नई दिल्ली। लक्ष्मण विक्टोरिया गौरी की मद्रास हाई कोर्ट में जज के पद पर नियुक्ति रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। इस तरह गौरी की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है। सर्वोच्च अदालत ने गौरी के बतौर जज शपथ लेने से थोड़ी देर पहले ही सुनवाई की और उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। गौरतलब है कि उनके भाजपा का नेता होने और कुछ विवादित बयानों के आधार पर उनकी नियुक्ति को चुनौती दी गई थी।
चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने सुनवाई की। मद्रास हाई कोर्ट के कुछ वकीलों ने अपनी अर्जी में कहा है कि विक्टोरिया इस पद के योग्य नहीं हैं। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने पूछा एलिजिबिलिटी के प्वाइंट पर उनकी क्या आपत्ति है। इसके जवाब में रामचंद्रन ने कहा कि उनके माइंड सेट के बारे में चीजों को कॉलेजियम से छुपाया गया। हालांकि अदालत ने इस आपत्ति को खारिज कर दिया।
साथ ही जस्टिस गवई ने बताया कि कॉलेजियम ने ये भी कहा है कि राजनितिक जुड़ाव जज नियुक्त ना करने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा- यहां तक कि मेरा भी एक राजनीतिक पार्टी का बैकग्राउंड रहा है, लेकिन 20 साल से मैं उसमें नहीं हूं। रामचंद्रन ने माना कि आपत्ति राजनीतिक जुड़ाव को लेकर नहीं है, बल्कि हेट स्पीच को लेकर है। रामचंद्रन ने जस्टिस आफताब आलम, जस्टिस रमा जॉइस, जस्टिस राजेंद्र सच्चर सहित कई जजों के नाम गिनाए, जिनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही थी। उन्होंने कहा- यह मामला खुले आम अनैतिक और नफरती बयान वाला है। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने तमाम आपत्तियों को खारिज करते हुए याचिका रद्द कर दी।