झारखंड में यह बहुत कमाल की उलटबांसी हुई है। अब तक केंद्रीय एजेंसियां राज्य के आईएएस और दूसरे अधिकारियों को परेशान कर रही थी। मुख्यमंत्री से लेकर कई अधिकारी सीबीआई और ईडी के निशाने पर थे। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और सहयोगी कांग्रेस केंद्रीय एजेंसियों की हर कार्रवाई को बदले की कार्रवाई बताते थे। लेकिन अब राज्य सरकार ने, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने एक आईएएस को गिरफ्तार करा दिया है।
आईएएस हैं विनय चौबे और उनको गिरफ्तार किया है राज्य की एसीबी यानी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने। उनको शराब घोटाले में गिरफ्तार किया गया है। सोचें, झारखंड और छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में उनसे केंद्रीय एजेंसी ईडी ने पूछताछ की थी और तब जेएमएम व हेमंत ने इसका विरोध किया था।
आईएएस विनय चौबे की गिरफ्तारी पर सस्पेंस
ईडी ने उनको शराब के मामले में गिरफ्तार नहीं किया लेकिन उसी मामले में अब हेमंत की पुलिस ने विनय चौबे को गिरफ्तार कर लिया है। 1999 बैच के आईएएस विनय चौबे अभी पंचायती राज के सचिव हैं।
उनकी गिरफ्तारी को लेकर दो तरह की कहानियां हैं। एक कहानी यह है कि उनको इसलिए गिरफ्तार किया गया है ताकि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई से बचाया जा सके। लेकिन इस कहानी में दम नहीं है क्योंकि केंद्रीय एजेंसियां चाहें तो अब भी उनको गिरफ्तार कर सकती हैं। दूसरी कहानी यह है कि हेमंत सोरेन पिछले साल जब जेल गए तो विनय चौबे ने उनका वैसा साथ नहीं दिया, जैसा देना चाहिए था। हेमंत की गिरफ्तारी से कुछ समय पहले तक वे मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव थे और पूरे राज्य का प्रशासन संभालते थे।
जब हेमंत जेल से निकले उसके बाद से ही चौबे को ठिकाने लगाने के प्रयास चल रहे थे और उसी प्रयास के तहत उनको पंचायती राज विभाग में भेजा गया था। अन्यथा सीएम का प्रधान सचिव रहा अधिकारी उसी सीएम के राज में पंचायती राज विभाग में तो नहीं जा सकता है। इसका मतलब है कि सीएम नाराज हैं। वह नाराजगी गिरफ्तारी के समय साथ नहीं देने की है या कुछ और कारण है? यह भी कहा जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई से बचने के लिए उन्होंने जो भागदौड़ की थी उससे भी सत्ता में बैठे लोग नाराज हैं।
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