जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद शेयर बाजार के रुझान पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। ठीक उसी तरह, जैसे इस वर्ष के बजट में तकरीबन एक करोड़ लोगों को आय कर से मुक्ति देने के सरकार के निर्णय पर हुआ था।
प्रधानमंत्री ने सत्ताधारी एनडीए के नेताओं से कहा है कि जीएसटी की दो दरें (12 और 28 प्रतिशत) खत्म करने के फैसले को लेकर अब वे राजनीतिक अभियान चलाएं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक एनडीए सांसदों की बैठक में मोदी ने निर्देश दिया कि हर सांसद अपने क्षेत्र में स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों का 20- 30 सम्मेलन आयोजित करे। साथ ही नवरात्रि से दिवाली के बीच स्वदेशी उत्पादों के इस्तेमाल के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने की मुहिम चलाई जाए। इस दौरान “गर्व से कहो स्वदेशी है” नारा लगाया जाए। एनडीए सांसदों की बैठक के एक दिन पहले अखबारों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इंटरव्यू छपे, जिसमें उन्होंने कहा कि अब कॉरपोरेट सेक्टर के पास निवेश ना करने का कोई बहाना नहीं है।
जीएसटी में कटौती से बाजार में मांग बढ़ेगी। उसे पूरा करने के लिए निजी निवेश तुरंत बढ़ाया जाना चाहिए। इसके पहले मोदी कह चुके हैं कि जीएसटी ढांचे में सुधार से आम घरों, किसानों, युवाओं और मध्य वर्ग पर वित्तीय बोझ घटेगा। अनुमान है कि इससे लोग अधिक उपभोग के लिए प्रेरित होंगे। बहरहाल, इस आकलन से शेयर बाजार इत्तेफ़ाक नहीं रखता। जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद इस बाजार के रुझान पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने वहां से पैसा निकालना जारी रखा है। ठीक उसी तरह, जैसे इस वर्ष के बजट में तकरीबन एक करोड़ लोगों को आय कर से मुक्ति देने के सरकार के निर्णय पर हुआ था।
उस फैसले के लागू होने से उपभोग एवं मांग के रुझान पर कोई उल्लेखनीय फर्क नहीं पड़ा। जानकारों को नहीं लगता कि अब भी ऐसा होने जा रहा है। इसलिए कि आम बचत में गिरावट और कर्ज का बढ़ता बोझ हाल के वर्षों की हकीकत रही है। ऐसे में साल में कुछ हजार रुपये हाथ में बचने या कुछ चीजों के सस्ता होने से लोग खरीदारी के लिए टूट पड़ेंगे, यह उम्मीद तार्किक नहीं लगती। बहरहाल, हेडलाइन्स संभालने में अधिक रुचि रखने वाले वर्तमान सत्ता पक्ष की पहले भी कभी यथार्थ को देखने में रुचि नहीं थी। इसलिए उसके उत्सव को समझा जा सकता है।