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कानून-कायदे ताक पर

स्वाभाविक है कि पुणे में कार से दो टेक कर्मियों को कुचल देने की घटना को आरोपी नौजवान की अति धनी पारिवारिक पृष्ठभूमि से जोड़कर देखा गया है। इसे इसकी मिसाल माना गया है कि धनी लोग पूरे सिस्टम का किस मनमाने ढंग से दुरुपयोग करते हैं।

पुणे में सड़क पर दो टेक कर्मियों को कार से कुचल देने की घटना पर पुलिस और अदालत का जैसा आरंभिक रुख सामने आया, उस पर उचित ही देश भर में आक्रोश देखा गया है। शराब के नशे में लगभग चार करोड़ रुपये की महंगी कार चला रहे नौजवान ने मोटरसाइकिल पर जा रहे दो युवा टेक कर्मियों की जान ले ली। लेकिन पुलिस ने नौजवान के कथित रूप से वयस्क ना होने के कारण आसान धाराओं में केस दर्ज किया। अदालत का रुख तो और भी अजीब था। न्यायाधीश ने नौजवान को इन दो शर्तों पर अविलंब जमानत दे दीः नौजवान दुर्घटना के बारे में 300 शब्दों में एक लेख लिखेगा और माता-पिता यह सुनिश्चित करेंगे कि वह आगे ऐसी ‘लापरवाही’ नहीं करेगा। स्वाभाविक है कि इस घटनाक्रम को आरोपी नौजवान की अति धनी पारिवारिक पृष्ठभूमि से जोड़कर देखा गया है। इसे इस बात की मिसाल माना गया है कि धनी लोग पूरे सिस्टम का किस मनमाने ढंग से दुरुपयोग करते हैं। घटना चर्चित होने के बाद ये जानकारियां भी सामने आईं कि आरोपी के पिता ने महंगी पोर्श कार को खरीदने के बाद उसका तुरंत रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं समझी।

अब नगर के परिवहन प्रशासन ने कहा है कि चूंकि संबंधित व्यक्ति ने रोड टैक्स नहीं चुकाया था, इसलिए पंजीकरण नहीं किया गया। यह टैक्स लगभग 44 लाख रुपये है। इसमें गौर करने की बात यह है कि यह कार कई महीनों तक पुणे की सड़कों पर बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के चलती रही। लोगों का यह पूछना वाजिब है कि ट्रैफिक पुलिस और उसका सिस्टम कहां सोये हुए थे? क्या रसूखदार लोगों में खुद के कानून-कायदों से ऊपर होने होने का भाव भरने में प्रशासन के ऐसे रुख की भी भूमिका नहीं होती? जन आक्रोश उभरने के बाद प्रशासन हरकत में आया है और अब सख्त कार्रवाई करने के संकेत दे रहा है। लेकिन यह कार्रवाई फ़ौरी और दिखावटी है, या प्रशासन सचमुच इस मामले में सामने आए कानून के हर उल्लंघन की सजा दिलवाने के लिए अब तत्पर हुआ है, यह बात का सबूत भविष्य के घटनाक्रमों से ही मिलेगा।

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