Wednesday

09-07-2025 Vol 19
चुनाव को लेकर विपक्ष की क्या योजना?

चुनाव को लेकर विपक्ष की क्या योजना?

अगर विपक्ष का आचरण ऐसा ही रहा तो वह आम मतदाताओं के मन में अपने प्रति कोई सहानुभूति पैदा नहीं कर पाएगा।
शोषण का विचार ही खतरनाक है

शोषण का विचार ही खतरनाक है

ग्रीस यानी यूनान के ‘एक्सीडेंटल वित्त मंत्री’ रहे यानिस वरौफाकिस ने पुरानी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को खत्म करके तकनीक की सामंतवादी व्यवस्था, जिसे उन्होंने ‘टेक्नोफ्यूडलिज्म’ नाम दिया है
बहुकोणीय लड़ाई और लोकतंत्र की चुनौती

बहुकोणीय लड़ाई और लोकतंत्र की चुनौती

भारत में बहुदलीय लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाई गई है। तभी इस बात की शिकायत नहीं की जा सकती है कि बहुत सारी पार्टियां हर दिन बन रही हैं और चुनाव...
दिल्ली में क्या खत्म होगा भाजपा का इंतजार?

दिल्ली में क्या खत्म होगा भाजपा का इंतजार?

दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी तीन दशक से सत्ता में आने की प्रतीक्षा कर रही है। उसने 1993 में दिल्ली विधानसभा का पहला चुनाव जीता था और उसके बाद...
किसान और छात्र आंदोलन की चुनौती

किसान और छात्र आंदोलन की चुनौती

नए साल की शुरुआत किसान और छात्रों के आंदोलन के साथ हुई है। पिछले साल फरवरी में पंजाब और हरियाणा के शंभू व खनौरी बॉर्डर पर किसानों ने आंदोलन...
मजूबती के लिए क्या करेगी कांग्रेस?

मजूबती के लिए क्या करेगी कांग्रेस?

कांग्रेस को जनता से कनेक्ट और संवाद का पुराना तरीका विकसित करना होगा। पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बात शीर्ष नेताओं को सुननी होगी।
परिवारवाद कैसे समाप्त होगा?

परिवारवाद कैसे समाप्त होगा?

नए साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक प्रमुख लक्ष्य राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति दिलाने का होना चाहिए। उन्होंने बड़ी प्रतिबद्धता के साथ यह लक्ष्य तय किया है।
सदी की चौथाई तक का सफर

सदी की चौथाई तक का सफर

इक्कीसवीं सदी का 25वां साल शुरू हो गया। सबको बधाई! मंगल शुभकामनाएं! वर्ष 2025 समाप्त होगा तो यह सदी एक चौथाई गुजर चुकी होगी।
वर्ष 2024 का राजनीतिक सूत्र क्या है?

वर्ष 2024 का राजनीतिक सूत्र क्या है?

दुनिया भर में अंग्रेजी शब्दकोष के लिए वर्ष के शब्द चुने जाते हैं। जैसे ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने ‘ब्रेन रॉट’ को वर्ष का शब्द चुना है।
दलित जागृति का लाभार्थी कौन होगा?

दलित जागृति का लाभार्थी कौन होगा?

उत्तर प्रदेश कांशीराम के प्रयोग की धरती थी, जहां मायावती के नेतृत्व में उनका प्रयोग सफल हुआ। परंतु यह सफलता ज्यादा समय तक कायम नहीं रह सकी।
दलित राजनीति का मंडल काल

दलित राजनीति का मंडल काल

जिस तरह से नब्बे के दशक में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद पिछड़ी जातियों की राजनीतिक चेतना का उफान आया था और देश की पूरी राजनीति...
विपक्ष को मानों जीत का मंत्र मिला हो?

विपक्ष को मानों जीत का मंत्र मिला हो?

देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने पूरे देश में इस मुद्दे पर जन आंदोलन शुरू करने के ऐलान किया है।
ताकतवर जातियों का सियासी समय खत्म!

ताकतवर जातियों का सियासी समय खत्म!

भारत की राजनीति का सिर्फ ऊपरी आवरण नहीं बदल रहा है, बल्कि वह अंदर से बदल रही है।
एक साथ चुनाव से पहले सुधारों की जरुरत

एक साथ चुनाव से पहले सुधारों की जरुरत

चुनाव आयोग यह जरूर कहता है कि वह पूरे देश का चुनाव एक साथ कराने में सक्षम है और तैयार है। यह अलग बात है कि चार राज्यों के...
‘एक देश, दो चुनाव’ ज्यादा बेहतर विकल्प है

‘एक देश, दो चुनाव’ ज्यादा बेहतर विकल्प है

देश में हर साल चुनाव हो या हर छह महीने पर चुनाव हो यह सचमुच अच्छी बात नहीं है।
कांग्रेस को पंचर तृणमूल, सपा को क्या मिला?

कांग्रेस को पंचर तृणमूल, सपा को क्या मिला?

