समझ नहीं आ रहा कि आखिरी चरण आते-आते नरेंद्र मोदी का चेहरा यूपी और बिहार की जातीय राजनीति में कैसे इतना दब गया? इसलिए दोनों हिंदी प्रदेशों में अनहोनी होती लगती है। सातवें राउंड की उत्तर प्रदेश की 13 सीटों में आज सवाल है कि बनारस को छोड़ भाजपा की सुरक्षित सीट कौन सी है तो बिहार की आठ सीटों के मतदान में यह सवाल है भाजपा-जदयू के अभेदी किले नालंदा, पाटलीपुत्र और पटना साहिब क्या वापिस एनडीए को मिलेंगे या गड़बड़ाएंगे। बावजूद इसके इन दोनों बड़े राज्यों का मेरा आंकड़ा पिछले सप्ताह वाला ही है। लेकिन आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा घूम कर आए लोगों से जो जानकारी मिली है तो इस कारण कुछ चेंज है। चुनाव की इस आखिरी सूची में एनडीए बनाम एनडीए- विरोधी पार्टियों के आंकड़ों में एनडीए को लेकर 257 और एनडीए विरोधी पार्टियों की सीटों का आंकड़ा 283 अनुमानित है। और एनडीए की 257 सीटों में भाजपा की 235 सीटें।




यूपी और बिहार के अनुमान धरे रह जाएंगे?

हरिशंकर व्यास
मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -
Related Posts
आजादी का मान घटाने की मुहिम
जो यह मानते हैं कि भारत दो सौ साल के करीब गुलाम रहा और फिर कांग्रेस की लड़ाई से आजादी मिली।
स्वीप करने का परस्पेशन!
राहुल गांधी 23 सितंबर को जयपुर में कांग्रेस के नए मुख्यालय के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे तब उन्होंने एक कार्यक्रम में पांच राज्यों को विधानसभा चुनाव को लेकर भविष्यवाणी...
मोदी के चुने चेहरों की परीक्षा
नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने 10 साल पहले जब सरकार और पार्टी की कमान संभाली थी तब उन्होंने भाजपा के पुराने और जमे जमाए नेताओं को हटा कर...
हम हिंदुओं का दिमाग!
पिंजरे में हैं, गुलाम हैं, अंधविश्वासी हैं, टुकड़े खाते हैं, भूखे मरते हैं तथा भयाकुल व भयभीत रहते हैं लेकिन दिमाग इतना चेतन नहीं जो अनुभव को सत्य की...
पहले जाति पूछकर बांटेंगे!
एक तरफ कहा जा रहा था कि आतंकवादियों ने धर्म पूछ कर मारा, जाति पूछ कर नहीं। तो दूसरी ओर सरकार ने सबकी जाति पूछने का फैसला ले लिया।
स्थानीय बनाम राष्ट्रीय मुद्दों का नैरेटिव
भले कई राज्यों में भाजपा विपक्ष में है लेकिन वहां भी उसे किसी न किसी स्तर पर सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है।
अब मणिपुर मॉडल की चर्चा
मणिपुर की घटना को लेकर सोशल मीडिया में जिस तरह का एक पैरेलल नैरेटिव चल रहा है उससे कई सवाल खड़े होते हैं।
झारखंड में भी वोट गणित पर चुनाव
बिहार में एनडीए ज्यादातर सांसदों के फिर से टिकट देकर फंसा हैं तो झारखंड में भाजपा टिकट काट कर फंसी है।
सोचें, अच्छा क्या बचा?
देश को कोई श्राप मिला है जो न गर्मजोशी, न मेल-मुलाकात, न बहस, न विचार और न निर्भयता याकि स्वतंत्रता, कलात्मकता, सृजनात्मकता, सत्य शोध कुछ भी नहीं बचा।
भाजपा संगठन कांग्रेस से बदतर!
आरएसएस के रहते भाजपा का इतना पतन! आखिर संघ-भाजपा की संगठनात्मक संरचना तो हमेशा कांग्रेस से बेहतर रही है।
मप्र-छतीसगढ़ में शाह हैं सेनापति!
असली लड़ाई मध्य प्रदेश में है, जिसकी जमीनी हकीकत की मोदी-शाह बारीक खबर रखते हैं।
यूसीसीः लेने के देने!
ध्यान रहे समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का कोई मसौदा अभी का नहीं है। उत्तराखंड सरकार का ड्राफ्ट बिल तैयार है और विधि आयोग इस पर लोगों की राय...