हाल में सर्वोच्च न्यायपालिका के जजों का जिस तरह का आचरण रहा है, उसे देखते हुए जस्टिस संजीव खन्ना के इस एलान का महत्त्व और भी अधिक महसूस हुआ है कि रिटायरमेंट के बाद वे कोई पद स्वीकार नहीं करेंगे। यह उत्कृष्ट उदाहरण है।
निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन यह प्रशंसनीय घोषणा की कि रिटायरमेंट के बाद वे कोई और पद स्वीकार नहीं करेंगे। इस तरह जस्टिस खन्ना ने एक बेहतरीन मिसाल कायम की है। हाल में सर्वोच्च न्यायपालिका के जजों का जिस तरह का आचरण रहा है, उसे देखते हुए इस एलान का महत्त्व और भी अधिक महसूस हुआ है।
हालांकि इस अप्रिय घटनाक्रम की शुरुआत कई दशक पहले हो गई थी, लेकिन हाल के वर्षों में यह एक बड़ी बीमारी बन गई। रिटायर होते ही राज्यपाल, राज्यसभा के सदस्य, आयोगों या पंचाटों के अध्यक्ष आदि जैसे पद स्वीकार करने वाले जजों की सूची लंबी होने लगी।
जस्टिस खन्ना का साहसिक फैसला
नतीजा हुआ है कि आज अदालतें जब कोई राजनीतिक महत्त्व का फैसला देती हैं, तो सार्वजनिक चर्चाओं में संबंधित न्यायाधीशों की मंशा या उनकी आगे की गणना की चर्चा होने लगती है। इस तरह न्यायिक निर्णयों की पवित्रता प्रभावित हुई है। उसका असर न्यायपालिका की साख पर पड़ा है। कभी सार्वजनिक दायरे में ये बहस उठी थी कि जजों और ऊंचे पदों पर आसीन नौकरशाहों को रिटायरमेंट के बाद अगला कोई पद स्वीकार करने के पहले कुछ वर्षों का एक कूलिंग पीरियड होना चाहिए।
मगर व्यवहार में इसके विपरीत रुझान आगे बढ़ा और आज वो चर्चा बेमायने मालूम पड़ती है। मगर वो जन आकांक्षाएं खत्म नहीं हुई हैं। बल्कि सिर्फ कार्यपालिका, नौकरशाही और विधायिका से जुड़ी शख्सियतों को लेकर समाज में व्यग्रता बढ़ी है और धीरे-धीरे न्यायपालिका उसके दायरे में आ गई है। इससे पूरी राज्य-व्यवस्था की साख प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है।
इस पृष्ठभूमि में जस्टिस खन्ना की घोषणा ताजा हवा के झोंके की तरह आई है। प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका छोटा कार्यकाल भी एक बेहतर अहसास छोड़ गया है। उनके अनेक पूर्ववर्तियों के कार्यकाल में जिस तरह के विवाद उठे, जस्टिस खन्ना का कार्यकाल उनसे मुक्त रहा। उन्होंने कमोबेश उन अपेक्षाओं को पूरा किया, जो एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका प्रमुख से होती है। आशा है, उनके उत्तराधिकारी ऐसी ही विरासतों का अनुकरण करेंगे और न्यायपालिका की गरिमा को बहाल करने में सहायक बनेंगे।
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