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दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया को सम्मन

नई दिल्ली। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) (सीबीआई CBI) ने दिल्ली आबकारी नीति (Delhi Excise Policy) मामले में आरोपपत्र दायर करने के करीब तीन महीने बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को रविवार को पूछताछ के लिए बुलाया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि आरोपपत्र में सिसोदिया को आरोपी नहीं बनाया गया है क्योंकि उनके और अन्य संदिग्धों के खिलाफ जांच अब भी जारी है।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के पास आबकारी विभाग का प्रभार भी है। सिसोदिया से इससे पहले पिछले साल 17 अक्टूबर को पूछताछ हुई थी और मामले में उनके घर एवं बैंक के लॉकरों की तलाशी ली गई थी। एक अधिकारी ने कहा, ‘दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को बनाने और इसे लागू करने में बड़ी साजिश तथा मामले में धन कहां से आया कहां गया इस संबंध में आगे की जांच जारी है।’

सिसोदिया ने ट्वीट करके बताया कि तलाशी के दौरान उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला था और वह जांच में सहयोग करते रहेंगे। उन्होंने लिखा ‘सीबीआई ने कल फिर बुलाया है। मेरे खिलाफ इन्होंने सीबीआई, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की पूरी ताकत लगा रखी है, घर पर छापे, बैंक लॉकर तलाशी, कहीं मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला। उन्होंने परोक्ष तौर पर केंद्र की इशारा करते हुए कहा कि सीबीआई को उनके पीछे लगाया गया है क्योंकि ‘वे’ (केंद्र) उन्हें दिल्ली में बच्चों की शिक्षा पर ‘अच्छा काम’ नहीं करने देना चाहता। उन्होंने कहा, ‘मैंने दिल्ली के बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा का इंतजाम किया है। वे मुझे रोकना चाहते हैं। मैंने जांच में हमेशा सहयोग किया है और करूंगा।’

सीबीआई ने कहा है कि जांच एजेंसी अब दिल्ली शराब नीति बनाने और लागू करने में व्यापारियों और नेताओं की उस ‘‘दक्षिण लॉबी’’ के कथित प्रभाव पर ध्यान केंद्रित कर रही है जिसने बिचौलियों, शराब व्यापारियों और लोक सेवकों का उपयोग करके इसे अपने पक्ष में किया।

पिछले साल 25 नवंबर को दायर आरोपपत्र में दर्ज सात आरोपियों में गिरफ्तार व्यवसायी विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के नाम शामिल हैं। आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस प्रदान करने की दिल्ली सरकार की नीति से कुछ डीलरों को लाभ मिला, जिन्होंने इसके लिए कथित रूप से रिश्वत दी थी। इस आरोप का आम आदमी पार्टी (आप) ने जोरदार खंडन किया।

सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा था, यह भी आरोप लगाया गया है कि अनुमोदन के बिना आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देना, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, एल-1 लाइसेंस का विस्तार आदि सहित अनियमितताएं की गईं। प्रवक्ता ने कहा, यह भी आरोप लगाया गया है कि इन कृत्यों से मिले अवैध लाभ को निजी पक्षों ने अपने बहीखातों में गलत प्रविष्टियां दर्ज करके संबंधित लोक सेवकों को पहुंचाया था।

हाल में सीबीआई ने तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान पार्षद (एमएलसी) एवं मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता के एक पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट बुचिबाबू गोरांटला को गिरफ्तार किया। आरोप है कि बाबू ने दिल्ली, हैदराबाद और मुंबई में प्राथमिकी में नामित कई आरोपियों से मुलाकात की थी और दक्षिण लॉबी के प्रमुख वार्ताकारों में से एक था, जो 2021-22 के लिए अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति को अपने पक्ष में करना चाहता था।

सीबीआई ने पिछले साल दिसंबर में मामले के सिलसिले में कविता से भी पूछताछ की थी। अपनी जांच के दौरान सीबीआई को सबूत मिले थे कि बाबू ने दक्षिण लॉबी की ओर से काम किया, जिसमें तेलंगाना एमएलसी, युवजन श्रमिक रैतू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और अरबिंदो फार्मा के पी. शरत चंद्र रेड्डी शामिल थे। (भाषा)

By NI Desk

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