भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया बढ़े तनाव के कारण 7 मई से स्थगित की गई प्रतिष्ठित बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी को सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने आज, 20 मई से फिर से बहाल करने का निर्णय लिया है।
यह समारोह न केवल सैन्य परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर हर रोज होने वाली वह सांस्कृतिक गतिविधि भी है, जिसे देखने हजारों की संख्या में लोग अटारी-वाघा, हुसैनीवाला (फिरोजपुर) और सदकी बॉर्डर (फाजिल्का) पहुंचते हैं।
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी एक ऐसी परंपरा है जिसमें भारतीय और पाकिस्तानी सैनिक रोजाना सूर्यास्त के समय, बेहद अनुशासन और शौर्य के साथ अपने-अपने झंडों को उतारते हैं।
यह नजारा राष्ट्रभक्ति, अनुशासन, परंपरा और आत्मगौरव का जीवंत उदाहरण होता है। हालांकि अब यह समारोह पूरी तरह पूर्ववत रूप में नहीं बल्कि कुछ एहतियातों और बदलावों के साथ आयोजित किया जाएगा।
बीएसएफ सूत्रों के अनुसार, समारोह के पारंपरिक सैन्य करतब और गत्यात्मकता यथावत रहेंगे, लेकिन भारत और पाकिस्तान के सुरक्षा बलों के बीच सीधे संपर्क में कटौती की गई है।
‘बीटिंग रिट्रीट’ अब बदले अंदाज़ में
सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि अब दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने गेट खोलकर हैंडशेक नहीं करेंगे। गेट पूरी तरह बंद रहेंगे, और दोनों ओर के जवान अपनी-अपनी जगह पर खड़े रहकर झंडे को सम्मानपूर्वक उतारेंगे।
इस नए स्वरूप में समारोह एक ओर जहां परंपरा को कायम रखेगा, वहीं दूसरी ओर वर्तमान समय की संवेदनशीलता और सुरक्षा आवश्यकताओं का भी पूरी तरह पालन करेगा।
सीमापार संवाद में कमी के बावजूद भी यह आयोजन दर्शकों के लिए गर्व, अनुशासन और सैन्य शौर्य की भावना को जीवित रखेगा। यह दर्शाता है कि भले ही हालात तनावपूर्ण हों, परंपरा और राष्ट्रीय गौरव को बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है।
इस पुनः प्रारंभ समारोह में देशभक्तों के लिए यह एक संदेश भी है कि भारतीय सुरक्षा बल हर परिस्थिति में अपनी जिम्मेदारियों का पालन करते हुए, अनुशासन और गरिमा के साथ आगे बढ़ते हैं। ‘बीटिंग रिट्रीट’ अब एक बदले हुए, लेकिन उतने ही सशक्त रूप में फिर से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को तैयार है।
12 दिन पहले बंद की बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी
भारत-पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधी तनाव के चलते 7 मई को अचानक यह कार्यक्रम (रिट्रीट सेरेमनी) स्थगित कर दिया गया था। बीएसएफ ने उस समय कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया था, लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते यह कदम उठाया गया था।
इससे पहले, 23 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 24 अप्रैल से बीटिंग रिट्रीट के दौरान गेट खोलने और हाथ मिलाने की परंपरा को बंद कर दिया था। अब जब यह सेरेमनी (रिट्रीट सेरेमनी) दोबारा शुरू हो रही है, भारत ने फिलहाल इन दोनों परंपराओं को फिर से शुरू नहीं करने का फैसला किया है।
बीटिंग रिट्रीट क्या है?
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी एक प्रतीकात्मक सैन्य परेड है, जो भारत और पाकिस्तान की सेनाएं रोज़ाना शाम को अपनी-अपनी सीमा चौकियों पर एक साथ आयोजित करती हैं। इस परेड में झंडा उतारने की औपचारिकता, सुसज्जित जवानों की मार्चिंग और दर्शकों के सामने शौर्य का प्रदर्शन शामिल होता है।
हालांकि सरहद पर स्थितियां धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं और समारोह (रिट्रीट सेरेमनी) दोबारा शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता में कोई ढील नहीं दी गई है।
बीएसएफ और अन्य खुफिया एजेंसियों ने सीमा क्षेत्र में निगरानी और कड़ी कर दी है। स्थानीय प्रशासन को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।
सरहद पर अब तक के बदलाव
23 अप्रैल को हुए हमले और उसके बाद सफल ऑपरेशन सिंदूर के चलते सुरक्षा व्यवस्थाओं को और मज़बूत किया गया है। वर्तमान में बीएसएफ की जगह आर्मी ने सीमा की कमान संभाल रखी है। 10 मई को सीजफायर के बाद से हालात में धीरे-धीरे सुधार देखा जा रहा है।
हाल ही में भारत और पाकिस्तान ने एक-दूसरे के कब्जे में रहे बीएसएफ जवान और पाक रेंजर को आपसी सहमति से रिहा किया। इसके पश्चात अफगानिस्तान से आने वाले ट्रकों के लिए अटारी बॉर्डर को खोला गया है।
इसके साथ ही सीमा पार कंटीली तारों के दूसरी ओर स्थित ज़मीन पर किसानों को दोबारा काम करने की अनुमति दी गई है। सख्त निगरानी के बीच अब रिट्रीट सेरेमनी को भी पुनः आरंभ कर दिया गया है, जिससे सामान्य जनजीवन में धीरे-धीरे विश्वास की बहाली हो रही है।
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