पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने 7 मई को देश के 244 जिलों में मॉक ड्रिल (mock drill) आयोजित करने का निर्देश दिया है। इस अभ्यास का उद्देश्य नागरिकों को हमले की स्थिति में अपनी सुरक्षा कैसे करें, इसकी ट्रेनिंग देना है। यह कदम युद्ध जैसी किसी भी आपात स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
गौरतलब है कि देश में इससे पहले इस तरह की mock drill 1971 में हुई थी, जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। उस समय यह अभ्यास युद्ध के दौरान ही किया गया था।
वहीं, हाल ही में रविवार और सोमवार की रात पंजाब के फिरोजपुर छावनी में ब्लैकआउट प्रैक्टिस की गई, जिसमें रात 9 बजे से 9:30 बजे तक गांवों और मोहल्लों में बिजली पूरी तरह बंद रखी गई।
यह तैयारी उस बड़े आतंकी हमले के बाद की जा रही है जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ था, जिसमें 26 लोगों की जान गई। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया है, और सरकार किसी भी संभावित खतरे से पहले पूरी तरह तैयार रहना चाहती है।
केंद्र ने 7 मई को सुरक्षा mock drill के आदेश दिए
पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने देशभर के कई राज्यों को 7 मई, बुधवार को मॉक ड्रिल (mock drill) आयोजित करने का आदेश दिया है। इस अभ्यास का उद्देश्य संभावित नापाक हमलों की स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत और प्रभावी बनाना है।
गृह मंत्रालय के अंतर्गत नागरिक सुरक्षा के अतिरिक्त महानिदेशक बी संदीपकृष्ण ने एक पत्र के माध्यम से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 244 सीमावर्ती और तटीय जिलों में यह मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछली बार इस तरह की बड़ी mock drill 1971 में हुई थी, जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा था। इस बार भी हालात गंभीर हैं और केंद्र सरकार हर संभावित खतरे से निपटने के लिए सतर्कता बरत रही है।
क्या है मामला?
पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए किसी भी संभावित युद्ध की स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।
गृह मंत्रालय के अंतर्गत नागरिक सुरक्षा विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक बी. संदीपकृष्ण ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर मॉक ड्रिल (mock drill) आयोजित करने का निर्देश दिया है। यह मॉक ड्रिल देश के 244 सीमावर्ती और तटीय जिलों में आयोजित की जाएगी, ताकि सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों को परखा जा सके।
कब और क्यों लिखा गया पत्र?
इस संबंध में पहली चिट्ठी 2 मई को और दूसरी चिट्ठी सोमवार को भेजी गई। इन पत्रों में स्पष्ट किया गया है कि मॉक ड्रिल के दौरान हवाई हमले की स्थिति में चेतावनी सायरन प्रणाली की कार्यक्षमता की जांच की जाएगी।
साथ ही आम नागरिकों, छात्रों और अन्य लोगों को आपात स्थिति में स्वयं की सुरक्षा करने और नागरिक सुरक्षा से जुड़े अन्य पहलुओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस ड्रिल में अचानक बिजली गुल कर ब्लैकआउट की स्थिति का अभ्यास भी शामिल होगा।
mock drill और ब्लैकआउट एक्सरसाइज
देश की सुरक्षा केवल सीमाओं पर तैनात सैनिकों की जिम्मेदारी नहीं होती, बल्कि आम जनता और स्थानीय प्रशासन की सजगता व तत्परता भी किसी आपातकालीन स्थिति में निर्णायक भूमिका निभाती है।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट एक्सरसाइज जैसे अभ्यास समय-समय पर आयोजित किए जाते हैं। ये अभ्यास केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि वास्तविक आपदा या हमले की स्थिति में जीवन रक्षा और न्यूनतम क्षति सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम हैं।
मॉक ड्रिल क्या है?
