नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ यानी आरएसएस के एक सौ साल पूरे होने वाले हैं और इसे लेकर कार्यक्रमों का आगाज हो गया है। इस सिलसिले में राजधानी दिल्ली में 26 से 28 अगस्त तक विज्ञान भवन में तीन दिन के संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। यह विशेष आयोजन ‘100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज’ के नाम से हो रहा है। इसमें अलग अलग समूहों, दलों व विचारधारा से जुड़े लोगों को आमंत्रित किया गया है।
कार्यक्रम के पहले दिन मंगलवार को संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदू राष्ट्र के विचार को परिभाषित करते हुए कहा, ‘हिंदू राष्ट्र शब्द का सत्ता से कोई मतलब नहीं है। जब हम हिंदू राष्ट्र कहते हैं तो उसका मतलब ये नहीं कि हम किसी को छोड़ रहे हैं, किसी का विरोध कर रहे हैं’। उन्होंने भारत के विश्व गुरु बनने की बात पर कहा कि भारत को दुनिया में योगदान देना है और अब यह समय आ गया है। पहले दिन के कार्यक्रम में मंगलवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, अनुप्रिया पटेल, भाजपा सांसद कंगना रनौत और बाबा रामदेव समेत कई हस्तियां शामिल हुईं।
संघ प्रमुख ने कहा कि पिछले 40 हजार वर्षों से अखंड भारत में रह रहे लोगों का डीएनए एक है। अखंड भारत की भूमि पर रहने वाले और हमारी संस्कृति, सभी एक साथ सद्भाव से रहने की पक्षधर है। उन्होंने कहा, ‘हिंदू कौन है, वह जो अपने मार्ग पर चलने में विश्वास रखता है और अलग अलग मान्यताओं वाले लोगों का भी सम्मान करता है, वही हिंदू है। हमारा स्वाभाविक धर्म सभी के साथ समन्वय का है, टकराव का नहीं है’।
भागवत ने कहा, ‘2018 में भी ऐसा ही कार्यक्रम हुआ था। संघ के बारे में बहुत सारी चर्चा होती है, लेकिन इनमें ज्यादातर जानकारी या तो अधूरी होती है या प्रामाणिक नहीं होती। इसलिए संघ के बारे में सच्ची और सटीक जानकारी देना जरूरी है। संघ के बारे में चर्चा परसेप्शन नहीं, फैक्ट के आधार पर होनी चाहिए’।