मुंबई। भारत और चीन के सैनिकों की वापसी, अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति बहाली और गश्त शुरू होने के बाद तनाव कम करना अगला कदम होगा। दोनों देशों के बीच समझौते के तहत सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने रविवार को कहा कि सैनिकों की वापसी पहला कदम है। अगला कदम तनाव कम करना है। मुंबई में रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा- दोनों देशों के बीच तनाव तभी कम होगा, जब भारत को यकीन न हो जाए कि चीन भी ऐसा ही चाह रहा है। तनाव कम करने के बाद, सीमा का प्रबंधन कैसे किया जाए, इस पर चर्चा की जाएगी।
एक दिन पहले शनिवार को पुणे में एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा था कि भारत सरकार का अपनी बात पर अड़े रहना काम आया। उन्होंने कहा था- आज हम जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, उसके दो कारण हैं। पहला, हम अपनी बात से पीछे नहीं हटे, यह केवल इसलिए संभव हो सका क्योंकि सेना देश की रक्षा के लिए हर मौके पर डटी रही और कूटनीति ने अपना काम किया। दूसरा, पिछले एक दशक में हमने अपने बुनियादी ढांचे में भी सुधार किया है।
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चार साल से सीमा विवाद को लेकर तनाव था। गलवान घाटी में जून 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों की सेना डटी थी। करीब दो साल पहले सैन्य कमांडर स्तर की और कूटनीतिक बातचीत शुरू हुई थी, जिसके बाद पिछले दिनों एक समझौता हुआ है। दोनों सेनाएं विवाद की जगहों से पीछे हट रही हैं। देपसांग और डेमचक से सेनाएं पीछे हट रही हैं। शुक्रवार, 25 अक्टूबर से पूर्वी लद्दाख में सेना का पीछे हटना शुरू हुआ। सेना के जानकार सूत्रों के मुताबिक 28 और 29 अक्टूबर तक दोनों देश अपनी सेनाएं पूरी तरह हटा लेंगे। इसके बाद 31 अक्टूबर से गश्त शुरू हो सकती है। गश्त के लिए सैनिकों की सीमित संख्या तय की गई है।
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