नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर पर हंगामे के साथ शुरू हुआ संसद का मानसून सत्र इसी मुद्दे पर हंगामे के साथ खत्म हुआ। सत्र के आखिरी दिन गुरुवार को विपक्षी पार्टियों ने एसआईआर के मुद्दे पर हंगामा किया, जिससे दोनों सदनों का कार्यवाही बाधित हुई। मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ था। एक महीने के इस सत्र में कुल 21 बैठकें हुईं। लोकसभा में 120 घंटे चर्चा का समय तय था लेकिन सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा हो सकी। वहीं राज्यसभा में 41 घंटे चर्चा हुई।
मानसून सत्र में विपक्षी पार्टियों के हंगामे के बीच ही लोकसभा में 12 और राज्यसभा में 15 विधेयक पास हुए। सबसे चर्चित विधेयक गिरफ्तारी या 30 दिन की हिरासत पर मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री को हटाने वाला संविधान संशोधन बिल रहा। इसे लोकसभा में अमित शाह ने पेश किया था और बाद में इसे संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के पास भेजने का प्रस्ताव पारित हुआ।
सत्र के पहले दिन यानी 21 जुलाई को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया था। उनकी जगह उप सभापति हरिवंश ने पूरे सत्र में सदन का संचालन किया। 28 और 29 जुलाई को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा हुई, जिसका समापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब के साथ हुआ। राज्यसभा में 29 और 30 जुलाई को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हुई। सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा कराया लेकिन विपक्ष की लगातारर मांग के बावजूद बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मसले पर चर्चा नहीं कराई।