hindenburg report
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद गौतम अदानी की कंपनी ने अपनी सफाई में जो कुछ कहा वह इस बात का संकेत था कि आगे यह कहानी क्या मोड़ लेने वाली है।
बीते 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ अडानी ग्रुप के बारे में रिपोर्ट जारी करने से मची उथल-पुथल अब सिर्फ इसी उद्योग समूह का संकट नहीं रह गई है।
मोदी को भी अपना भरोसा खूटे पर टांग कर अदानी ग्रुप की पड़ताल वैसे ही करानी चाहिए जैसे विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी आदि की हुई है।
निवेशकों का विश्वास बना रहेगा। कंपनियां अपनी ताकतों और कमजोरियों के चलते उठती और गिरती रहती हैं।
विशालकाय हाथी, मतलब दुनिया का नंबर दो अमीर अदानी! और हाथी की पीठ के हौदे पर बैठे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी!
सवाल है गौतम अदानी की कंपनी का एफबीओ सब्सक्राइव नहीं हो रहा था तब कौन उनको बचाने आया?
आमतौर पर जब कोई बड़ा वित्तीय घोटाला खुलता है तो सरकार की कानून प्रवर्तन एजेंसियां सक्रिय हो जाती हैं और जांच शुरू होती है।
दुनिया का मीडिया लिख रहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला खुला है।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी को की कंपनी पर गंभीर आरोप लगा दिए। इससे विश्वास का संकट खड़ा हुआ और अडानी ग्रुप गहरे संकट में फंस गया है।
आज या तो मोदी सरकार अपने बैंकों तथा एलआईसी से अदानी ग्रुप के शेयरों की अंधाधुंध खरीद करवाएगी या बैंकों-एलआईसी की बरबादी रोकने के लिए उन्हें अदानी के शेयरों को बेचने के लिए कहेगी।
हिंडनबर्गरिपोर्ट के बाद अदानी समूह शेयर बाजार में लुढका।एसबीआई व आईसीआईसीआई के शेयरों में भी गिरावट।
भारत की गरिमा व उसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख दांव पर है तो खुद गौतम अदानी का वैश्विक खरबपति होने का रूतबा भी दांव पर है!
क्या हिंडनबर्ग रिसर्च से अदानी ग्रुप के बाजे बजेंगे? कतई नहीं। इसलिए क्योंकि पहली बात भारत लूटने के लिए है।
दुनिया की प्रतिष्ठित रिसर्च संस्था की ओर से लगाए गए आरोपों का बिंदुवार जवाब दें।
शेयर बाजार में अपनी कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ाने के लिए जोड़-तोड़ करने के आरोप न अदानी समूह पर नए हैं और न ऐसा है कि यह पहली कंपनी है