डेडियापाड़ा (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आदिवासियों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान दिया है, लेकिन कांग्रेस ने अपने 60 साल के शासन में इस योगदान को कभी मान्यता नहीं दी। आदिवासी समुदाय की उपेक्षा की। आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को इसलिए नजरअंदाज किया गया ताकि इसका श्रेय “कुछ परिवारों” को दिया जा सके।
प्रधानमंत्री नर्मदा जिले के डेडियापाड़ा शहर में जनजातीय गौरव दिवस पर बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन से पहले प्रधानमंत्री ने 9,700 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली विभिन्न बुनियादी ढांचा और विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
मोदी ने कहा, “जब भी देश के सम्मान, स्वाभिमान और स्वतंत्रता की बात आई, हमारा आदिवासी समुदाय सबसे आगे खड़ा रहा। स्वतंत्रता संग्राम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। आदिवासी समुदाय से अनगिनत स्वतंत्रता सेनानी निकले और उन्होंने आजादी की मशाल आगे बढ़ाई।”
गुजरात के गोविंद गुरु, रूपसिंह नायक और मोतीलाल तेजावत जैसे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के कई अध्याय आदिवासी गौरव और वीरता के उदाहरणों से भरे पड़े हैं।
उन्होंने दावा किया कि आदिवासी समुदाय ने आजादी के लिए अपना खून बहाया, लेकिन उनके योगदान को नजरअंदाज कर दिया गया ताकि इसका श्रेय “कुछ परिवारों” को मिल सके। उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासी समुदायों के योगदान को नहीं भूल सकते। इसे स्वतंत्रता के बाद मान्यता दी जानी चाहिए थी। लेकिन कुछ परिवारों को श्रेय देने की खातिर मेरे आदिवासी भाइयों-बहनों के त्याग और समर्पण को भुला दिया गया।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी रवैये के कारण 2014 से पहले भगवान बिरसा मुंडा को लगभग याद नहीं किया जाता था। उन्होंने आरोप लगाया, “देश पर छह दशकों तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया। कुपोषण, स्वास्थ्य सेवा की कमी, शिक्षा और कनेक्टिविटी जैसी समस्याओं से जूझने के बावजूद कांग्रेस सरकारें निष्क्रिय रहीं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “आदिवासी भी भगवान राम से जुड़े हुए हैं। वे उसी युग से आते हैं। लेकिन छह दशकों तक शासन करने वाले लोगों को यह समझ नहीं आया कि इतने बड़े आदिवासी समुदाय के विकास के लिए काम करना आवश्यक है। आदिवासी कल्याण भाजपा की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है और हमने इस अन्याय को समाप्त करने का संकल्प लिया है।”
मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने केंद्र में आदिवासी समुदाय के लिए अलग मंत्रालय की स्थापना की थी। उन्होंने आरोप लगाया, “लेकिन वाजपेयी के बाद जब कांग्रेस सत्ता में लौटी तो अगले 10 वर्षों तक आदिवासी समुदाय की उपेक्षा की गई और उसे पूरी तरह भुला दिया गया।”


