• डेटा सुरक्षा में बड़ी सेंध

    जिस युग में डेटा को सोना कहा जाता है, डेटा सुरक्षा के ऐसे हाल के साथ कोई भी देश सुरक्षित रहने और विकास मार्ग पर चलने को लेकर आश्वस्त नहीं हो सकता। सरकार को ताजा घटना का पूरा सच देश को बताना चाहिए।  कोविन एप के जरिए स्टोर हुए लोगों के निजी डेटा की हैकिंग पर सरकार ने जो बयान दिए हैं, उससे कहीं यह भरोसा नहीं बंधता की ऐसी घटना नहीं हुई है। सिर्फ यह कह देना पर्याप्त नहीं हो सकता कि सारा डेटा सुरक्षित है और इसमें सेंध लगने की खबरें शरारतपूर्ण हैँ। अगर ऐसा है, तो पहले...

  • मायूसी एक भ्रम है!

    हमेशा ऐसा ही रहेगा, जब दुनिया विकास के पथ पर नए मुकाम हासिल करेगी, लेकिन लोग यही कहते सुने जाएंगे कि चीजें पहले बहुत अच्छी थीं। एक ताजा अध्ययन से भी इसी बात की पुष्टि हुई है। लोग मान रहे हैं कि नैतिकता का पतन हो रहा है। तकरीबन तीन दशक पहले निराशावाद पर एक किताब आई थी। उसमें कहा गया था कि दुनिया में हमेशा ऐसा रहेगा, जब दुनिया विकास के पथ पर नए मुकाम हासिल करेगी, लेकिन लोग यही कहते सुने जाएंगे कि चीजें पहले बहुत अच्छी थीं। एक ताजा अध्ययन से सामने आए निष्कर्ष ने उस किताब...

  • एआई से चिंतित दुनिया!

    घूम-फिर कर सवाल यही आएगा कि क्या ऐसे कानूनों से वह चिंता दूर होगी, जिसके लिए ये सारी कवायद की जा रही है? अक्सर किसी नई तकनीक और उसके प्रभाव को रोकने में कानून अक्षम साबित होते हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपनी अमेरिका यात्रा की इसे एक बड़ी कामयाबी बताया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने उनकी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) संबंधी योजना को स्वीकार कर लिया। पिछले हफ्ते जब ह्वाइट हाउस में दोनों नेता मिले, तो सुनक ने बाइडेन के सामने प्रस्ताव रखा कि ब्रिटेन एआई के विनियम का केंद्र बनना चाहता है। बाइडेन इस पर सहमत...

  • डायबिटीजः स्वास्थ्य इमरजेंसी

    इन रोगों के काफी बड़े हिस्से का संबंध जीवन शैली से है। इस संबंध लोगों को जागरूक बनाना जरूरी है। वरना, इलाज की स्थितियां विकट हो जाएंगी- खासकर उस हाल में जब आउटडोर चिकित्सा अधिक से अधिक प्राइवेट सेक्टर के हाथ में जा रही है। मशहूर ब्रिटिश हेल्थ जर्नल लांसेट ने बीते हफ्ते भारत में डायबिटीज मरीजों के बारे में जो अध्ययन रिपोर्ट छापी, वह चेतावनी की एक घंटी है। अगर तुरंत इस पर लोगों ने ध्यान नहीं दिया, तो भारत की हालत भी पाकिस्तान जैसी हो सकती है, जहां लगभग 27 प्रतिशत बालिग लोग इस रोग का शिकार हो...

  • हवाई बातों से क्या होगा?

    यूबीआई के पीछे विचार यह है कि वर्तमान आर्थिक नीतियों से जिन लोगों की जिंदगी मुहाल हो गई है, उनके जख्मों पर प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण के जरिए महरम लगाया जाए। लेकिन अब साफ है कि वर्तमान सरकार उसकी जरूरत महसूस नहीं कर रही है। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कुछ ऊंचे दावे किए हैं और साथ ही यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) की भारत में जरूरत को सिरे से नकार दिया है। यह गौर करने की बात है कि वर्तमान सरकार के ही एक पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार की पहल पर भारत में यूबीआई बहस में...

