भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर तब पहुंचा जब भारतीय वायुसेना ने मंगलवार की आधी रात के बाद पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के भीतर घुसकर बड़े पैमाने पर आतंकवादी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक किया।
भारतीय वायुसेना द्वारा किए इस निर्णायक एक्शन को “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया है, जो उन वीरांगनाओं को समर्पित है जिनके पतियों की 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों द्वारा निर्मम हत्या कर दी गई थी।
इस ऑपरेशन में 7 शहरों में फैले 9 प्रमुख आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें शुरुआती आंकड़ों के अनुसार 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया है। भारत की एयर स्ट्राइक कार्रवाई 15 दिन पहले हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में की गई है, जिसमें भारतीय सुरक्षाबलों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया, मजबूरी या रणनीति?
ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान में हलचल मच गई। पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा- अगर भारत हमला रोक देता है, तो हम भी कोई एक्शन नहीं लेंगे। हम भारत के खिलाफ कोई दुश्मनी नहीं चाहते, हम तो सिर्फ अपनी जमीन की हिफाजत कर रहे हैं।
Bloomberg से बातचीत में भी उन्होंने यही रुख दोहराया और साफ किया कि पाकिस्तान पिछले दो हफ्तों से यही संकेत दे रहा है कि वह हमला नहीं करेगा, लेकिन यदि भारत हमला करता है, तो उसका जवाब ज़रूर दिया जाएगा।
इस बयान से यह साफ झलकता है कि पाकिस्तान, भारत के इस आक्रामक रुख (एयर स्ट्राइक) के आगे झुकने को मजबूर हो गया है। ISPR के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने दावा किया कि भारत ने कुल 24 मिसाइलें दागी हैं, जो यह दिखाता है कि भारतीय सेना का जवाब पूरी तरह सुनियोजित और व्यापक था।
पीएम मोदी की निगरानी में चला ऑपरेशन सिंदूर
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पूरे ऑपरेशन एयर स्ट्राइक की पूरी रात सीधे निगरानी की। यह भारतीय नेतृत्व की उस संकल्पशक्ति का परिचायक है, जो आतंकवाद के खिलाफ ‘Zero Tolerance’ की नीति पर चल रही है।
इस कार्रवाई से भारत ने एक बार फिर पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि वह न केवल आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगा, बल्कि अगर जरूरत पड़ी तो सीमा पार जाकर भी अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
भारतीय वायुसेना की यह साहसिक और निर्णायक कार्रवाई (एयर स्ट्राइक) न केवल शहीद जवानों के बलिदान को श्रद्धांजलि है, बल्कि यह भी साबित करती है कि भारत अब “नई नीति, नए इरादे और नए भारत” के साथ आगे बढ़ रहा है।
पाकिस्तान का यह बयान कि “अगर भारत रुक जाए, तो हम भी रुक जाएंगे”, इस बात की गवाही देता है कि भारत की सैन्य शक्ति और राजनीतिक इच्छाशक्ति ने एक बार फिर पड़ोसी मुल्क को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है।
पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखा चीन, जताई नाराज़गी
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीन ने एक बार फिर अपना झुकाव पाकिस्तान की ओर दिखाया है। बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में किए गए सैन्य ऑपरेशन एयर स्ट्राइक को लेकर चिंता जाहिर की और इसे “दुखद” बताया।
प्रवक्ता ने कहा कि चीन इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है और वह क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने का पक्षधर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान दोनों चीन के पड़ोसी हैं और उनके बीच बढ़ते तनाव से क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।
चीन के बयान में यह भी कहा गया कि वह हर प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है, लेकिन सभी पक्षों को संयम बरतने और उकसावे वाले कदमों से बचने की सलाह देता है।
प्रवक्ता ने यह भी जोर दिया कि भारत और पाकिस्तान को शांति और बातचीत के माध्यम से अपने मुद्दों का समाधान निकालना चाहिए, ताकि क्षेत्र में स्थिरता बनी रह सके।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत ने मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात “ऑपरेशन सिंदूर” एयर स्ट्राइक के तहत पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर बड़ी कार्रवाई की।
भारत ने 9 आतंकी ठिकानों को किया तबाह
यह ऑपरेशन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें भारतीय सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचा था। भारतीय सेना की इस सटीक और योजनाबद्ध कार्रवाई एयर स्ट्राइक में कई आतंकियों को मार गिराया गया, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर के परिवार के 14 सदस्य भी शामिल थे।
भारत की इस कार्रवाई को देश के भीतर जहां साहसिक और निर्णायक कदम माना जा रहा है, वहीं चीन की प्रतिक्रिया पर कई सवाल उठने लगे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि चीन का यह रवैया उसकी पाकिस्तान के साथ बढ़ती रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को दर्शाता है, जो बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और CPEC जैसी परियोजनाओं से और मजबूत हुई है।
भारत ने जहां आतंकी ठिकानों को नष्ट कर आतंकवाद के खिलाफ अपना कड़ा रुख दिखाया है, वहीं चीन की “दुखद” जैसी टिप्पणी ने वैश्विक कूटनीति में उसकी स्थिति पर एक नई बहस छेड़ दी है। अब यह देखना अहम होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर आगे की दिशा क्या होगी।
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