लिया?

भाजपा ने क्या अमृत पा लिया?

प्रयागराज में त्रिवेणी के संगम पर हुए पूर्णकुंभ, जिसे महाकुंभ कहा जा रहा है, से जो कुछ प्राप्त हुआ है उसकी अनेक प्रकार की व्याख्या हो रही है।
शेयर बाजार और आर्थिकी की हकीकत

शेयर बाजार और आर्थिकी की हकीकत

भारत के शेयर बाजार में अफरातफरी मची है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई और निफ्टी दोनों में लगातार गिरावट हो रही है।
विपक्षी गठबंधन में क्या कांग्रेस बाधक ?

विपक्षी गठबंधन में क्या कांग्रेस बाधक ?

वे यह बात भी भूल गए कि विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर ले आने और ‘इंडिया’ ब्लॉक का गठन करने में एक प्रादेशिक क्षत्रप नीतीश कुमार ने ही...
तो अब दिल्ली समस्यामुक्त होगा?

तो अब दिल्ली समस्यामुक्त होगा?

Delhi new cm : सत्ता विरोध का माहौल उसको राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों में भी नुकसान पहुंचा सकता है और राष्ट्रीय स्तर पर भी हानिकारक हो सकता है।
चुनाव आयोग में कुछ नहीं बदलेगा!

चुनाव आयोग में कुछ नहीं बदलेगा!

election commission : निकट अतीत में सबसे लंबे समय तक और सबसे ज्यादा विवादों में रहे मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रिटायर हो गए हैं।
राहुल गांधी आखिर करना क्या चाहते?

राहुल गांधी आखिर करना क्या चाहते?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी संगठन के साथ क्या करना चाहते हैं यह समझना दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है।
यात्री अपनी जान की रक्षा खुद करें!

यात्री अपनी जान की रक्षा खुद करें!

delhi railway station stampede : यात्रा करते समय हर व्यक्ति ने कहीं न कहीं यह लाइन पढ़ी होगी कि यात्री अपने सामान की सुरक्षा के जिम्मेदार खुद हैं।
राज्यों में भी ‘इंडिया’ ब्लॉक की जरुरत

राज्यों में भी ‘इंडिया’ ब्लॉक की जरुरत

‘इंडिया’ ब्लॉक का गठन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए हुआ था और राज्यों के चुनाव में इसकी जरुरत नहीं है।
केजरीवाल की पांच रणनीतिक भूलें

केजरीवाल की पांच रणनीतिक भूलें

delhi election kejriwal : जैसे अरविंद केजरीवाल दिल्ली में विधानसभा का चुनाव क्यों हार गए और क्या किया होता तो नहीं हारते, यह बताने वाले असंख्य लोग हैं।
राज्यों की आर्थिक सेहत का बड़ा सवाल

राज्यों की आर्थिक सेहत का बड़ा सवाल

चुनावों में ‘मुफ्त की रेवड़ी’ बांटने के चलन को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने जनहित याचिका...
ओबीसी राजनीति और राहुल का अधूरा सच

ओबीसी राजनीति और राहुल का अधूरा सच

delhi election 2025: पिछड़ों और दलितों के अपने नेतृत्व की तलाश पूरी हो गई है। उनको किसी और की ओर देखने की जरुरत नहीं है।
बिहार से किस बात का बैर है?

बिहार से किस बात का बैर है?

अब बिहार के लोग केंद्र सरकार और भाजपा को डिफेंड करने में लगे हैं और कह रहे हैं कि ‘बिहार को उसका हक मिला है’ या ‘क्या हो गया,...
मजबूरी में मध्य वर्ग को रैवड़ी

मजबूरी में मध्य वर्ग को रैवड़ी

modi budget 2025: सरकार ने कोई नीतिगत बदलाव नहीं किया है। जिस आर्थिक सुधार की उम्मीद की जा रही थी वह कहीं नहीं दिखी है।
जनता के मुद्दों पर नहीं, रेवडियों पर चुनाव

जनता के मुद्दों पर नहीं, रेवडियों पर चुनाव

लोकतंत्र की अनेक परिभाषाओं में एक परिभाषा यह है कि, ‘इसमें जनता को अधिकतम भ्रम दिया जाता है और न्यूनतम अधिकार दिए जाते हैं’।
बजट से सबकी अपनी अपनी उम्मीदें

बजट से सबकी अपनी अपनी उम्मीदें

budget 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट एक फरवरी को पेश होगा।
लोगों की शोषक, नाकारा नियामक एजेंसियां

लोगों की शोषक, नाकारा नियामक एजेंसियां

भारत में जितनी नियामक एजेंसियां हैं, शायद दुनिया के किसी और देश में उतनी नहीं होंगी।
कांग्रेसी की दिल्ली चुनाव की दुविधा

कांग्रेसी की दिल्ली चुनाव की दुविधा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी दुविधा में दिख रही है। पार्टी ने जिस उत्साह और जोश के साथ चुनाव अभियान की शुरुआत की थी वह धीरे धीरे समाप्त...
राजनीतिक रूपकों को बदलने की जरुरत

राजनीतिक रूपकों को बदलने की जरुरत

राजनीति में हमेशा ऐसा होता है कि सेमीफाइनल हारने वाला भी फाइनल खेलता है और कई बार तो ऐसा भी होता है कि सेमीफाइनल हारने वाला फाइनल जीत जाता...
जन आंदोलनों का बंद होता रास्ता

जन आंदोलनों का बंद होता रास्ता

इतिहास के अंत की घोषणा की तरह क्या जन आंदोलनों के अंत की भी घोषणा की जा सकती है? कई लोग मानेंगे कि ऐसा कहना जल्दबाजी है या आधा...
महाकुंभ पर तो चुप रह सकते थे!

महाकुंभ पर तो चुप रह सकते थे!

क्या वे मान रहे हैं कि महाकुंभ में जो लोग डुबकी लगा रहे हैं वे भाजपा के मतदाता हैं और जितनी ज्यादा संख्या बताई जाएगी उतना ज्यादा फायदा भाजपा...
सब कुछ मुफ्त, बम्पर घोषणाएं!

सब कुछ मुफ्त, बम्पर घोषणाएं!

चुनाव जीतने के लिए मुफ्त में चीजें और सेवाएं बांटने की राजनीति की जड़ें और गहरी होती जा रही हैं। हर चुनाव के बाद पार्टियां कुछ नई चीज ला...
सेवा विस्तार और ‘मुफ्त की रेवड़ी’ पर चर्चा

सेवा विस्तार और ‘मुफ्त की रेवड़ी’ पर चर्चा

पिछले हफ्ते दो खबरें आईं, जिन पर मीडिया में ज्यादा चर्चा नहीं हुई। परंतु दोनों खबरें ऐसी हैं
सोशल मीडिया की राजनीतिक ताकत कितनी?

सोशल मीडिया की राजनीतिक ताकत कितनी?

दुनिया में और खास कर अमेरिका में तो प्रमाणित है कि सोशल मीडिया के दम पर चुनाव लड़ा और जीता जा सकता है।