  • पाकिस्तान में खतरनाक खेल

    पाकिस्तान की सेना संभवतः यह भूल गई है कि जब वहां किसी लोकप्रिय नेता को राजनीति से हटाने की जब कोशिशें हुईं, तो उसके कैसे नतीजे सामने आए। ऐसे कदमों से असंतोष बढ़ा और स्थायी समस्याएं पैदा हुईं। एक बार तो देश का बंटवारा ही हो गया। अब यह साफ है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सियासी रूप से नष्ट करने में वहां का ‘ऐस्टैबलिशमेंट’ (सेना+खुफिया नेतृत्व) फिलहाल सफल हो गया है। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) में अब गिने-चुने नेता ही बचे हैँ। बाकी नेता ऐस्टैबलिशमेंट का दबाव नहीं झेल पाए, जैसा करना पाकिस्तान में कभी...

  • मणिपुर में कोई हल नहीं?

    हिंसा पर काबू नहीं पाया जा सका है। राज्य में ऐसा माहौल बन गया है कि हर व्यक्ति सामने वाले को संदेह की निगाहों से देखने लगा है। ऐसे में समाधान सिर्फ संवाद से ही निकल सकता है। मगर उसके लिए निष्पक्ष माध्यम की जरूरत है। मणिपुर में हिंसा और अविश्वास के माहौल का कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। बल्कि अगर मैतयी और कुकी समुदायों के बीच अविश्वास की बात करें, तो हालत बिगड़ती जा रही है। राज्य की हालत से परिचित जानकारों ने कहा है कि सबसे बड़ी समस्या संवाद के सभी माध्यमों का टूट जाना है।...

  • उत्तराखंड में खतरनाक संकेत

    सवाल पोस्टर लगाने वाले व्यक्तियों की पहचान और उन पर ऐसी कार्रवाई का है, जिससे समाज में इस तरह के विभेद पैदा करने वाले तत्वों को सख्त संदेश जा सके। अपराध कोई व्यक्ति करता है। इसके लिए किसी पूरे समुदाय को निशाना बनाना तार्किक नहीं है। खबरों के मुताबिक उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला में नाबालिग लड़की को अगवा करने के प्रयास के बाद तनाव का माहौल बना हुआ है। एक संगठन की तरफ से ऐसे पोस्टर लगाए हैं, जिनमें अल्पसंख्यकों से अपनी दुकानों को खाली करने को कहा गया है। खबर है कि ये पोस्टर पुरोला में लगाए...

  • आंदोलन मैनेज हो गया?

    इस बात को नहीं भुलाया जा सकता कि आरोपी को तुरंत गिरफ्तार ना कर पुलिस ने डर और आशंकाओं का वह माहौल बनने दिया, जिससे उत्पीड़ित पहलवानों का हौसला टूटा। इस रूप में न्याय की भावना के साथ एक तरह का विश्वासघात हुआ है। यौन उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन पर उतरे पहलवान सार्वजनिक रूप से भले यह कह रहे हों कि उनका संघर्ष जारी रहेगा, लेकिन जिस रूप में लगभग डेढ़ महीने तक यह आंदोलन चला, उसके आगे भी जारी रहने की संभावना न्यूनतम है। इस बात के साफ संकेत हैं कि गृह मंत्री अमित शाह इस आंदोलन को मैनेज...

  • सवाल सुरक्षित यात्रा का

    इस बीच कई ट्रेन दुर्घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनके लिए चरमराते बुनियादी ढांचे को जिम्मेदार ठहराया गया है। जाहिर है, इन हादसों के कारण ट्रेनों के रखरखाव और ट्रैक के नवीनीकरण पर खर्च किए जा रहे पैसे पर सवाल उठे हैं। ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना ने फिर भारत में रेलवे सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान खींचा है। यह हादसा ऐसे समय में हुआ, जब भारत सरकार रेल यात्रा को कथित रूप से तेज और सुखद बनाने की कोशिश कर रही है। पिछले कुछ सालों से भारत सरकार ने रेल नेटवर्क में से एक में हाई-स्पीड- ऑटोमेटेड ट्रेनों...

