nayaindia Surya Jayanti 2023 सरयू नदीःश्रीराम की जन्म-कर्म भूमि की साक्षी

सरयू नदीःश्रीराम की जन्म-कर्म भूमि की साक्षी

श्रीराम की नगरी अयोध्या की भूमि को उपजाऊ बनाने और भगवान श्रीराम जन्म का साक्षी बनने में सरयू का विशेष योगदान है। अयोध्या वास्तव में सरयू नदी से समृद्ध है, जो वर्तमान में एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में सामने आया है और एक पवित्र भूमि की तरह पूजी जाती है है। श्रीराम के जन्म के समय सरयू नदी के तट पर बसे अधिकांश शहर वर्तमान में पर्यटक तीर्थ स्थल हैं।

4 जूनः सरयू जयंती

सरयू नदी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में बहने वाली भारत की प्राचीन नदियों में से एक है। घाघरा, सरजू, शारदा, देविका, रामप्रिया इस नदी के अन्य नाम हैं। हिमालय से निकलकर उत्तरी भारत के गंगा के मैदान में बहने वाली सरयू नदी बलिया और छपरा के बीच में गंगा में मिल जाती है। सरयू नदी को इसके ऊपरी हिस्से अर्थात उत्तराखंड में बहने वाली भाग को काली नदी के नाम से जाना जाता है। यह काफ़ी दूरी तक भारत के उत्तराखंड राज्य और नेपाल के बीच सीमा बनाती है। मैदान में उतरने के पश्चात इसमें करनाली या घाघरा नदी आकर मिलती है, और इसका नाम सरयू हो जाता है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में इसे शारदा भी कहा जाता है। नदी के इस अंश के किनारे अयोध्या का ऐतिहासिक व तीर्थ नगर बसा हुआ है। राजा दशरथ की राजधानी और भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्रीराम के जन्मस्थान अयोध्या से होकर बहने के कारण सनातन वैदिक धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है।

मान्यतानुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सरयू माता का धरती पर अवतरण हुआ था। इसलिए ज्येष्ठ की पूर्णिमा को सरयू जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अयोध्या में धूमधाम से सरयू के तट पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और आयोजन आयोजित किए जाते हैं। मान्यता है कि सरयू भगवान श्री राम और अयोध्या धाम यह तीनों एक दूसरे के पूरक हैं। यही कारण है कि सरयू जयंती को धूमधाम से अयोध्या वासी मनाते हैं, और तीन दिवस तक एक ब्रह्म रूप में सरयू को साक्षात मां मानकर इनकी आराधना करते हैं। इससे मनुष्य के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और जीव निर्मूल होकर यहां से जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह पवित्र नदी शहर की अशुद्धियों और पापों को धोती है। विभिन्न धार्मिक अवसरों पर हजारों पर्यटक सरयू नदी के पवित्र जल में रोज डुबकी लगाते हैं। यह गंगा नदी की सात सहायक नदियों में से एक है, और इतनी पवित्र मानी जाती है कि यह मानव जाति की अशुद्धियों को धो देती है।

पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार सरयू नदी का एक अन्य नाम कौड़ियाली नदी भी है, जो मानसरोवर से उद्भुत होती है। तिब्बत के पहाड़ों में इसे कौड़ियाली कहते हैं। मैदान में पहुँच कर इसका नाम सरयू नदी और अंत में घाघरा नदी हो जाता है। रामायण की कथा में दशरथ की राजधानी और श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या से होकर सरयू के बहने की कथा अंकित है। वाल्मीकि रामायण के कई प्रसंगों में सरयू नदी का उल्लेख आया है। बाल काण्ड सर्ग 24  में विश्वामित्र ऋषि के साथ शिक्षा प्राप्ति हेतु जाते समय श्रीराम के सरयू नदी द्वारा अयोध्या से गंगा के संगम तक नाव से यात्रा करने का वर्णन मिलता है। वाल्मीकि रामायण 5/ 19 के अनुसार त्रेतायुगीन रामायण काल में सरयू कोसल जनपद की प्रमुख नदी थी। वाल्मीकि रामायण, अयोध्याकाण्ड 63,/20-21-36 के अनुसार अयोध्या से कुछ दूर सरयू के तट पर घना जंगल स्थित था, जहां अयोध्या नरेश आखेट के लिए जाया करते थे। दशरथ ने इसी वन में आखेट के समय भूल से सरयू से अपने अंधे माता-पिता के लिए जल लेने के लिए आये श्रवण कुमार का बध कर दिया था। कालिदास के महाकाव्य रघुवंशम् में भी सरयू नदी का उल्लेख है। रामचरित मानस में तुलसीदास ने इस नदी का गुणगान किया है।

