नई दिल्ली। अहमदाबाद विमान हादसे के बाद उस विमान के पायलट की कथित गलती को लेकर चल रही चर्चाओं को सुप्रीम कोर्ट ने अफसोसजनक बताया है। विमान की कॉकपिट रिकॉर्डिंग सामने आने के बाद पायलट की मानसिक स्थिति को लेकर कई तरह की चर्चाएं होने लगी थीं। इस पर दिवंगत पायलट के पिता ने भी आपत्ति जताई थी। सोमवार को इस पर सुनवाई हुई, जिसमें सर्वोच्च अदालत ने पायलट को लेकर हो रही चर्चाओं को अफसोसजनक बताया।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, नागरिक विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो, एएआईबी से जवाब मांगा है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले में स्वतंत्र जांच करवाने की संभावना पर भी विचार किया है। इसको लेकर विमानन सेक्टर की सुरक्षा से जुड़े गैर सरकारी संगठन सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने पीआईएल दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि प्रारंभिक रिपोर्ट में जरूरी जानकारी छुपाई गई है और यह नागरिकों के जीवन, समानता और सही जानकारी पाने के अधिकार का उल्लंघन करती है।
जनहित याचिका में कहा गया, ईंधन स्विच की खराबी और इलेक्ट्रिकल फॉल्ट जैसी तकनीकी समस्याओं को नजरअंदाज किया गया और दुर्घटना का दोष केवल पायलट पर डाल दिया गया। गौरतलब है कि अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान 12 जून को टेकऑफ के कुछ ही देर बाद ही हादसे का शिकार हो गया था। इसमें 260 लोगों की मौत हो गई थी। सुमीत सभरवाल फ्लाइट के मुख्य पायलट और क्लाइव कुंदर को-पायलट थे। गैर सरकारी संगठन की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सवाल उठाया कि दुर्घटना को हुए सौ दिन दिन से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अभी तक सिर्फ प्रारंभिक रिपोर्ट ही जारी हुई है।