संसद बजट सत्र के दूसरे चरण में मतदाता सूची की गड़बड़ी, परिसीमन और त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ को लेकर संसद को संबोधित किया। (modi on mahakumbh 2025)
उन्होंने कहा कि महाकुंभ में अनेक अमृत निकले हैं। एकता का अमृत इसका पवित्र प्रसाद है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके सफल आयोजन से महाकुंभ पर सवाल उठाने वालों को जवाब मिला है। देश के कोने कोने में आध्यात्मिक चेतना उभरी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुंभ में राष्ट्रीय चेतना के दर्शन हुए और महाकुंभ के उत्साह, उमंग को महसूस किया। उन्होंने कहा कि देश की सामूहिक चेतना का नतीजा महाकुंभ के दौरान देखने को मिला। युवा पीढ़ी भी पूरे भाव से महाकुंभ से जुड़ी।
प्रधानमंत्री ने अपनी मॉरीशस यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि वे महाकुंभ से त्रिवेणी का पवित्र जल लेकर गए थे, जिसे वहां के गंगा तालाब में डाला। उन्होंने कहा, ‘अनेकता में एकता हमारी बहुत बड़ी ताकत है। इसी विशेषता को हम निरंतर समृद्ध करते रहें, ये हमारा दायित्व है’। (modi on mahakumbh 2025)
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कुंभ हमारी परंपरा (modi on mahakumbh 2025)
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘महाकुंभ जैसे आयोजन राष्ट्रीय चेतना, राष्ट्र को नए संकल्पों की तरफ ले जाते हैं, ये उनकी सिद्धि के लिए प्रेरित करती है। महाकुंभ ने शंकाओं, आशंकाओं का भी जवाब दिया है, जो हमारे सामर्थ्य को लेकर कुछ लोगों के मन में रहती हैं’।
मोदी ने कहा, ‘पिछले वर्ष अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में देखा था कि कैसे देश अगले एक हजार साल के लिए तैयार हो रहा है। एक साल बाद महाकुंभ के आयोजन ने ये दिखा दिया है। (modi on mahakumbh 2025)
देश की सामूहिक चेतना, देश का सामर्थ्य बताती है। मानव जीवन और देश के लिए कई ऐसे अवसर आते हैं जो आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बन जाते हैं’।
दूसरी ओर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद में मोदी के महाकुंभ पर दिए गए बयान पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री की बात का समर्थन करना चाहता था।
कुंभ हमारी परंपरा है, संस्कृति है, इतिहास है। एक शिकायत थी कि प्रधानमंत्री ने जिनकी मृत्यु हुई उन्हें श्रद्धांजलि नहीं दी। जो युवा कुंभ में गए उन्हें प्रधानमंत्री से रोजगार चाहिए और प्रधानमंत्री को उस पर भी बोलना चाहिए था’। (modi on mahakumbh 2025)