nayaindia Sisodia sent to Tihar Jail सिसोदिया तिहाड़ जेल भेजे गए

सिसोदिया तिहाड़ जेल भेजे गए

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सीबीआई हिरासत समाप्त हो गई है। अदालत ने सोमवार को उनको तिहाड़ भेजने का आदेश दिया। सिसोदिया 20 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजे गए हैं। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के एक पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से तिहाड़ जेल में हैं दोनों नेताओं की होली तिहाड़ जेल में ही होने की संभावना है। सिसोदिया को कथित शराब घोटाले में सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।

आठ दिन की पूछताछ के बाद सीबीआई ने सोमवार को उनको दिल्ली की विशेष अदालत में पेश किया और उनकी हिरासत नहीं मांगी। इसके बाद अदालत ने उनको 20 मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। सीबीआई ने सोमवार को रिमांड नहीं मांगा लेकिन कहा कि अगले कुछ दिनों में हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत पड़ेगी। इससे पहले दो बार में सीबीआई ने उनसे आठ दिन तक पूछताछ की। एजेंसी ने 26 फरवरी को उन्हें गिरफ्तार करते हुए कहा था कि वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

बहरहाल, न्यायिक हिरासत के दौरान मनीष सिसोदिया को जेल में दवाईयां, डायरी, पेन और भगवद् गीता रखने की इजाजत होगी। साथ ही जेल प्रशासन ने विशेष अदालत को बताया कि जेल में कैदियों के लिए विपश्यना की व्यवस्था है। इससे पहले सीबीआई ने छह दिन तक पूछताछ करने के बाद शनिवार को अदालत में पेश किया था। तब अदालत ने उनकी रिमांड सोमवार तक बढ़ा दी थी।

गिरफ्तारी के बाद सिसोदिया राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। लेकिन अदालत ने इस मुकाम पर उनको राहत देने से इनकार कर दिया था और हाई कोर्ट जाने की सलाह दी थी। आप की ओर से कहा गया था कि वे हाई कोर्ट जाएंगे। गौरतलब है कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर नियमों को तोड़ने और शराब की दुकान के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने का आरोप लगा है। इस मामले में कई अधिकारी और कारोबारी पहले गिरफ्तार किए गए थे। सिसोदिया के खिलाफ एक और मामले की सिफारिश सीबीआई को भेजी गई है।

बहरहाल, इससे पहले शनिवार को अदालत में पेश किए गए सिसोदिया ने दावा किया कि था वे आठ से नौ घंटे तक बैठे रहे और बार बार एक ही सवाल का जवाब दे रहे हैं। सिसोदिया ने इसे मानसिक उत्पीड़न करार दिया। इस पर अदालत ने एजेंसी से साफ कहा था कि वह थर्ड डिग्री का इस्तेमाल नहीं कर सकती है यानी आरोपी को प्रताड़ित नहीं कर सकती है। अदालत ने यह भी कहा था कि एजेंसी एक ही सवाल बार-बार नही पूछे, अगर उसके पास कुछ नया है, तो उनसे पूछे।

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