संसद का शीतकालीन सत्र कई मायने में बहुत दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम वाला रहा है।
संविधान के 75 साल का क्या हासिल?

संविधान के 75 साल का क्या हासिल?

भारत के संविधान का 75 साल का क्या वही हासिल है, जो लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों ने बताया है
ब्याज दर में कटौती समाधान नहीं है

ब्याज दर में कटौती समाधान नहीं है

भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कामकाज संभाल लिया है। उनको भी उसी तरह वित्त मंत्रालय का अनुभव है, जैसे उनके पूर्ववर्ती शक्तिकांत दास को था।
केजरीवाल अब लहर पर सवार नहीं हैं

केजरीवाल अब लहर पर सवार नहीं हैं

दिल्ली का इस बार का चुनाव पिछले तीन चुनावों से अलग होने जा रहा है।
नेता विपक्ष ‘गद्दार’ और अमेरिका दुश्मन!

नेता विपक्ष ‘गद्दार’ और अमेरिका दुश्मन!

संसद के शीतकालीन सत्र में हर दिन राजनीति का नया रंग देखने को मिल रहा है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने किसी हाल में अडानी का मुद्दा नहीं छोड़ने...
राहुल के नेतृत्व पर गंभीर सवाल

राहुल के नेतृत्व पर गंभीर सवाल

भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी के विपक्ष का सर्वमान्य नेता होने की जो धारणा बनी थी वह सवालों के घेरे में आ गई है।
फड़नवीस के सामने बड़ी चुनौतियां

फड़नवीस के सामने बड़ी चुनौतियां

देवेंद्र फड़नवीस लौट कर आ गए हैं। उन्होंने पांच साल पहले कहा था- पानी उतरता देख कर किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समुंदर हूं लौट कर आऊंगा।
जीत गए तब भी सब जायज नहीं है!

जीत गए तब भी सब जायज नहीं है!

जीत जारी कमियों को ढक देती है। जो जीत जाता है वह सिकंदर कहलाता है और कोई उस पर सवाल नहीं उठाता है। जीत गए तो गलतियां भी मास्टरस्ट्रोक...
तीसरा मोर्चा बनाने के प्रयास शुरू होंगे

तीसरा मोर्चा बनाने के प्रयास शुरू होंगे

लोकसभा के बाद हुए कई राज्यों के विधानसभा चुनाव के जो नतीजे आए हैं उनसे देश की राजनीति में नया विमर्श भी शुरू हुआ है और ऐसा लग रहा...
पहले भाजपा की राजनीति को समझे कांग्रेस

पहले भाजपा की राजनीति को समझे कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में बहुत अच्छे प्रदर्शन से भी कोई सबक नहीं लिया है और न हरियाणा की अप्रत्याशित हार से उसने कुछ सीखा है और न...
कांग्रेस को छोड़ कर सब जानते हैं उसका हाल

कांग्रेस को छोड़ कर सब जानते हैं उसका हाल

मीर तकी मीर का शेर है, ‘पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, जाने न जाने गुल ही न जाने बाग तो सारा जाने है’। कांग्रेस का भी...
आदिवासी राजनीति साधने का विफल प्रयास

आदिवासी राजनीति साधने का विफल प्रयास

भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पारंपरिक राजनीति में कुछ बुनियादी बदलाव शुरू किए थे।
भाजपा की ओबीसी वोट की पहेली?

भाजपा की ओबीसी वोट की पहेली?

हरियाणा और महाराष्ट्र दोनों राज्यों के चुनाव नतीजे हैरान करने वाले थे। दोनों राज्यों में सामान्य समझ यह कह रही थी कि भाजपा का गठबंधन चुनाव हार रहा है।
भाजपा की अदृश्य चुनावी लहर

भाजपा की अदृश्य चुनावी लहर

Maharashtra election result: परंतु पिछले कुछ चुनावों से ऐसा देखने को मिल रहा है कि भाजपा की सुनामी चल रही होती है और किसी को पता ही नहीं चलता...
लोकसभा चुनाव के बाद क्या बदल गया

लोकसभा चुनाव के बाद क्या बदल गया

एक्जिट पोल के अनुमान आने के पहले से यह सवाल उठने लगा था कि आखिर लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा क्या बदल गया, जिससे भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में...
क्या मुफ्त की चीजें जीत की गारंटी होती हैं?

क्या मुफ्त की चीजें जीत की गारंटी होती हैं?

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में दोनों मुख्य गठबंधन मतदाताओं को अनेक सेवाएं और वस्तुएं मुफ्त में देने के वादे पर चुनाव लड़े हैं।
प्रदूषण सिर्फ आंकड़ों का मामला नहीं है

प्रदूषण सिर्फ आंकड़ों का मामला नहीं है

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की भयावहता बताने के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई के आंकड़े बताए जाते हैं।
चुनाव में एनडीए और ‘इंडिया’ का फर्क

चुनाव में एनडीए और ‘इंडिया’ का फर्क

विधानसभा चुनाव लड़ रही दोनों मुख्य पार्टियों या गठबंधनों के उठाए मुद्दों पर चर्चा थोड़ा जोखिम का काम है क्योंकि इन दिनों चुनाव आमतौर पर मुद्दों पर नहीं लड़े...
बुलडोजर ‘न्याय’ क्या रूकेगा?

