• कमलनाथ, गहलोत, भूपेश के 23 पर टिका 24

    विधानसभा चुनावों में जा रहे पांच राज्यों में लोकसभा की 83 सीटें हैं। भाजपा के पास इनमें से 65 हैं। कांग्रेस के पास महज़ 6 हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की 65 लोकसभा सीटों में से क्या इस बार कांग्रेस को पिछली बार की तरह सिर्फ़ तीन ही मिलने जैसे हालात आपको लग रहे हैं? क्या भाजपा पहले की तरह इनमें से 61 सीटें अपनी गठरी में बांध कर छूमंतर हो जाने का करिश्मा 2024 में दिखाती लगती है? इस साल जब सर्दियों का गुलाबीपन शुरू हो रहा होगा तो पांच राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के कमल की सुर्ख़ी...

  • सनातन धर्म के स्वघोषित पर्याय की पगड़ी

    नरेंद्र भाई अपने को सनातन धर्म के पर्याय की तरह पेश करने में लग गए हैं। वे माहौल बना रहे हैं कि सनातन संस्कृति की धार्मिक ध्वजा तब बचेगी, जब उनकी राजनीतिक पगड़ी बचेगी। ये आठ महीने सनातन संस्कृति के लिए बहुत खतरे के हैं। अगर इन आठ महीनों में सनातन धर्म की रक्षा नहीं हो पाई तो वह हमारी पृथ्वी से लुप्त हो जाएगा।..मैं ने बड़े-बड़े गालबजाऊ देखे हैं, लेकिन गाल-वाद्य का इतना संजीदा, इतना मुग्ध और इतने भीतरी विश्वास से भरा साधक और कोई नहीं देखा।  अगर आप सोच रहे हैं कि नरेंद्र भाई मोदी अपने पैरों के...

  • कलूटाक्षरों में लिखे जाने वाले इतिहास का दशक

    सब होते हुए टुकुर-टुकुर देखते रहने में ही अगर हमें सुख मिलता है तो फिर एक दशक से चल रही व्यवस्था ही आगे भी हमारी नियति है। अगर हम अपनी आंखें मसलने को तैयार नहीं हैं तो आने वाले कई दशक ऐसे ही नतमस्तक बने रहने को हम अभिशप्त हैं। ऐसे में ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’ भी आसमान से उतर कर हमारे प्रारब्ध को बदलने में बुरी तरह हांफ जाएंगे। सो, ख़ुद के हाथ-पैर हिलाने को जो समाज तैयार नहीं हो, उसकी दरकती काया का भला चरक ऋषि भी कहां से पुनरुद्धार कर देंगे?  किसी और एक दशक में...

  • सरकार-हरण का दशाननी वाम-तंत्र

    भारतीय मानस की तासीर दग़ाबाज़ों से घृणा करने की है। इसलिए भाजपा के लारे-लप्पों में आ कर या अपने-अपने ग़िरेबाओं के घनघोर मैलेपन से डर कर जो पवार के कटप्पा बने हैं, उन की सियासी उम्र लोग लंबी नहीं रहने देंगे। आप सोचिए कि अगर किसी दिन अमित भाई शाह अपने निर्माता नरेंद्र भाई मोदी को छोड़ कर चले जाएं तो भारतीय जनमानस में उस की कैसी प्रतिक्रिया होगी? प्रफुल्ल पटेल के पलटूपन ने उसी तरह की वितृष्णा का भाव लोगों के मन में पैदा किया है। अगर भारतीय जनता पार्टी को लग रहा है कि शरद पवार को इस...

  • कुप्पा-कुप्पा हो रहे आराधकों के नाम

    आराधक नृत्यलीन हैं कि बाइडन द्वारा दिए गए राजकीय भोज में भारतीय धन्ना सेठों को भी बुलाया गया था। मुकेश और नीता अंबानी, आनंद महिंद्रा, बेला और रेखा बजारिया, रौनक देसाई और बंसरी शाह मौजूद थे। बाइडन चतुर हैं। उन्होंने इंदिरा नूयी और सुंदर पिचई जैसे बहुत-से मशहूर चेहरों को बुलाया तो किसान आंदोलन में लंगर चलाने वाले जिन दर्शन सिंह धालीवाल को अमेरिका से दिल्ली पहुंचने पर विमानतल से लौटा दिया गया था, उन्हें भी भोज में बुलाया था। पचास साल पहले एक फ़िल्म आई थी - ‘अनहोनी’। वर्मा मलिक ने उस के लिए एक गीत लिखा था। लक्ष्मीकांत...

  • भूपेश बघेल के बहाने तीस साल पहले की याद

    दिग्विजय सिंह की शपथ का मुहूर्त निकालने वाले ज्योतिषी ने तब ही मुझ से कहा था कि दिग्विजय पूरे दस साल मध्यप्रदेश के अनवरत मुख्यमंत्री रहेंगे। … दूसरी बार जब दिग्विजय मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भूपेश बघेल को अपना परिवहन मंत्री बनाया। फिर छत्तीसगढ़ में जोगी के मंत्रिमंडल में रहे। पांच बरस पहले भूपेश मुख्यमंत्री बन गए। इतना पुराना किस्सा मैं ने इसलिए सुनाया है ताकि आप भूपेश के तजु़र्बों का अहसास कर सकें। यह ऐसे ही नहीं है कि ढाई साल से चला-चली की वेला में बैठे भूपेश अब तक नहीं हिले। अगले चुनाव के बाद भी उनकी ही...

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