नई दिल्ली। मुंबई ट्रेन धमाके के सभी 12 आरोपियों को बरी करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में गलत जांच और सबूतों की कमी के चलते सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था। मुंबई बम धमाके में 187 लोगों की मौत हुई थी और आठ सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। निचली अदालत ने इस मामले में आरोपियों को सजा सुनाई थी। लेकिन हाई कोर्ट ने उस फैसले को पलट दिया और सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
हाई कोर्ट के इस फैसले को महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगाई है लेकिन आरोपियों की जेल से रिहाई को बरकरार रखा है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और एन कोटिश्वर सिंह ने सभी आरोपियों को भी नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। सर्वोच्च अदालत ने कहा ‘हाई कोर्ट के फैसले को मिसाल नहीं माना जाएगा’। इसका मतलब है कि जो लोग इसी तरह के आरोपों में जेल में बंद हैं, वे जमानत हासिल करने के लिए इस आदेश का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
गौरतलब है कि सोमवार को, बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की विशेष पीठ ने मुंबई ट्रेन धमाके के सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि ‘अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा और यह विश्वास करना मुश्किल है कि आरोपियों ने अपराध किया है’। 2006 के मुंबई ट्रेन धमाके में 187 लोगों की मौत हुई थी और आठ सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद इन धमाकों और इतनी मौतों का कोई जिम्मेदार नहीं रह गया था।