nayaindia Lok Sabha election 2024 भयाक्रांत करने के सहारे?

भयाक्रांत करने के सहारे?

अर्बन नक्सल, माओवादी और कम्युनिस्ट- इन तीन शब्दों से भयाक्रांत करने की रणनीति भाजपा ने अपनाई है। बताने की कोशिश यह है कि ये तीनों शब्द जिस विचारधारा या एजेंडे से जुड़े हैं, उसकी नुमाइंदगी अब कांग्रेस- और प्रकारांतर में इंडिया गठबंधन कर रहा है।

साफ संकेत हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौजूदा आम चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी का मुख्य नैरेटिव सेट कर दिया है। इसके तहत अर्बन नक्सल, माओवादी और कम्युनिस्ट- इन तीन शब्दों से लोगों को भयाक्रांत करने की रणनीति अपनाई गई है। यह बताने की कोशिश है कि ये तीनों शब्द जिस विचारधारा या एजेंडे से जुड़े हैं, उसकी नुमाइंदगी अब कांग्रेस और प्रकारांतर में इंडिया गठबंधन कर रहा है। राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री ने इस नैरेटिव में मुसलमानों को भी जोड़ा। उन्होंने संदेश देना चाहा कि कांग्रेस हिंदुओं का धन छीन कर मुसलमानों में बांट देगी। लेकिन सोमवार को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में उन्होंने हिंदू-मुस्लिम पहलू का जिक्र नहीं किया। निशाना सिर्फ धन की जब्ती और उसके पुनर्वितरण की सोच पर टिकाया। बांसवाड़ा में उन्होंने कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र में यह एजेंडा शामिल होने की बात कही थी।

चूंकि यह सच नहीं है, ये स्पष्ट हो चुका है, तो अलीगढ़ में उन्होंने “कांग्रेस के शहजादे” (यानी राहुल गांधी) के हवाले से यह मुद्दा उठाया। दोनों जगहों पर उन्होंने यह दावा भी किया कि इस एजेंडे के तहत कांग्रेस की नज़र “माताओं, बहनों के मंगलसूत्र” पर है। मोदी ने कहा कि यह वो एजेंडा है, जिसके जरिए कम्युनिस्ट अनेक देशों को बर्बाद कर चुके हैँ। तो इस तरह प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी का चुनावी कथानक पेश किया है। मगर दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि ऐसा वे तथ्यों की अनदेखी करते हुए और मतदाताओं को गुमराह करने का प्रयास करते हुए कर रहे हैँ। जबकि इस सवाल पर गंभीर बहस भी हो सकती है। धन का पुनर्वितरण सही एजेंडा है या नहीं, और क्या कम्युनिस्टों ने सचमुच अन्य देशों में ऐसा करने की कोशिश की, इन सवालों पर तथ्यों की रोशनी में चर्चा की जा सकती है। प्रधानमंत्री के नाते नरेंद्र मोदी चाहें, तो इस प्रश्न पर ऐसे विमर्श की शुरुआत कर सकते हैं, जिससे देश के लोग अपना सही रास्ता चुनने के लिए बौद्धिक रूप से सशक्त हों। मगर उन्होंने इसके जरिए भयाक्रांत करने की रणनीति अपनाई है। क्यों? क्या इसलिए कि उनके और उनकी पार्टी के पास कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं है?

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