बुलडोजर ‘न्याय’ क्या रूकेगा?

यह लाख टके का सवाल है कि क्या सुप्रीम कोर्ट की ओर से बुलडोजर ‘न्याय’ पर रोक लगाने का फैसला सुनाने के बाद अब राज्यों की सरकारें किसी भी...
विरोधाभासों से विपक्ष को मुश्किल

विरोधाभासों से विपक्ष को मुश्किल

एक देश के तौर पर तो यह बात ठीक है कि भारत विरोधाभासों वाला देश है, जिसके बारे में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा था कि ‘विरूद्धों में...
मध्यकाल के तरीकों से महिला सुरक्षा?

मध्यकाल के तरीकों से महिला सुरक्षा?

उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ मध्यकालीन उपाय आजमाने की तैयारी हो रही है। आधुनिक विश्व में अफगानिस्तान, ईरान आदि कुछ देशों में ऐसे उपाय सफलतापूर्वक...
ट्रंप से भारत में किस बात की खुशी?

ट्रंप से भारत में किस बात की खुशी?

अमेरिका के चुनाव नतीजे पर जितनी खुशी डोनाल्ड ट्रंप समर्थक रिपब्लिकन मना रहे हैं उससे कम खुशी भारत में नहीं मनाई जा रही है।
कोई तो सोचे जलवायु परिवर्तन पर?

कोई तो सोचे जलवायु परिवर्तन पर?

नवंबर का महीना शुरू हुआ तो एक आंकड़ा सामने आया कि इस साल का अक्टूबर पिछले सवा सौ साल का सबसे गर्म अक्टूबर रहा।
भाषा से भी चुनाव में ठगा जाता है!

भाषा से भी चुनाव में ठगा जाता है!

भारत में चुनाव अब विकासवादी नीतियों या विचारधारा के ऊपर नहीं हो रहे हैं, बल्कि लोकलुभावन घोषणाओं और भाषण की जादूगरी पर हो रहे हैं।
गुजराती क्यों भारत से भाग रहे?

गुजराती क्यों भारत से भाग रहे?

यह अमेरिका का सरकारी आंकड़ा है कि हर घंटे 10 भारतीय उसकी सीमा में अवैध रूप से घुसते हुए पकड़े जा रहे हैं।
परिसीमन का क्या पैमाना होगा?

परिसीमन का क्या पैमाना होगा?

केंद्र सरकार ने जनगणना की अधिसूचना जारी नहीं की है, लेकिन एक, जनवरी 2025 से  प्रशासनिक सीमाएं सील हो जाएंगी
राहुल की मनुस्मृति व संविधान बेहूदगी

राहुल की मनुस्मृति व संविधान बेहूदगी

यह एकदम बेतुकी बात है क्योंकि दो विचारों को एक दूसरे का विरोधी तभी कहा जा सकता है, जब वे समकालीन हों और एक साथ चलन में हों।
नैतिकता अब है कहां जो नेता इस्तीफा दे!

नैतिकता अब है कहां जो नेता इस्तीफा दे!

याद नहीं आ रहा है कि नैतिकता के आधार पर आखिरी बार किसी नेता या लोक सेवक का इस्तीफा कब हुआ था।
दम घुट रहा, जवाबदेही किसी की नहीं!

दम घुट रहा, जवाबदेही किसी की नहीं!

अब जिम्मेदारी लेने की राजनीति का समय समाप्त हो गया है और उसकी जगह श्रेय लेने की राजनीति का समय आ गया है।
धारणा की लड़ाई हार रही हैं ममता

धारणा की लड़ाई हार रही हैं ममता

अब 2026 के विधानसभा चुनाव से दो साल पहले से ठीक वैसे ही हालात बन रहे हैं, जैसे 2007 में थे। ममता बनर्जी के खिलाफ बात बात पर आंदोलन...
जीएसटी की चोरी रोकने में विफल सरकार

जीएसटी की चोरी रोकने में विफल सरकार

ईमानदार कारोबारी बिल बनाने के साथ ही जीएसटी जमा कर देता है लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है कि उसको समय से बिल का भुगतान हो...
झारखंड में भाजपा भावना के भरोसे

झारखंड में भाजपा भावना के भरोसे

भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में तमाम अनुमानों के उलट कांग्रेस को हरा दिया। लेकिन जम्मू कश्मीर में वह नेशनल कॉन्फ्रेंस को नहीं हरा पाई।
महाराष्ट्र आसान नहीं है

महाराष्ट्र आसान नहीं है

हरियाणा ने हवा बदल दी है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कहा जा रहा था कि चार राज्यों का विधानसभा चुनाव डन डील है।