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जुमले गढ़ने में बीते नौ साल

नरेंद्र मोदी ने मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से वैसे तो सैकड़ों योजनाओं की घोषणा की है। सैकड़ों वादे किए हैं लेकिन असल में उन्होंने 26 बड़ी या कोर सेक्टर की योजनाएं की घोषणा की थी, जिनके लिए नए और फैंसी नाम गढ़े गए थे। फिर उन्हे  बड़े जोश उत्साह के साथ लांच किया गया था। इन 26 योजनाओं में से ज्यादातर योजनाएं ऐसी हैं, जिनकी अब चर्चा भी नहीं होती है। उनके ऊपर हजारों-लाखों करोड़ रुपए खर्च हो गए लेकिन क्या हासिल हुआ उसके बारे में किसी को पता नहीं है।

मिसाल के तौर पर प्रधानमंत्री बनने के पांच महीने बाद 11 अक्टूबर 2014 को नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा की थी। सभी सांसदों से गांव गोद लेने और उनका विकास करने को कहा गया था। पिछले कई बरसों से इस योजना के बारे में चर्चा नहीं है। कितने सांसदों ने कौन कौन से गांव गोद लिए और उन गांवों की क्या स्थिति है यह किसी को पता नहीं है। कितने सांसद 2014 में जीते थे, जो 2019 में या तो नहीं लड़े या लड़े तो जीते नहीं। जो नहीं लड़े या हार गए उनके गोद लिए गांवों का क्या हुआ? सोशल मीडिया में यह मजाक चलता है और लोग पूछते हैं कि जो गांव गोद लिए गए थे वे गोद से उतरे या अब भी गोद में ही हैं? उन्होंने अपने पैरों पर चलना शुरू किया या नहीं?

उसी साल महात्मा गांधी की जयंती पर यानी दो अक्टूबर 2014 को मिशन स्वच्छ भारत की शुरुआत हुई थी। इस योजना के तहत शुरुआत में प्रधानमंत्री से लेकर दूसरे नेताओं तक की झाड़ू लिए फोटो छपती थी। वे साफ-सुथरे इलाके में भी सफाई करते दिखते थे। इसके तहत गांव गांव में शौचालय बनवाए जा रहे थे। फिर एक दिन अचानक सरकार ने ऐलान कर दिया कि देश खुले में शौच से मुक्त हो गया। सोचें, एक तरफ यह घोषणा है और दूसरी ओर खुले में शौच के लिए गई युवतियों के साथ बलात्कार और छेड़छाड़ की रोज की खबरें हैं! राजधानी दिल्ली में सुबह जिधर निकल जाइए लोग खुले में शौच के लिए जाते दिख जाते हैं। इसी साल होली के समय सबसे पॉश वसंत कुंज इलाके में खुले में शौच में गए एक बच्चे को कुत्तों ने नोच नोच कर मारा डाला था! राजधानी दिल्ली के चारों कोनों पर कूड़े के कुतुबमीनार जितने ऊंचे पहाड़ खड़े हैं लेकिन मिशन स्वच्छ भारत की अब चर्चा नहीं होती है।

जुलाई 2016 में नमामी गंगे योजना शुरू हुई थी, जिसके तहत गंगा की सफाई का काम चल रहा है। सात साल बाद भी गंगा कहां साफ हुई यह माइक्रस्कोप लेकर खोजना पड़ेगा। गंगा साफ नहीं हुई तो उसी में डूब जाने का ऐलान करने वाली उमा भारती को उस मंत्रालय से हटे भी चार साल हो गए हैं। कोई कहता है कि वाराणसी में गंगा साफ हुई है तो किसी को हरिद्वार या ऋषिकेश में कुछ सफाई दिखती है। लेकिन सात साल में हजारों करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी नहीं कहा जा सकता है कि गंगा नदी में हर जगह डूबकी लगाई जा सकती है। पानी पीना तो दूर की बात है, नहाने में भी मुश्किल है।

मई 2016 में उज्ज्वला योजना की शुरुआत हुई थी, जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को मुफ्त में गैस सिलिंडर दिया गया था। उसके बाद से ही रसोई गैस के सिलिंडर पर सब्सिडी खत्म होती गई।सन् 2014 में जिस सिलिंडर की कीमत 410 रुपए थी उसकी कीमत 11 सौ रुपए हो गई है। उज्ज्वला योजना किस तरह से विफल हुई है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खुद भाजपा ने ऐलान किया था कि कर्नाटक में उसकी सरकार बनेगी तो वह साल में तीन सिलिंडर मुफ्त में देगी। उससे पहले उत्तर प्रदेश में होली और दिवाली पर मुफ्त सिलिंडर देने की घोषणा हुई थी। सोचें, मुफ्त गैस कनेक्शन देकर लोगों को सशक्त बनाने की योजना शुरू होने के सात साल बाद खुद भाजपा मुफ्त में रसोई गैस सिलिंडर देने की घोषणा कर रही है और ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग रिफील नहीं करा रहे हैं। 70 से 80 फीसदी लोगों की स्थिति ऐसी नहीं है कि वे मुफ्त में मिली सिलिंडर को रिफील करा सकें।

मेक इन इंडिया योजना का ढोल इस आधार पर पीटा जा रहा है कि एपल के फोन भारत में असेंबल हो रहे हैं। लेकिन यह कोई मेक इन इंडिया के कारण नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय हालात और कंपनी की कारोबारी रणनीति के तहत हो रहा है। मेक इन इंडिया की हकीकत यह है कि भारत आर्थिक रूप से पूरी तरह चीन पर निर्भर होता जा रहा है। चीन से होने वाले आयात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। पिछले सात साल में चीन से होने वाले आयात में 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और भारत-चीन के कारोबार में भारत का व्यापार घाटा एक सौ अरब डॉलर पहुंच गया है। पिछले वित्त वर्ष के 10 महीने में भारत ने 84 अरब डॉलर का आयात किया था और सिर्फ 12 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।

अगस्त 2014 में शुरू हुई जन धन योजना से लेकर स्किल इंडिया मिशन, बेटी बचाओ बेटी पढाओ और मुद्रा योजना से लेकर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट तक किसी योजना के पूरा होने या उससे हुए जमीनी फायदे का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। एक सौ स्मार्ट सिटी बनने वाले थे, जिनकी डेडलाइन पिछले दिनों बढ़ाई गई। स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, स्टार्ट स्कीम, ग्रामोदय से भारत उदय तक दर्जनों योजनाओं के बारे में अब कोई चर्चा नहीं होती है। प्रधानमंत्री ने 2022 तक सबको घर देने का वादा किया था लेकिन इसकी अगली डेडलाइन का किसी को पता नहीं है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होनी थी, लेकिन उसकी चर्चा नहीं होती है। प्रधानमंत्री ने कई बार कहा कि अब हवाई चप्पल वाला भी हवाई जहाज से चलेगा लेकिन अब स्थिति यह है कि पहले जो एलीट लोग हवाई जहाज से चलते थे उनका भी उड़ना दूभर हो गया है। हर रूट पर हवाई टिकटों की कीमत आसमान छू रही है। एक के बाद एक हवाईअड्डे निजी हाथों में जा रहे हैं लोगों से यूजर चार्ज के नाम पर अनाप-शनाप पैसे वसूले जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेन की यात्रा 10 रुपए प्रति किलोमीटर से बढ़ कर 30 रुपए प्रति किलोमीटर हो गई है। सस्ती ट्रेन यात्रा भी अब बीते जमाने की बात हो गई है।

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