नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति के रेफरेंस पर हो रही सुनवाई के दौरान नेपाल की घटना का जिक्र हुआ। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने विधानसभा से पास हुए विधेयकों को राष्ट्रपति और राज्यपाल की मंजूरी की डेडलाइन तय करने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई के दौरान नेपाल विद्रोह का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हमें अपने संविधान पर गर्व होना चाहिए, देखिए पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है। नेपाल में तो हमने देख रहे हैं’। इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने जोड़ते हुए कहा, ‘हां, बांग्लादेश भी’।
दोनों जजों ने ये बयान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर दिया। इससे पहले सॉलिसीटर जनरल ने कहा, ‘1970 से अब तक सिर्फ 20 बिल ही राष्ट्रपति के पास लंबित रहे, जबकि 90 फीसदी बिल एक महीने में पास हो जाते हैं’। सीजेआई ने इस पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि सिर्फ आंकड़ों से निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है। अगर राज्यों के दिए आंकड़े नहीं माने गए तो आपके भी नहीं माने जाएंगे। गौरतलब है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल की मंजूरी की डेडलाइन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। इसमें जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर शामिल है।