वैदिक मतानुसार यद्यपि वेदों में ऐतिहासिक चरित्र अथवा इतिहास का वर्णन नहीं है, फिर भी कुछ विद्वानों के अनुसार सरयू का उल्लेख ऋग्वेद में हुआ है। ऐसे विद्वानों के अनुसार ऋग्वेद 4/13/18 में इंद्र द्वारा दो आर्यों के वध की कथा में जिस नदी के तट पर इस घटना के होने का वर्णन है, वह यही नदी है। सरयू नदी का ऋग्वेद में उल्लेख है। ऋग्वेद 4, 30, 18, 10, 64, 9, 5, 53, 9 के अनुसार यदु और तुर्वससु ने इसे पार किया था। इसकी सहायक राप्ती नदी के भी अरिकावती नाम से उल्लेख का वर्णन मिलता है। पाणिनि के अष्टाध्यायी 6,4,174 में सरयू का नामोल्लेख हुआ है। पद्मपुराण के उत्तरखंड 35-38 में सरयू नदी का माहात्म्य वर्णित है। सरयू नदी अयोध्यावासियों की बड़ी प्रिय नदी थी।  कालिदास के रघुवंश 13/63 में राम सरयू को जननी के समान ही पूज्य कहते हैं। रघुवंश 13/ 63 में सरयू के तट पर अनेक यज्ञों के रूपों का वर्णन हुआ है।

महाभारत, अनुशासनपर्व 155 में सरयू को मानसरोवर से निस्सृत माना गया है। अध्यात्म रामायण युद्धकांड 14, 13 में भी मानसरोवर से निस्सृत होने की बात कही गई है, जिसका नाम ब्रह्मसर भी है। कालिदास के रघुवंश 13, 60 में ब्रह्मसर और  रामचरितमानस बालकांड में भी सरयू को मानसनन्दनी कहा है। पौराणिक मान्यतानुसार सरयू मानसरोवर से पहले कौड़याली नाम धारण करके बहती है, फिर इसका नाम सरयू और अंत में घाघरा या घर्घरा हो जाता है। सरयू छपरा (बिहार) के निकट गंगा में मिलती है। गंगा-सरयू संगम पर चेरान नामक प्राचीन स्थान है। इसके कुछ आगे पटना के ऊपर शोण, गंगा से मिलती है। कालिदास ने रघुवंश 8,95 में सरयू-जाह्नवी संगम को तीर्थ बताया गया है। यहां दशरथ के पिता अज ने वृद्धावस्था में प्राण त्याग दिए। महाभारत, भीष्मपर्व 9, 19 मे सरयू का नामोल्लेख हुआ है।

श्रीमद्भागवत 5, 19, 18 में नदियों की सूची में भी सरयू परिगणित है- यमुना सरस्वती दृषद्वती गोमती सरयू। मिलिंदपन्हो नामक बौद्ध ग्रंथ में सरयू का सरभू कहा गया है। रामचरितमानस में सरयू नदी को अयोध्या की पहचान का प्रमुख चिह्न बताया गया है। राम की जन्म-भूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के दाएँ तट पर स्थित है। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। रामायण के अनुसार भगवान राम ने सरयू नदी में ही जल समाधि ली थी।

उल्लेखनीय है कि हिमालय से निकलकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य से बहने वाली सरयू नदी की लंबाई 350 किलोमीटर है और इसकी स्रोत ऊंचाई 4150 मीटर है। इस नदी का नाम संस्कृत भाषा से लिया गया है। सरयू नदी की प्रमुख सहायक नदी राप्ती है, जो इसमें उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले के बरहज नामक स्थान पर मिलती है। इस क्षेत्र का प्रमुख नगर गोरखपुर इसी राप्ती नदी के तट पर स्थित है और राप्ती तंत्र की अन्य नदियाँ आमी, जाह्नवी इत्यादि हैं, जिनका जल अंततः सरयू में जाता है। सरयू के आस-पास राम जन्मभूमि, हनुमान गढ़ी मंदिर आदि कई पवित्र स्थल हैं। बहराइच, सीतापुर, गोंडा, फैजाबाद, अयोध्या, राजेसुल्तानपुर, दोहरीघाट, बलिया आदि शहर इस नदी के तट पर स्थित हैं। पुराणों के अनुसार सरयू नदी किसी भी नदी की एक और सहायक नदी नहीं है, बल्कि  रामायण व पौराणिक ग्रन्थों में वर्णित जल का एक निकाय है। श्रीराम की नगरी अयोध्या की भूमि को उपजाऊ बनाने और भगवान श्रीराम जन्म का साक्षी बनने में सरयू का विशेष योगदान है। अयोध्या वास्तव में सरयू नदी से समृद्ध है, जो वर्तमान में एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में सामने आया है और एक पवित्र भूमि की तरह पूजी जाती है है। श्रीराम के जन्म के समय सरयू नदी के तट पर बसे अधिकांश शहर वर्तमान में पर्यटक तीर्थ स्थल हैं। अनेक विशेषताओं को समेटे सरयू नदी भारत की सबसे प्रमुख नदियों में से एक है।

By अशोक 'प्रवृद्ध'

सनातन धर्मं और वैद-पुराण ग्रंथों के गंभीर अध्ययनकर्ता और लेखक। धर्मं-कर्म, तीज-त्यौहार, लोकपरंपराओं पर लिखने की धुन में नया इंडिया में लगातार बहुत लेखन।

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