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राज्यसभा में गतिरोध: हंगामे के बीच बिना चर्चा वित्त विधेयक लोकसभा को लौटाया

ByNI Desk,
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नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरूआत से ही राज्यसभा (Rajya Sabha) में जारी गतिरोध सोमवार को भी लगातार 11 वें दिन कायम रहा। यद्यपि हंगामे के बीच ही जम्मू कश्मीर के बजट (jammu kashmir budget) और वित्त विधेयक (Finance Bill) 2023 को बिना चर्चा के, ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया गया। लोकसभा इन्हें पहले ही मंजूरी दे चुकी है।

सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने हंगामे के कारण वित्त विधेयक पर चर्चा नहीं हो पाने को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया। उन्होंने कहा कि सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा के लिए 10 घंटे तय किये गये थे लेकिन सदस्यों ने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि यह मंच विचार विमर्श करने और अपने सुझाव सामने रखने का है। सुबह 11 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया जिसकी वजह से आवश्यक दस्तावेज भी सदन के पटल पर नहीं रखवाए जा सके।

सभापति जगदीप धनखड़ के अपने आसन पर बैठते ही विपक्ष के सदस्यों ने अडाणी मुद्दे से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कराने की मांग को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। उनका विरोध करते हुए सत्ता पक्ष के सदस्य भी अपने स्थानों पर खड़े देखे गए।

कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने काले कपड़े पहने हुए थे। अडाणी समूह के बारे में हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्य ‘‘मोदी अडाणी भाई भाई’’ के नारे लगा रहे थे।

धनखड़ ने सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की अपील की। लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने मात्र एक मिनट के भीतर ही बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर विपक्षी सदस्य पुन: हंगामा और नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच ही वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा पेश किए गए जम्मू कश्मीर के बजट को सदन ने बिना चर्चा के, ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया। इसके उपरांत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त विधेयक 2023 को सदन में पेश किया। इसे भी सदन ने बिना चर्चा के लोकसभा को लौटा दिया।

सभापति धनखड़ ने वित्त विधेयक पर चर्चा के लिए निर्धारित 10 घंटे का उपयोग नहीं हो पाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। इसके बाद उन्होंने दो बज कर करीब 15 मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में हंगामे की वजह से उच्च सदन में एक दिन भी प्रश्नकाल एवं शून्यकाल नहीं हो सका। (भाषा)

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