  • भागलपुर का पुल

    जब हादसा होता है, तो कुछ दिन तक मीडिया में उसकी चर्चा रहती है और लोग भी उस पर बातें करते हैं। हर ऐसी बड़ी घटना पर जांच का एलान किया जाता है। फिर धीरे-धीरे सब कुछ ‘सामान्य’ हो जाता है। बिहार के भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहे पुल के गिरने का वीडियो दुनिया भर में चर्चित हुआ है। चूंकि ऐसे विजुअल कम ही मिलते हैं, इसलिए मेनस्ट्रीम से लेकर सोशल मीडिया तक पर लोगों ने इसे खूब देखा। और चूंकि यह घटना ओडिशा के बालासोर में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना से बने माहौल के बीच हुई, तो...

  • भारत आकर क्यों घिरे?

    इल्जाम है कि पिछले हफ्ते हुई भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री दहल ने नेपाल को पूरी तरह भारत पर निर्भर बना दिया। जबकि इस यात्रा के दौरान नेपाल को ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ। नेपाल के विपक्षी दलों के साथ-साथ बुद्धिजीवियों और मीडिया का एक बड़ा हिस्सा भी प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को घेरने में जुट गया है। उनका इल्जाम है कि पिछले हफ्ते हुई भारत यात्रा के दौरान दहल ने नेपाल को पूरी तरह ‘भारत पर निर्भर’ बना दिया। इस यात्रा के दौरान नेपाल को ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ। कहा गया है कि दहल सीमा विवाद, विमान रूट,...

  • रेल दुर्घटनाः जवाबदेही है ही नहीं!

    बालासोर ट्रेन हादसे के लिए आखिर कोई तो उत्तरदायी होगा? लेकिन वर्तमान सरकार के तहत उत्तरदायित्व एक अप्रचलित शब्द है। सरकार ने जो किया है, भले के लिए किया होगा- यह इस बात को मान कर चलने का दौर है! ओडिशा के बालासोर में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना की जांच सीबीआई को सौंपने की खबर अगर बहुत से लोगों के गले नहीं उतरी है, तो उसका कारण है। सीबीआई अपराधों की जांच करने वाली एजेंसी है। तो क्या सरकार को कहीं से इस बात के संकेत मिले हैं कि इस दुर्घटना के पीछे तोड़फोड़ हुई हो सकती है? जबकि रेलवे...

  • नीतिगत अस्थिरता ठीक नहीं

    अब सौर पैनलों पर टैक्स घटा, तो चीन से ही आयात बढ़ेगा। इससे भारत के बारे में क्या धारणा बनेगी? इसीलिए अपेक्षित यह है कि कोई कदम सभी पहलुओं पर पूरे विचार-विमर्श के बाद ही उठाया जाए।  एक खबर के मुताबिक भारत सरकार अब चीन से सौर पैनलों के आयात पर टैक्स घटाने पर विचार कर रही है। जबकि इसके पहले भारत ने चीन से आयात कम करने के लिए सौर पैनलों पर 40 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया था। सवाल है कि जब यह फैसला लिया गया, उसके बाद स्थिति में ऐसा क्या बदलाव आ गया है? एक विदेशी एजेंसी...

  • सरकार की यह कैसी नैतिकता?

    पहलवान यौन उत्पीड़न का मामला सियासत का नहीं है। यह एक के जघन्य अपराध का मामला है। इस तरह इस मामले में जिन पर भी आंच आई है, उनकी नैतिक साख का क्षरण लाजिमी है। यह बात बेहिचक कही जा सकती है कि नरेंद्र मोदी के बतौर प्रधानमंत्री नौ साल के कार्यकाल में उनकी सरकार की नैतिक साख का जितना क्षरण पहलवान यौन उत्पीड़न मामले में हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। इस दौरान राफेल और अडानी जैसे मामलों में सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। चीन से विवाद के क्रम में सरकार की नाकामियां खूब चर्चित हुईं।...

