lok sabha election 2024

  • लोकसभा चुनाव से पहले सोनिया, राहुल पर खतरा!

    लोकसभा चुनाव से पहले क्या प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की कार्रवाई फिर से सोनिया और राहुल गांधी पर शुरू होगी? यह लाख टके का सवाल है, जिसका जवाब पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से मिल सकता है। अगर पांचों राज्यों में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है और राहुल गांधी के नेतृत्व का डंका बजता है तो संभव है कि एजेंसी फिर से सक्रिय हो। ध्यान रहे पिछले साल कई दिन तक ईडी ने राहुल गांधी से पूछताछ की थी और सोनिया गांधी से भी पूछताछ की थी। ऐसा नहीं है कि एजेंसी पूछताछ के संतुष्ट हो गई है या उसके...

  • कांग्रेस पर कार्रवाई कब शुरू होगी?

    भारतीय जनता पार्टी के लिए दुश्मन नंबर एक कांग्रेस पार्टी है। भाजपा के शीर्ष नेताओं को हमेशा इस बात की चिंता सताती रहती है कि कब कांग्रेस के हालात सुधरने लगेंगे और तब उसकी वापसी शुरू हो जाएगी। इसके बावजूद यह हैरान करने वाली बात है कि कांग्रेस के किसी भी नेता के ऊपर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है। भाजपा और केंद्रीय एजेंसियों की अभी तक की कार्रवाई किड्स ग्लब्स से हमला करने वाली रही है। कांग्रेस के नेता इस बात पर छाती पीटते हैं कि राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करा दी। लेकिन वह कोई कार्रवाई नहीं...

  • लोकसभा चुनाव में जीत-हार नौ राज्यों से

    बीजेपी और कांग्रेस के सीधे मुकाबले वाले इन 9 राज्यों में से तीन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सात तेलंगाना में तीन महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इन्हें सत्ता का सेमी फाइनल माना जा रहा है। ये लोकसभा चुनाव से करीब 6 महीना पहले हो रहे हैं। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव बड़े बहुमत से जीतने के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। वो चारों राज्य जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। अगर कांग्रेस चार में से तीन राज्यों में भी जीत जाती है तो अगले लोकसभा चुनाव के लिए उस के पक्ष में माहौल...

  • कई नेता न इधर के न उधर के

    नई दिल्ली और बेंगलुरू में सत्तापक्ष और विपक्ष के गठबंधन की बैठक होने वाली है। भाजपा और कांग्रेस दोनों की ओर से ज्यादा से ज्यादा पार्टियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए प्रयास हो रहा है लेकिन ऐसे में भी कई पार्टियां ऐसी हैं, जो तमाशबीन रहेंगी। ये बड़ी पार्टियां हैं। राज्यों में सत्तारूढ़ हैं लेकिन किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। इन पार्टियों ने अपने को भाजपा और कांग्रेस दोनों से अलग रखा है। इनमें से कुछ पार्टियां ऐसी हैं, जो मुद्दों के आधार पर केंद्र सरकार को समर्थन देती हैं। हालांकि पहले विपक्षी गठबंधन की ओर से इनको...

  • चौबीस से दो-चार: वोट की चिंता…वोटर की नहीं…?

    भोपाल। अब लगभग यह तय समझिये की अगले 200 दिन तक देश में जनहित के कोई कार्य नहीं होना है, क्योंकि एक सौ दिन बाद चार राज्यों में विधानसभाओ के और 200 दिन बाद देश की लोकसभा के चुनाव होना है, इसलिए देश की पूरी राजनीति और उसके 'खेवनहार' सिर्फ और सिर्फ सत्ता के सपनों में ही खोए रहने वाले हैं, उन्हें अब ना तो देश से कोई मतलब रहेगा और ना ही देशवासियों से? विश्व का सबसे "आदर्श लोकतंत्र" हमारे भारत में ही माना जाता रहा है, किंतु वास्तव में यह हमारे लिए "दूर के ढोल सुहावने" जैसा है,...

  • भारत में विपक्षी एकता: कवायद कई बार… पर निराशा…?

    भोपाल। अब लगभग यह तय समझिये की अगले 200 दिन तक देश में जनहित के कोई कार्य नहीं होना है, क्योंकि एक सौ दिन बाद चार राज्यों में विधानसभाओ के और 200 दिन बाद देश की लोकसभा के चुनाव होना है, इसलिए देश की पूरी राजनीति और उसके 'खेवनहार' सिर्फ और सिर्फ सत्ता के सपनों में ही खोए रहने वाले हैं, उन्हें अब ना तो देश से कोई मतलब रहेगा और ना ही देशवासियों से? विश्व का सबसे "आदर्श लोकतंत्र" हमारे भारत में ही माना जाता रहा है, किंतु वास्तव में यह हमारे लिए "दूर के ढोल सुहावने" जैसा है,...

