nayaindia domestic airlines aviation sector एक और ‘आत्म निर्भरता’?

एक और ‘आत्म निर्भरता’?

नागरिक विमानन ने मंत्री के मुताबिक भारत चाहता है कि उसकी घरेलू कंपनियां ज्यादा संख्या में उड़ानें चलाएं। वे नए उड़ान केंद्र स्थापित करें और विदेशी प्रतिद्वंद्वियों के घरेलू विमान क्षेत्र में बने वर्चस्व को खत्म करें।

अगर बात सिर्फ ‘आत्म निर्भर भारत’ जैसे जुबानी जमा-खर्च की ना हो, तो यह इरादा अच्छा है। नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुताबिक भारत चाहता है कि उसकी घरेलू कंपनियां ज्यादा संख्या में उड़ानें चलाएं। वे नए उड़ान केंद्र स्थापित करें और विदेशी प्रतिद्वंद्वियों के घरेलू विमान क्षेत्र में बने वर्चस्व को खत्म करें। हालांकि वैश्विक पूंजी निवेश के आज दौर में देशी और विदेशी कंपनियों की पहचान आसान नहीं रह गया है, फिर भी अगर मूल रूप से भारत में निर्मित हुई कंपनियों का कारोबार बढ़ता है, तो आम तौर पर उसका स्वागत किया जाएगा। लेकिन इस बात पर गौर कीजिए। सिंधिया ने भारत में उत्पादन को बढ़ाने पर भी जोर दिया है। उत्पादन बढ़ाने की बात तब आती है, जब कोई देश किसी चीज के उत्पादन की क्षमता रखता हो। क्या सचमुच भारत विमान उत्पादन में सक्षम हो चुका है? अगर ऐसा है, तो हाल में एयर इंडिया ने फ्रांस और अमेरिका की कंपनियों को 470 नए विमानों का ऑर्डर क्यों दिया? इसलिए सिंधिया के ताजा बयान को सवाल भरी निगाहों से देखा जाएगा। एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा- “भारत अब एक अहम मोड़ पर खड़ा है। आने वाले सालों में भारत में एयर ट्रैफिक का विस्फोट देखने को मिलेगा।”

एयर ट्रैफिक में बढ़ोतरी होना और उस ट्रैफिक के संचालन में आत्म निर्भरता दो अलग-अलग बातें हैँ। एयर ट्रैफिक तो पहले से भी बढ़ रहा है। दरअसल, विमानन के क्षेत्र में भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से रहा है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के मामले में अब भी अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियों का ही वर्चस्व है, जिनके पास ज्यादा सक्षम विमानन केंद्र हैं। अब अगर भारत चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की बढ़ती संख्या का आर्थिक लाभ खुद उठाए, तो उसके लिए एक अलग किस्म की तैयारी करनी होगी। आशा है, सिंधिया ने उपरोक्त बातें कहने के पहले ऐसी तैयारियों की कोई योजना भी बनाई होगी। यह बात इसलिए कहने की जरूरत महसूस हुई है, क्योंकि वर्तमान सरकार के दौर में बड़बोलापन हवाई स्तर तक पहुंच चुका है। अगर इस मामले में बात वैसी ना हो, तो यह अच्छी बात होगी।

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