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किसका बायोपिक और क्यों?

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गुनीत मोंगा ने फीचर फिल्में बनाने में चाहे कई गलत फैसले किए हों, लेकिन दो ऑस्कर जीत कर उन्होंने साबित कर दिया है कि डॉक्यूमेंट्री के मामले में वे पर्याप्त गंभीर रहती हैं। इसीलिए यो यो हनी सिंह की आपबीती में उन्हें जरूर कुछ ऐसा मिला होगा कि उन्होंने विषय के तौर पर उन्हें चुना और नेटफ्लिक्स भी तैयार हो गया। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। बॉलीवुड में सबसे बड़ी दिक्कत कहानियों की है। दक्षिण की फिल्मों से उसके पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह ही यह मानी जाती है कि उसे बेहतर कहानियां नहीं मिल रहीं।

कुछ निर्माता बेहतर कहानियों की कमी को शायद बायोपिक से पूरा करना चाहते हैं। जानी-मानी हस्तियों तक तो ठीक है, लेकिन यह मामला ऐसे लोगों की बायोपिक बनाने तक पहुंच गया है जो अजीब और असामान्य वजहों से चर्चित हुए। कुछ ही दिन पहले भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी समीर वानखेड़े को इस बात का खंडन करना पड़ा कि उन पर कोई बायोपिक बन रही है। उनका कहना था कि अगर किसी निर्माता को उन पर फिल्म बनानी है तो उसे उनसे आकर मिलना होगा और उनकी स्वीकृति लेनी होगी। उनके परिवार के किसी और सदस्य की मंजूरी से बात नहीं बनेगी। शायद किसी ने उनके पिता से बात करके मान लिया था कि मंजूरी मिल गई। बहरहाल, समीर वानखेड़े क्यों और कैसे चर्चा में आए, यह कोई ज्यादा पुरानी बात नहीं हुई है। इससे उनकी बायोपिक में किसी निर्माता की दिलचस्पी समझी जा सकती है।

मगर इससे ज्यादा चौंकाने वाला मामला दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद एक ठग सुकेश चंद्रशेखर की बायोपिक का है। सैकड़ों करोड़ की ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग के इस आरोपी के दो अभिनेत्रियों जैकलीन फर्नांडीस और नोरा फतेही से संबंध सबको पता हैं। ये दोनों ही अभिनेत्रियां विदेश से बॉलीवुड में आई हैं। सुकेश सार्वजनिक चिट्ठियां लिख कर दावा कर चुका है कि दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने, जो कि खुद भी जेल में हैं, उससे प्रोटेक्शन मनी मांगी। वह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी आरोप लगा चुका है। उसके कई दावों पर केंद्रीय एजेंसियों की जांच चल रही है या वे अदालत के विचाराधीन हैं।

जो निर्माता सुकेश पर फिल्म बनाना चाहता है, वह तिहाड़ जेल के एक अधिकारी से मिल भी चुका है। कहा जा रहा है कि सत्रह साल की उम्र से ही सुकेश ने बेंगलुरु में लोगों को ठगना शुरू कर दिया था। फिर वह नेताओं, व्यापारियों और फिल्मवालों के संपर्क में आया। यानी धोखाधड़ी, ठाठबाट, अभिनेत्रियों से अफ़ेयर और नेताओं से लेनदेन के दावे, फिल्म बनाने के लिए और क्या चाहिए। आखिर चार्ल्स शोभराज पर भी तो बायोपिक बनी थी। मगर सुकेश चंद्रशेखर के मामले में एक समस्या यह है कि नेताओं पर उसने जो आरोप लगाए हैं, उनका क्या होगा? वे अभी अदालत में साबित नहीं हुए हैं। उसकी बायोपिक इन आरोपों का क्या करेगी?

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By सुशील कुमार सिंह

वरिष्ठ पत्रकार। जनसत्ता, हिंदी इंडिया टूडे आदि के लंबे पत्रकारिता अनुभव के बाद फिलहाल एक साप्ताहित पत्रिका का संपादन और लेखन।

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