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31-07-2025 Vol 19

बोलने की आजादी पर और पाबंदी नहीं

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बोलने की आजादी पर अतिरिक्त पाबंदी लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने लगातार दूसरे दिन एक बड़े मसले पर बहुमत का फैसला सुनाया। नोटबंदी पर फैसला सुनाने वाली संविधान पीठ ने मंगलवार को अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर फैसला सुनाया और कहा कि राज्य या केंद्र सरकार के मंत्रियों, सासंदों, विधायकों व उच्च पद पर बैठे व्यक्तियों की अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी पर कोई अतिरिक्त पाबंदी नहीं लगाई जा सकती। लगातार दूसरे दिन जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बहुमत के फैसले से असहमति जताते हुए अपना अलग फैसला सुनाया।

सर्वोच्च अदालत ने बहुमत के फैसले में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 में पहले से ही व्यापक प्रावधान हैं। आपराधिक मामलों में सरकार या उसके मामलों से संबंधित मंत्री द्वारा दिया गया बयान सरकार का बयान नहीं माना जा सकता। जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी राम सुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना सदस्य हैं। बहुमत का फैसला जस्टिस रामासुब्रमण्यम ने सुनाया।

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने अपना अलग फैसला सुनाया। उन्होंने जन प्रतिनिधियों पर अनुच्छेद 19(2) में लगाए गए वाजिब प्रतिबंध के अलावा अतिरिक्त पाबंदी नहीं लगाने की बात से सहमति जताई। लेकिन मंत्री का बयान सरकार का बयान माना जाए या नहीं, इस पर उनका विचार अलग था। उनका कहना है कि मंत्री निजी और आधिकारिक दोनों हैसियत से बयान दे सकते है। अगर मंत्री निजी हैसियत से बयान दे रहे हैं तो ये उनका व्यक्तिगत बयान माना जाएगा। लेकिन अगर सरकार के काम से जुड़ा बयान दे रहा है तो उनका बयान सरकार का सामूहिक बयान माना जा सकता है।

उन्होंने कहा कि नागरिकों और सरकारी अधिकारियों को विशेष रूप से साथी नागरिकों पर अपमानजनक टिप्पणी करने से प्रतिबंधित करने के लिए संसद को कानून बनाना है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने सदस्यों के भाषण को नियंत्रित करना चाहिए जो आचार संहिता के जरिए किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक पदाधिकारियों और अन्य प्रभाव वाले व्यक्तियों और मशहूर हस्तियों की पहुंच ज्यादा है और उनका भाषण जनता या एक निश्चित वर्ग पर ज्यादा प्रभाव डालता है। ऐसे में उन्हें भाषण में जिम्मेदार और संयमित होने चाहिए। उन्हें सार्वजनिक भावना और व्यवहार पर संभावित परिणामों के संबंध में अपने शब्दों को समझने और मापने की आवश्यकता है।

NI Desk

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