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हेमंत सोरेन को नहीं मिली राहत

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तर्ज पर चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत हासिल करने की हेमंत सोरेन की कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने उनको तत्काल राहत नहीं दी है। सर्वोच्च अदालत 17 मई को इस बारे में विचार करेगी। अदालत ने कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाले हेमंत सोरेन की याचिका पर ईडी से 17 मई तक जवाब मांगा। गौरतलब है कि झारखंड में 13 मई से मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई है, जो एक जून को सातवें चरण तक चलेगी।

सोमवार को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने पहले इस मामले को 20 मई के लिए सूचीबद्ध कर दिया था, लेकिन वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बार बार दलील दी कि चुनाव खत्म होने की कगार पर हैं। सिब्बल की यह दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तारीख को बदलकर 17 मई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि उनका मामला अरविंद केजरीवाल के आदेश के तहत आता है और हेमंत सोरेन को भी चुनाव प्रचार के लिए जमानत की जरूरत है।

सिब्बल की इस दलील पर पीठ ने कहा कि इस सप्ताह बहुत अधिक काम है और बहुत सारे मामले सूचीबद्ध हैं। तारीख को बदलना मुश्किल है। लेकिन जब सिब्बल और सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरुणाभ चौधरी अपनी दलील पर कायम रहे तो कोर्ट ने तारीख बदलकर 17 मई कर दी। पीठ ने कहा- हमें नहीं पता कि हम इस मामले पर सुनवाई कर पाएंगे या नहीं, लेकिन फिर भी हम इसे 17 मई के लिए टाल रहे हैं।

हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने की याचिका हाई कोर्ट में दायर की थी, जिसे उच्च अदालत ने तीन मई को खारिज कर दिया था। सोरेन ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके साथ उन्होंने गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका पर अदालत का फैसला आने तक लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत भी मांगी थी। गौरतलब है कि केजरीवाल को 10 मई को सर्वोच्च अदालत ने लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दे दी थी। उन्हें कथित दिल्ली के शराब नीति के कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन के  मामले में गिरफ्तार किया गया था।

By NI Desk

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