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अध्यात्म बनाम अज्ञान

बगलामुखी

देवताओं की विराट छवियों का दायरा परिकल्पनाओं से अध्यात्म तक फैला हुआ है। क्या उन्हें भौतिक जगत में समेटना उचित है? फिर भौतिक जगत की चुनौतियों के बरक्स जो ज्ञान चाहिए, उससे उलट जानकारी देना भारत के भविष्य से खिलवाड़ नहीं है?

हिंदू मान्यता के मुताबिक श्रीकृष्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण अवतार थे। इसीलिए वे भौतिक जगत में ऐसी लीलाएं करते थे, जिनका दायरा अध्यात्म तक जाता था। माखन चोर होना या रासलीला करना उनकी ऐसी ही लीलाएं थीं। मगर अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को लगता है कि माखन चोर कहना श्रीकृष्ण का अपमान है। इसलिए उनकी सरकार यह बताने का अभियान चलाएगी कि माखन चोरी कंस के अत्याचार के खिलाफ श्रीकृष्ण का विद्रोह था। यानी माखन चोरी को श्रीकृष्ण के नटखटपने के रूप में चित्रित करने की परंपरा को तोड़ा जाएगा। इस बीच भाजपा के प्रमुख नेता अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में गए।

वहां उन्होंने बच्चों से पूछा कि पहला अंतरिक्ष यात्री कौन था। जवाब मिला- नील आर्मस्ट्रॉन्ग। सामान्य अपेक्षा के मुताबिक इस पर ठाकुर को नाराज होना चाहिए था। शिक्षकों से पूछना चाहिए था कि बच्चों के पास यह गलत जानकारी क्यों है? उन्हें क्यों नहीं मालूम कि पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरीन थे। मगर ठाकुर ने खुद ही बच्चों की जानकारी दुरुस्त की- कहा कि पहले अंतरिक्ष यात्री हनुमान जी थे! मान्यताओं के मुताबिक हनुमान देवता हैं। उन्हें दैविक शक्तियां प्राप्त थीं, इसलिए वे आसमान में उड़ान भर सकते थे। जबकि यहां बात अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इनसान की है?

मगर वर्तमान सत्ताधारी पार्टी के नेता अक्सर इतिहास, धार्मिक मान्यताओं, तथ्य और मिथकों का घालमेल कर अपने राजनीतिक कथानक को आम जन- खासकर कमउम्र लोगों के मन में उतारने का प्रयास करते रहते हैँ। वे भौतिक जीवन और अध्यात्म का फर्क नहीं करते। अगर उनके दल में वास्तविक ज्ञान परंपरा और आत्म-निरीक्षण का रिवाज है, तो उन्हें सोचना चाहिए कि ऐसा कर क्या वे उस धर्म का भला कर रहे हैं, जिसका रक्षक होने का वे दावा करते हैं। श्रीकृष्ण हों या हनुमान, उनकी जो विराट छवियां लोगों के मन में बसी हुई हैं, उनका दायरा परिकल्पनाओं से अध्यात्म तक फैला हुआ है। क्या भौतिक जगत में उसे समेटना उचित है? फिर भौतिक जगत की चुनौतियों के बरक्स नई पीढ़ी को जो ज्ञान चाहिए, उससे उलट जानकारी देना क्या भारत के भविष्य से खिलवाड़ नहीं है?

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By NI Editorial

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