nayaindia India semiconductor superpower हकीकत का आईना

हकीकत का आईना

आईटीआईएफ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 2029 तक अधिकतम पांच फैक्टरियां ही लग पाएंगी और वो भी 28 नैनोमीटर वाले चिप का उत्पादन करने वाली होंगी। जबकि अमेरिका में तीन और चीन में पांच नैनोमीटर के चिप तैयार हो रहे हैं।

सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत को महाशक्ति बनाने के सपने में अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक टैंक- थिंक टैंक इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन (आटीआईएफ) ने पिन चुभो दिया है। भारत सरकार ने दस बिलियन डॉलर की विशाल रकम इस क्षेत्र में आने वाली कंपनियों को सब्सिडी देने के लिए रखी है। ऐसी शर्तों के साथ विदेशी कंपनियों को चिप फैब्रीकेशन की फैक्टरी लगाने बुलाया जा रहा है, जिसमें दो तिहाई तक आरंभिक निवेश सरकार करेगी, जबकि सारा मुनाफा उन कंपनियों का होगा। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक भारत में ऐसी फैक्टरियां लगाने के लिए अब तक 18 प्रस्ताव सरकार को मिल चुके हैं। आईटीआईएफ ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि इन सबके बावजूद भारत में 2029 तक अधिकतम पांच फैक्टरियां लग पाएंगी और वो भी 28 नैनोमीटर वाले चिप का उत्पादन करने वाली होंगी। जबकि अमेरिका में तीन और चीन में पांच नैनोमीटर के चिप तैयार हो रहे हैं। इस बीच चिप क्षेत्र में बढ़ी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए अमेरिका, चीन, यूरोप, जापान और ताइवान में अनुसंधान और उत्पादन बड़े पैमाने पर बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है।

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आईटीआईएफ ने आशंका जताई है कि इस घटनाक्रम से भारतीय प्रयासों पर ग्रहण लग सकता है। थिंक टैंक ने कहा है- ‘भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन में अपेक्षाकृत अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, बशर्ते सरकार अपनी निवेश नीति पर कायम रहे, विनियमन और कारोबार का अनुकूल वातावरण बनाए रखे और अनिश्चिय पैदा करने वाले कदमों से बचे। ये सब बहुत बड़ी शर्तें हैं।’ दरअसल, सेमीकंडक्टर की दुनिया में विशेष पहचान चिप डिजाइनिंग की दिशा में नए आविष्कारों से बनती है। डिजाइन किए चुके चिप के उत्पादन (फैब्रीकेशन) का अपना महत्त्व है, लेकिन इस पर नियंत्रण बौद्धिक संपदा अधिकार रखने वाली कंपनी का रहता है। डिजाइनिंग मेधा और पूंजी सघन क्षेत्र है, जिसके लिए अत्याधुनिक अनुसंधान और अनुकूल बाजार पूर्व शर्त हैं। भारत सरकार के लिए विचारणीय है कि क्या इन क्षेत्रों में देश के अंदर मजबूत जमीन तैयार कर ली गई है? ऐसा किए बिना भारी सब्सिडी देकर कंपनियों को बुलाना फुनगी के जरिए पेड़ लगाने की कोशिश मानी जाएगी। क्या यह संभव है?

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