नई दिल्ली। सर्वोच्च अदालत ने संभवतः पहली बार ऐसा आदेश दिया है कि कोई राज्य सरकार किसी नेता की मूर्ति लगाने पर सरकारी पैसा खर्च नहीं कर सकती है। असल में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके के संस्थापक एम करुणानिधि की मूर्ति लगाने का मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंचा था। अदालत ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि नेताओं का महिमामंडन करने के लिए जनता के पैसों का इस्तेमाल क्यों किया जाए।
असल में राज्य सरकार पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की मूर्ति लगाने की अनुमति के लिए याचिका दायर की थी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कहा, ‘इसकी अनुमति नहीं है। आप अपने पूर्व नेताओं के महिमामंडन के लिए जनता के पैसों का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं’? सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिका वापस लेने और मद्रास हाई कोर्ट जाने को कहा। गौरतलब है कि मद्रास हाई कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर मूर्तियां लगाने पर रोक लगा दी थी।
तमिलनाडु सरकार ने तिरुनेलवेली में मुख्य सड़क पर वल्लियूर डेली वेजिटेबल मार्केट के एंट्री गेट पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की कांस्य प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था। मद्रास हाई कोर्ट ने स्टालिन सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ऐसी मूर्तियों को लगाने से अक्सर ट्रैफिक जाम होता है और जनता को असुविधा होती है।
इससे पहले 2022 में मद्रास हाई कोर्ट ने अरुणाचलेश्वर मंदिर के पास तिरुवन्नामलाई में गिरिवलम में करुणानिधि की प्रतिमा के निर्माण पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमाएं स्थापित करने की अनुमति नहीं दे सकती।