  • अखिलेश क्या मैसेज दे रहे हैं कांग्रेस को?

    भोपाल। अब लगभग यह तय समझिये की अगले 200 दिन तक देश में जनहित के कोई कार्य नहीं होना है, क्योंकि एक सौ दिन बाद चार राज्यों में विधानसभाओ के और 200 दिन बाद देश की लोकसभा के चुनाव होना है, इसलिए देश की पूरी राजनीति और उसके 'खेवनहार' सिर्फ और सिर्फ सत्ता के सपनों में ही खोए रहने वाले हैं, उन्हें अब ना तो देश से कोई मतलब रहेगा और ना ही देशवासियों से? विश्व का सबसे "आदर्श लोकतंत्र" हमारे भारत में ही माना जाता रहा है, किंतु वास्तव में यह हमारे लिए "दूर के ढोल सुहावने" जैसा है,...

  • लोकसभा चुनाव की तैयार स्क्रिप्ट!

    भोपाल। अब लगभग यह तय समझिये की अगले 200 दिन तक देश में जनहित के कोई कार्य नहीं होना है, क्योंकि एक सौ दिन बाद चार राज्यों में विधानसभाओ के और 200 दिन बाद देश की लोकसभा के चुनाव होना है, इसलिए देश की पूरी राजनीति और उसके 'खेवनहार' सिर्फ और सिर्फ सत्ता के सपनों में ही खोए रहने वाले हैं, उन्हें अब ना तो देश से कोई मतलब रहेगा और ना ही देशवासियों से? विश्व का सबसे "आदर्श लोकतंत्र" हमारे भारत में ही माना जाता रहा है, किंतु वास्तव में यह हमारे लिए "दूर के ढोल सुहावने" जैसा है,...

  • विपक्ष की स्क्रिप्ट में थीम का टोटा

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  • भाजपा में आखिर बैठकें किसलिए?

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  • एनडीए को रिवाइव करने की कोशिश

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  • विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए ज्यादा अहम

    भोपाल। अब लगभग यह तय समझिये की अगले 200 दिन तक देश में जनहित के कोई कार्य नहीं होना है, क्योंकि एक सौ दिन बाद चार राज्यों में विधानसभाओ के और 200 दिन बाद देश की लोकसभा के चुनाव होना है, इसलिए देश की पूरी राजनीति और उसके 'खेवनहार' सिर्फ और सिर्फ सत्ता के सपनों में ही खोए रहने वाले हैं, उन्हें अब ना तो देश से कोई मतलब रहेगा और ना ही देशवासियों से? विश्व का सबसे "आदर्श लोकतंत्र" हमारे भारत में ही माना जाता रहा है, किंतु वास्तव में यह हमारे लिए "दूर के ढोल सुहावने" जैसा है,...

  • भाजपा की कहानियों का क्या जवाब है!

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  • भाजपा को क्षेत्रीय पार्टियों की जरूरत

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  • 2024 में धर्म से ज्यादा एआई का खेला!

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  • विपक्ष पाषाण युग में!

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  • एआई फैक्टरी में हिंदुत्व नंबर एक पर!

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  • जात और आरक्षण से भाजपा की मुश्किल

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  • अगला चुनाव विचारधारा पर होगा!

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  • अखिलेश यादव का मोदी सरकार पर निशाना, यूपी की सभी सीट न हार जाए भाजपा!

    भोपाल। अब लगभग यह तय समझिये की अगले 200 दिन तक देश में जनहित के कोई कार्य नहीं होना है, क्योंकि एक सौ दिन बाद चार राज्यों में विधानसभाओ के और 200 दिन बाद देश की लोकसभा के चुनाव होना है, इसलिए देश की पूरी राजनीति और उसके 'खेवनहार' सिर्फ और सिर्फ सत्ता के सपनों में ही खोए रहने वाले हैं, उन्हें अब ना तो देश से कोई मतलब रहेगा और ना ही देशवासियों से? विश्व का सबसे "आदर्श लोकतंत्र" हमारे भारत में ही माना जाता रहा है, किंतु वास्तव में यह हमारे लिए "दूर के ढोल सुहावने" जैसा है,...

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