मॉक ड्रिल (mock drill) एक प्रकार का सुरक्षा अभ्यास होता है जिसमें यह परीक्षण किया जाता है कि अगर देश या किसी विशेष क्षेत्र पर अचानक एयर स्ट्राइक, मिसाइल हमला, या किसी प्रकार की अन्य आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हो जाए, तो प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियां और आम नागरिक कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया करते हैं। इसका उद्देश्य यह जानना होता है कि संकट की घड़ी में किस प्रकार से बचाव, राहत और नियंत्रण के कार्य को अंजाम दिया जा सकता है।
mock drill के अभ्यास के दौरान, नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने, घायलों की त्वरित चिकित्सा व्यवस्था करने, और आगजनी या भगदड़ जैसी घटनाओं से निपटने के लिए संपूर्ण तैयारी का परीक्षण किया जाता है। इसके साथ ही, यह देखा जाता है कि अलर्ट जारी करने की प्रक्रिया, संचार व्यवस्था और इमरजेंसी सेवाएं कितनी चुस्त और समन्वित हैं।
ब्लैकआउट एक्सरसाइज क्या है?
ब्लैकआउट एक्सरसाइज का अर्थ होता है — एक निर्धारित समय के लिए पूरे इलाके की बिजली बंद करना। इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि यदि दुश्मन देश द्वारा हवाई हमला किया जाए, तो पूरे क्षेत्र को अंधेरे में रखकर दुश्मन की निगरानी और निशानेबाज़ी को कठिन बनाया जा सके।
जब पूरा इलाका अंधेरे में होता है, तो शत्रु देश के विमानों या ड्रोन को लक्ष्य की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। इससे खासतौर पर महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रतिष्ठान, सैन्य ठिकाने, ऊर्जा संयंत्र, और संचार केंद्र सुरक्षित रह सकते हैं। इस प्रकार का ब्लैकआउट अभ्यास यह सुनिश्चित करता है कि आम जनता को समय रहते सूचना दी जाए और वे निर्धारित समय पर सहयोग कर सकें।
मॉक ड्रिल में और क्या-क्या शामिल होता है?
मॉक ड्रिल केवल भागने-दौड़ने का अभ्यास नहीं है, बल्कि इसमें रणनीतिक सुरक्षा उपाय भी शामिल होते हैं…
महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की पहचान छुपाना: यह अभ्यास का अहम हिस्सा होता है। इसमें फैक्ट्रियों, ऊर्जा संयंत्रों और सरकारी संस्थानों की बाहरी पहचान को ढंक दिया जाता
है ताकि दुश्मन की निगाहें उन पर न टिक सकें।
जनता की सुरक्षित निकासी की योजना: युद्ध या हमले की स्थिति में आम लोगों की जान बचाने के लिए सुरक्षित निकासी के मार्ग और शेल्टर स्थलों की जानकारी दी जाती है। इसका नियमित अभ्यास करवाया जाता है ताकि लोग घबराए नहीं और अनुशासित तरीके से स्थानांतरित हो सकें।
पूर्वाभ्यास की पुनरावृत्ति: केंद्र सरकार द्वारा यह निर्देशित किया गया है कि ऐसे अभ्यास बार-बार किए जाएं ताकि सभी संबंधित विभागों और आम नागरिकों की प्रतिक्रिया में परिपक्वता और सटीकता आ सके।
आज के दौर में जब वैश्विक तनाव और तकनीकी हथियारों का खतरा लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट एक्सरसाइज जैसी व्यवस्थाएं अत्यंत आवश्यक हो गई हैं।
ये न केवल आपात स्थिति में जीवन और संपत्ति की रक्षा सुनिश्चित करती हैं, बल्कि जनता में जागरूकता और आत्मविश्वास भी पैदा करती हैं। हमें इन अभ्यासों को गंभीरता से लेते हुए अपने कर्तव्यों को समझना चाहिए और देश की सुरक्षा में अपना सक्रिय योगदान देना चाहिए।
लोग क्या-क्या तैयारियां रखें?
