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गपशप

पूंजी में ठगी के बाद कमाई के लिए लूट होगी

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दुनिया का मीडिया लिख रहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला खुला है। अदानी समूह द्वारा शेयर बाजार में की गई कथित गड़बड़ियों को कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है। इसका नतीजा भी सामने है। जिस तरह से हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया था कि अदानी समूह के शेयरों की कीमत 85 फीसदी तक गिर जानी चाहिए वैसा होता हुआ दिख रहा है। अदानी समूह की आधी बाजार पूंजी गायब हो चुकी है। तभी अब सवाल है कि इसके आगे क्या? दुनिया के दूसरे सभ्य और विकसित लोकतांत्रिक देशों में निवेशकों री पूंजी के ऐसे डुबने पर मुकदमे दर्ज होते। जांच हो रही होती। भारत में वैसा कुछ नहीं हो रहा है। तभी अब ऐसा लग रहा है कि फिर से अदानी समूह के कंसोलिडेशन का काम होगा। इसका कारण यह है कि अदानी ने सरकार की मेहबानी से देश के बुनियादी ढांचे और अनिवार्य आवश्यकताओं से जुड़े कई क्षेत्रों पर एकाधिकार सा बना लिया है। बंदरगाह से लेकर हवाईअड्डा और बिजली से लेकर कोयला और खाने पीने की चीजों से लेकर बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट में कंपनी का एकाधिकार है और उसका वह काम इस घोटाले से प्रभावित नहीं हुआ है।

अदानी समूह का बंदरगाह के क्षेत्र में एकाधिकार है। भारत के बंदरगाहों में 33 फीसदी यानी एक तिहाई अदानी समूह के पास है। दुनिया के दूसरे कई देशों में भी बंदरगाह के काम अदानी को मिले हैं। इजराइल के हाइफा पोर्ट के विकसित करने का काम अदानी को मिला है तो श्रीलंका और म्यांमार में भी पोर्ट का काम कंपनी के पास है। सो, एक तरह से समुद्र में अदानी का राज है, जहां से वैध और बड़ी मात्रा में अवैध कारोबार होता है। याद करें कैसे पिछले कुछ दिनों में अदानी के पोर्ट पर टन के हिसाब से नशीले पदार्थ जब्त हुए हैं। अफगानिस्तान से ईरान के रास्ते हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ भारत आ रहे हैं। इसी तरह से हवाईअड्डों पर भी धीरे धीरे अदानी समूह का एकाधिकार बन रहा है। देश के सबसे बिजी हवाईअड्डों में से एक मुंबई हवाईअड्डा का अधिग्रहण अदानी समूह ने कर लिया है और नवी मुंबई हवाईअड्डे का काम भी उसी को मिल चुका है। इसके अलावा छह और हवाईअड्डों के रखरखाव और संचालन का काम अगले 50 साल के लिए अदानी समूह को मिला है। इसमें जयपुर से लेकर अहमदाबाद, गुवाहाटी, लखनऊ, तिरूवनंतपुरम और मंगलुरू का हवाईअड्डा अदानी को मिल गया है। इन सभी हवाईअड्डों पर यूजर चार्ज के रूप में मोटी रकम वसूली जा रही है। आने वाले दिनों में इसमें बढ़ोतरी हो तो हैरानी नहीं होगी। सभी हवाईअड्डों के खाली स्पेस का कॉमर्शियल इस्तेमाल भी आने वाले दिनों में बढ़ेगा।

बिजली के क्षेत्र में अदानी बड़ी कंपनी है। पारंपरिक ऊर्जा यानी कोयला आधारित पावर प्लांट और हरित ऊर्जा दोनों में उसका दबदबा है। बिजली उत्पादन से लेकर बिजली वितरण और स्मार्ट मीटरिंग के काम में अदानी समूह अग्रणी कंपनी है। कमाई बढ़ाने के लिए अदानी समूह आने वाले दिनों में पर्यावरण की परवाह किए बगैर कोयला आधारित बिजली उत्पादन बढ़ाए। कीमतों में भी बढ़ोतरी हो तो हैरानी नहीं होगी। बिजली की जरूरत बता कर सरकार दाम बढ़ाने की इजाजत भी दे सकती है या कुछ और ऐसे कानूनी प्रावधान किए जा सकते हैं, जिनसे अदानी समूह की कमाई बढ़े। ध्यान रहे कोयला के मामले में ऐसा किया गया है। देश के हर राज्य को कहा गया है कि उनके पास चाहे जितना घरेलू कोयला हो उनको अपनी जरूरत का 10 फीसदी कोयला आयात करना होगा। वह आयात अदानी के जरिए होगा। सो, कोयला और बिजली दोनों में इस साल गर्मियों में क्या उछाल आता है वह देखने वाली बात होगी।

अनाज के भंडारण और खाने-पीने के चीजों के उत्पादन में भी अदानी समूह की बड़ी हिस्सेदारी है। चाहे हिमाचल के सेब का मामला हो या पंजाब-हरियाणा में अनाज भंडार के लिए बनाए गए साइलो का मामला हो, हर जगह अदानी समूह का दखल है। खाने के तेल से लेकर सोयाबीन तक का उत्पादन कंपनी कर रही है। इसी तरह से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में कुछ दिन पहले ही कंपनी ने प्रवेश किया है और उसके पास हजारों करोड़ रुपए के सड़क निर्माण के प्रोजेक्ट हैं। मीडिया में भी कंपनी ने बड़ा दखल बनाया है। उसके ये सारे काम शेयर बाजार की उथल पुथल से अछूते हैं। कंपनी इन क्षेत्रों में कमाई बढ़ाने का प्रयास करेगी और उसकी मार आम लोगों पर पड़ेगी। इस तरह से कह सकते हैं कि कॉरपोरेट इतिहास के सबसे बड़े घोटाले यानी सबसे बड़ी ठगी के बाद अब लूट का सिलसिला शुरू होगा।

 

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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