  • भारत-चीनः सूचना आवाजाही पर रोक

    भारत का चीन के खिलाफ प्रभावी कदम उठाना सही रास्ता होगा। लेकिन यह कदम दोनों तरफ सूचनाओं का अंधकार कर देना कतई नहीं हो सकता। इसलिए चीन और भारत दोनों को इस मामले में तुरंत पुनर्विचार करना चाहिए। कहा जाता है कि कूटनीति की जरूरत वहां अधिक होती है, जहां रिश्ते अच्छे ना हों। इसी तरह उस पक्ष के बारे में जानना ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है, जिससे किसी देश के हितों को नुकसान पहुंचने की ज्यादा आशंका हो। लंबे समय से बनी और समय की कसौटी पर खरी उतरी इस समझ की रोशनी में देखें, तो यह खबर गहरी चिंता...

  • भारत के लिए मौसम होगा बड़ी चुनौती

    एक ताजा शोध में कहा गया है कि अगर दुनिया का तापमान बढ़ता रहा, तो सबसे ज्यादा असर भारत पर होगा। इस शोध के मुताबिक तापमान में  2.7 डिग्री की वृद्धि का असर 60 करोड़ से ज्यादा भारतीयों पर पड़ेगा। भारत में असामान्य मौसम ही अब सामान्य बन चुका है। मई में जैसी बारिश इस बार हुई है, वह इसी बात की पुष्टि करती है। अब आपने वाले दिनों में कैसा मौसम होगा, इस बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल हो गया है। असल में जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ता तापमान पूरी दुनिया नए संकट पैदा कर रहा है। लेकिन...

  • बेरोजगारी है विकराल, गंभीर बने!

    भारत में बेरोजगारी असल समस्या का मुखौटा मात्र है। उस मुखौटे के पीछे अंडरइंपलॉयमेंट और परोक्ष बेरोजगारी का विशाल संकट है। जाहिर है, भारत के सामने एक एक दुश्चक्र में फंसने का खतरा है। भारत सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में वेतनभोगी महिला कर्मियों की संख्या दो साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। वैसे कुल मिला कर रोजगार की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है, भले शहरों में युवा कर्मियों के लिए स्थिति कुछ बेहतर हुई हो। सावधिक श्रम शक्ति सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक (पीएलएफएस) की यह रिपोर्ट का संदेश यह है कि भारत...

  • एवरेस्ट भी जलवायु परिवर्तन का मारा!

    इंसान ने 70पहले दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर विजय पताका फहराई थी। लेकिन अब वहा भी जलवायु परिवर्तन का संकट है। गुजरे 60 वर्षों में एवरेस्ट के चारों तरफ मौजूद 79 ग्लेशियरों की मोटाई 100 मीटर घट चुकी है। climate-change:इस हफ्ते दुनिया ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर इनसान के पहुंचने की 70वीं सालगिरह मनाई। न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाल के तेंजिंग नोर्गे 29 मई 1953 को ऐसे पहले मनुष्य बने थे, जिन्होंने दुनिया के सर्वोच्च शिखर पर चढ़ने का गौरव प्राप्त किया था। लेकिन 70वीं सालगिरह पर लोगों ने जितना गर्व महसूस किया, उतनी...

  • भारत असेंबलिंग करेगा या उत्पादन?

    रघुराम राजन ने उचित ही बनाई गई धारणाओं को लेकर आगाह किया है। उन्होंने कहा है कि असल में भारत उत्पादन के बजाय असेंबलिंग का केंद्र बनकर उभरा है। मोबाइल कंपनियां बाहर से पाट-पुर्जे लाकर यहां उन्हें असेंबल कर रही हैँ। भारत में इस बात पर सुखबोध का माहौल है कि देश तेजी से मोबाइल फोन के निर्यात का केंद्र बनता जा रहा है। इसे केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) योजना की एक बड़ी सफलता के रूप में पेश किया गया है। हालांकि इस दावे पर पहले भी कई हलकों से सवाल उठाए गए हैं, लेकिन अब भारतीय...

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