नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने संबंधी प्रस्ताव को विचारार्थ स्वीकार करते हुए उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की। इसके साथ ही जस्टिस वर्मा पर महाभियोग की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई।
बिरला ने कहा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं, इसलिए न्यायाधीश के पद से उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। जांच समिति में सप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरविंद कुमार, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बी. वी. आचार्य शामिल होंगे। समिति को यथाशीघ्र रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है, और रिपोर्ट मिलने तक पद से हटाने का प्रस्ताव लंबित रहेगा।
अध्यक्ष ने सदन को बताया कि उन्हें 31 जुलाई को भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित सत्तापक्ष और विपक्ष के 146 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव प्राप्त हुआ। प्रस्ताव में संविधान के अनुच्छेद 124(4), 217 और 218, तथा न्यायाधीश जांच अधिनियम 1968 की धारा 3 के तहत राष्ट्रपति को समावेदन भेजकर जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की अनुशंसा करने की मांग की गई है।
लोकसभा में पढ़े गए विवरण के अनुसार, 15 मार्च को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास से जली हुई नकदी बरामद हुई थी। इसके बाद उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने प्रासंगिक कानूनों और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का हवाला देते हुए इन आरोपों को गंभीर माना था।