देश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गृह मंत्रालय ने आज एक अहम बैठक की, जिसमें मॉक ड्रिल से जुड़ी तैयारियों और नागरिक सुरक्षा प्रतिष्ठानों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई।
इस बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि यदि देश को किसी आकस्मिक आपदा या युद्ध जैसी स्थिति का सामना करना पड़े, तो नागरिकों और संबंधित संस्थाओं की प्रतिक्रिया कितनी प्रभावी होगी और उनकी तैयारी किस स्तर पर है।
बैठक में देशभर के 244 नागरिक सुरक्षा प्रतिष्ठानों की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा हुई। यह जांचा गया कि इन प्रतिष्ठानों में लगे उपकरणों की कार्यशीलता बनी हुई है या नहीं।
जिन उपकरणों की मरम्मत की आवश्यकता है, उनके बारे में आवश्यक निर्देश भी दिए गए। इसके अलावा यह भी देखा गया कि आपातकालीन परिस्थितियों में आम नागरिकों को कैसे प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे घबराने के बजाय सटीक और संयमित प्रतिक्रिया दे सकें।
बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें हवाई हमलों के सायरन की स्थिति, जनता की प्रतिक्रिया, ब्लैकआउट के दौरान उठाए जाने वाले कदम, आवश्यक आपूर्तियों की व्यवस्था और लॉजिस्टिक समर्थन शामिल हैं। इन सभी पहलुओं की समीक्षा यह सुनिश्चित करने के लिए की गई कि किसी आपदा या संकट की स्थिति में देश का नागरिक तंत्र तत्परता से कार्य कर सके।
आखिरी मॉक ड्रिल कब की गई थी?
विशेष रूप से अधिकारियों ने यह सुझाव दिया कि आम लोग संभावित इलेक्ट्रॉनिक विफलता (जैसे कि बिजली कटौती, संचार साधनों का ठप होना, आदि) के लिए स्वयं को तैयार रखें।
इसके लिए घरों में प्राथमिक चिकित्सा किट, टॉर्च, अतिरिक्त बैटरियां, मोमबत्तियां, पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी, सूखा राशन और नकद रुपये उपलब्ध होने चाहिए। यह भी सलाह दी गई कि परिवार के सभी सदस्यों को इस तरह की आपात स्थिति से निपटने का अभ्यास कराया जाए ताकि समय आने पर कोई भ्रम या डर ना फैले।
इस बैठक में एक और महत्वपूर्ण बात सामने आई कि देश में नागरिक सुरक्षा से संबंधित आखिरी मॉक ड्रिल लगभग 54 साल पहले, वर्ष 1971 में हुई थी। यह ड्रिल भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बांग्लादेश की मुक्ति को लेकर हुए संघर्ष के समय की गई थी।
उस दौरान देश के पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीमाओं पर युद्ध छिड़ा हुआ था और नागरिकों की सुरक्षा के लिए विशेष तैयारियां की गई थीं। उस मॉक ड्रिल का उद्देश्य यह था कि आम नागरिकों को युद्ध के प्रभाव से यथासंभव सुरक्षित रखा जाए और जान-माल की हानि को कम से कम किया जा सके।
आज की बैठक से यह स्पष्ट होता है कि सरकार अब एक बार फिर नागरिक सुरक्षा को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है और मॉक ड्रिल जैसी पुरानी लेकिन आवश्यक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इससे न केवल आम जनता में जागरूकता आएगी, बल्कि देश की आपदा प्रबंधन प्रणाली भी अधिक सशक्त और प्रभावशाली बन सकेगी।
भारत-पाक संबंधों में फिर आई दरार
दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर तनाव गहरा गया है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की बर्बर हत्या कर दी गई, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे।
इसके चलते भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देने की दिशा में कई रणनीतिक कदम उठाए हैं। इनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, पाकिस्तानी उच्चायोग में स्टाफ की संख्या घटाना, अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को बंद करना और सभी श्रेणियों की डाक सेवाओं को रोकना शामिल है।
इस तनावपूर्ण माहौल के बीच पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्र फिरोजपुर छावनी में रविवार-सोमवार की रात ब्लैकआउट मॉक ड्रिल (mock drill) आयोजित की गई।
रात 9 बजे से 9:30 बजे तक बिजली बंद रही और लगातार 30 मिनट तक हूटर बजते रहे। प्रशासन ने पहले से ही स्थानीय निवासियों को सूचित कर घरों में ही रहने का आग्रह किया था, क्योंकि यह एक पूर्व नियोजित अभ्यास था।
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