nayaindia budget 2023 nirmala sitharaman बजट काफी अच्छा है लेकिन....
डा .वैदिक कॉलम

बजट काफी अच्छा है लेकिन….

Share

कोई सरकार कैसा भी बजट पेश करे, विरोधी दल उसकी आलोचना न करें, यह संभव ही नहीं है। विरोधी दलों की आलोचनाएं हमेशा असंगत होती हैं, ऐसा भी नहीं है। वे कई बार सरकार और संसद को नई दिशा भी दे देती हैं। इस बार भी कुछ विरोधी दलों ने इस बजट को किसान और मजदूर-विरोधी बताया है और सरकार से पूछा है कि उसने अपना खर्च इतना ज्यादा बढ़ा लिया है तो वह पैसा कहां से लाएगी? लेकिन सरकार के इस बजट की ज्यादातर वित्तीय विशेषज्ञ तारीफ कर रहे हैं। वे वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन के द्वारा अब तक पेश किए गए बजटों में इसे सर्वश्रेष्ठ बता रहे हैं। किसी भी सरकार से यह उम्मीद करना कि वह अपने बजट का इस्तेमाल करते समय अपने वोट-बैंक पर ध्यान नहीं देगी, गलत है। चुनावों से चुनी जानेवाली कोई भी सरकार अपने हर कदम को सबसे पहले वोट बैंक की तराजू पर तोलती है।

इस दृष्टि से यह बजट काफी सफल रहा है। क्योंकि यह देश के लगभग 45 करोड़ मध्यम वर्गों के लोगों को काफी राहत दे रहा है। आयकर से 7 लाख तक की आमदनी को मुक्त कर देना अपने आप में सराहनीय कदम है। यदि लोगों के पास पैसा ज्यादा बचेगा तो वे खर्च भी ज्यादा कर सकेंगे। इससे बाजारों में चुस्ती पैदा होगी। अर्थव्यवस्था अपने आप मजबूत होगी। जनसंघ और भाजपा के अनुयायियों में मध्यम वर्ग के लोग ही ज्यादा रहे हैं। ये लोग सुशिक्षित और प्रभावशाली भी हैं। पत्रकारिता और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस वर्ग की पकड़ काफी मजबूत है। इसके अलावा इस बजट में बुर्जुर्गों, महिलाओं, आदिवासियों और कमजोर वर्गों के लिए भी तरह-तरह की सुविधाएं प्रदान की गई हैं। देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन की घोषणा पहले ही हो चुकी है। किसानों को इस साल 20 लाख करोड़ रु. का ऋण दिया जाएगा। बच्चों में एनीमिया (रक्ताल्पता) की कमी को दूर करने के लिए सरकार इस बार ज्यादा खर्च करेगी। नए हवाई अड्डे तो बनेंगे ही, लेकिन रेल-प्रबंध भी बेहतर बनाया जाएगा। नितीन गडकरी की देखरेख में सड़क-निर्माण कार्य तेजी से हो ही रहा है। डिजिटल लेन-देन में यो भी भारत दुनिया के देशों में अग्रगण्य है, लेकिन उसे अब अधिक बढ़ाया जाएगा। ऐसी कई पहल इस बजट में हैं लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो क्रांतिकारी पहल भारत को करना चाहिए, उसके संकेत बहुत हल्के हैं। किसी भी राष्ट्र को सुखी और संपन्न बनाने के लिए इन दोनों मुद्दों पर जोर देना बहुत जरूरी है। शोध और शिक्षा का माध्यम जब तक भारतीय भाषाओं में नहीं होगा और चिकित्सा में पारंपरिक भारतीय पद्धतियों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष बजट नहीं बनेगा, भारत की प्रगति की रफ्तार तेज नहीं हो पाएगी।

By वेद प्रताप वैदिक

हिंदी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले पत्रकार। हिंदी के लिए आंदोलन करने और अंग्रेजी के मठों और गढ़ों में उसे उसका सम्मान दिलाने, स्थापित करने वाले वाले अग्रणी पत्रकार। लेखन और अनुभव इतना व्यापक कि विचार की हिंदी पत्रकारिता के पर्याय बन गए। कन्नड़ भाषी एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने उन्हें भी हिंदी सिखाने की जिम्मेदारी डॉक्टर वैदिक ने निभाई। डॉक्टर वैदिक ने हिंदी को साहित्य, समाज और हिंदी पट्टी की राजनीति की भाषा से निकाल कर राजनय और कूटनीति की भाषा भी बनाई। ‘नई दुनिया’ इंदौर से पत्रकारिता की शुरुआत और फिर दिल्ली में ‘नवभारत टाइम्स’ से लेकर ‘भाषा’ के संपादक तक का बेमिसाल सफर।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

Naya India स्क्रॉल करें