काठमांडो। नेपाल में एक और विमान हादसा हुआ है, जिसमें कम से कम 68 लोग मारे गए हैं। रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हुए यति एयरलाइंस के विमान में चालक दल सहित 72 लोग सवार थे। हादसा जितना भयावह था, उसे देखते हुए किसी के बचने की उम्मीद कम है लेकिन देर शाम तक 68 शव बरामद हुए थे, जिनमें से सिर्फ 20 की पहचान हो पाई थी। बाकी शवों को पहचानने की स्थिति नहीं थी। विमान में पांच भारतीय नागरिक भी सवार था। पिछले करीब ढाई साल से औसतन हर महीने एक विमान हादसा नेपाल में हो रहा है और इसका कारण पुराने विमान हैं।
बहरहाल, यति एयरलाइंस का विमान काठमांडू से 205 किमी दूर पोखरा में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। यह एटीआर-72 विमान था, जिसमें 68 यात्री और चालक दल के चार सदस्य सवाल सवार थे। नए बने पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरने से महज 10 सेकेंड पहले विमान पहाड़ी से टकरा गया। इससे विमान में आग लग गई और वह खाई में जा गिरा। चीन की मदद से बना पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का दो हफ्ते पहले एक जनवरी को नवनियुक्त प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने उद्घाटन किया था।
पोखरा के जिला अधिकारी टेक बहादुर केसी ने बताया कि विमान के मलबे से 68 शव निकाले जा चुके हैं। लेकिन बाकी चार लोगों का बचा होना चमत्कार ही होगी। उनकी तलाश खाई में हो रही है और साथ ही गोताखोरों को नदी में भी उतार गया। चश्मदीदों का कहना है कि हादसे में कोई भी जिंदा नहीं बचा। देर शाम तक सिर्फ 20 शवों की पहचान हो पाई थी। विमान में पांच भारतीय यात्री भी सवार थे।
जिन शवों की पहचान नहीं हो पाई है, उन्हें डीएनए परीक्षण के लिए हेलीकॉप्टर से काठमांडो भेजा जाएगा। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। नेपाल सरकार ने हादसे की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी भी बनाई है। बचाव और राहत कार्य में सेना को भी शामिल किया गया है। नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड खुद पोखरा जाने वाले थे, लेकिन मौसम की खराबी और सुरक्षा कारणों से सुरक्षा टीम ने उनको पोखरा नहीं जाने की सलाह दी।
विमान को कैप्टन कमल केसी उड़ा रहे थे। विमान में पांच भारतीयों सहित कुल 15 विदेशी यात्री थे। विमान में सवार 68 यात्रियों में से 53 नेपाली, पांच भारतीय, चार रूसी, एक आयरिश, दो कोरियन, एक अफगानी और एक फ्रेंच नागरिक थे। इनमें तीन नवजात भी शामिल हैं। एयरलांइस के प्रवक्ता सुदर्शन बरतौला ने कहा कि विमान के मलबे से अभी तक किसी जीवित व्यक्ति को नहीं निकाला जा सका है।